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ये आँखें बहुत कुछ बोलती सहती और जानती हैं कमबख्त

ये आँखें बहुत कुछ
बोलती
सहती
और जानती हैं
कमबख्त 
कभी नम होकर
डबडबाती हैं
तो कभी
कमलनैन बनकर
अगड़ाइयाँ लेती हैं
फिर दिल को छू लेती हैं
जब नम हों तो
अवसाद में जीती हैं
गजब की चीज हैं ये आँखें
सब कुछ जानती 
और पहचानती हैं
सुख,
दुख,
गुण,
अवगुण,
विकार,
विशाद,
रोद्रता,
भीरूता,
सब कुछ प्रकट करें
इशारा कर दें
देखें
और सहें
ये आँखें बहुत कुछ
बोलती
सहती
और जानती हैं

©vs dixit
  #आंखे