Womens Day कैसे मनाऊँ, जो अब भी मैं सशक्त नही.. जो करता रहा Rape मेरा, अब भी उसको मौत नही.. जिसने मुझपे Acid फिकवाया, वो मजे से आज़ाद फिरे.. मेरा ही बदन झुलसे, दामन मेरे ही दाग गिरे.. कैसा है ये कलयुग आया, अग्निपरीक्षा फिर से लेता है.. रावण जो तू हर साल जलाता, जलती क्यों फिर भी ये सीता है.. आँचल को मेरे जो हाथ लगाये, काटना चाहूँ उसका सीना.. एक कानून ये भी ला दो, मार सकूँ मैं एक-एक कमीना.. आज़ाद उड़ने का मन, मेरा भी तो करता हैं.. मेरे उड़ने से मगर जाने, आसमान क्यों डरता हैं.. Acid फेंके, Rape करे कोई, जिंदा कोई जलाता हैं.. कोई घर में संस्कार कहके, मुझे हर रोज ही रुलाता हैं.. बाप, भाई, बच्चा, शौहर, सबको मैंने हैं मान दिया.. अब तो समझो मुझसे तूमने, अस्तित्व भी मेरा है छीन लिया.. हाँ डरती नहीं मैं, कुदरत से ही तो जीना मैंने सीखा हैं.. कैसे भूल गया ऐ मर्द, तुझे पेट में मैंने ही रखा हैं.. मैं चाहूँ तो तुझे अभी, जनने से भी इनकार करूँ.. तू क्या हैं चल हट,,, अब खुद ही मैं अस्मिता अपनी स्विकार करूँ.. अस्मिता अपनी स्विकार करूँ.. #Shilpa #international_womens_day #WOMENSDAY2020 #MyThoughsTotally #One_Minute_Thoughtस #Ramta_Jogi_Special #Shilpa_ek_Shayaraaa #ShilpaSalve358 Womens Day कैसे मनाऊँ, जो अब भी मैं सशक्त नही.. जो करता रहा Rape मेरा, अब भी उसको मौत नही.. जिसने मुझपे Acid फिकवाया, वो मजे से आज़ाद फिरे.. मेरा ही बदन झुलसे, दामन मेरे ही दाग गिरे..