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सब्र करो, अभी काम बाकी है, मुझपे लगने इल्ज़ाम बाकी

सब्र करो, अभी काम बाकी है,
मुझपे लगने इल्ज़ाम बाकी है।
जल उठी है जो चिनगारी दिलमे,
उसे जलाना सरेआम बाकी है।
इज़हार कब का कर दिया उसे,
बस उन्हें करना मेरे नाम बाकी है।
रात तो तन्हा यू ही फुक दी मेने,
जली हुई अब शुबह शाम बाकी है।
यू तो टूट चुका है ज़माने से वास्ता,
मेरे हिसाब अधूरे तमाम बाकी है।
~ अंश वजानी

©Ansh Vajani
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