जरूरतों के हिसाब से रिश्ते बनते और बिगड़ते हैं अकेलेपन का भय सत्य का साथ देने में और सत्य के साथ जीने में बाधा उत्पन्न करता है इसलिए सत्य सदैव अकेला ही होता है सब साथ छोड़ते जाते हैं निस्वार्थ रिश्ते बहुत ही कम होते हैं संसार का प्यार जिसे लोग प्यार का नाम देते हैं वह सिर्फ़ और सिर्फ़ स्वार्थ पर टिका है लेकिन परमात्मा से प्यार शाश्वत है और वही निस्वार्थ है पर जब हमे परमात्मा पर पूर्ण विश्वास हो जाता है तब जीव निर्भय हो जाता है #कुसुम✍️ ©Kusum Sharma #कुसुम #Nojoto #nojotowriters #Truth #Love #Quote #Hindi #world #Trees