मन का मंदिर डोले, अंदर से हौले हौले। सदियो को पीछे छोड़े, सपनो के पीछे दौड़े।। आबादी का मंजर भी, बर्बादी से वो तोले। टुकड़ो पे पलने वाले, आज़ादी पे रो ले।। कागज़ का वो कर्ज़ नही, जो स्याही से मरकज़ हो ले। बस्तीया उजाड़ के मालिक, ज़ोर से बोले हर हर भोले।। घर का गम था ढो लिया, चुपके से सब कुछ खो दिया। पर आख़िर में दरीचा था, वो अपने अफ़साने बोले।। मन का मंदिर डोले... #dharmuvach✍ Aesthetic Thoughts का एक ख़ूबसूरत शायराना #collab #atइश्क़मेंअक्सर #इश्क़में #dharmuvach #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi