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गाँठें सालों से माँओं ने अपनी बेटियों को भेंट की

गाँठें

सालों से माँओं ने अपनी बेटियों को भेंट की कई सारी गाँठें, कुछ मन से, कुछ अनमने ही!
प्रेम को अपराध बता कर एक गाँठ बाँध दी,
सिखाया प्रेम के बिना ही जीते जाना
कहना ‘जो हुक्म मेरे आका’ और एक गाँठ बाँध दी,
सिर झुका कर जीने के सारे गुण भरे
अपने सपने ख़ुद मत देखना, और एक गाँठ बाँध दी,
जिसमें सबकी ख़ुशी हो वही काम करना तुम
अवमानना एक अपराध है…….

शायद माँओं को भी ऐसे ही कुछ गाँठें मिली होंगी विरासत में। 

अब ये शृंखला तोड़नी है,
इन गाँठों को खोलना है,
भयभीत हो कर कुछ नहीं करना है
ग्लानि कोई गहना नहीं है
अपना जीवन ख़ुद लिखो,
खूब अच्छे से लिखो………

कोई फिर से तुम्हें मिटाए,
फिर से ख़ुद को बनाना तुम
कोई फिर से तुम्हें हराये,
फिर से जीवन जी जाना तुम

©sabr
  #Women
poonamarya3803

sabr

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