कितना सुन्दर प्रतिबिम्ब है, इसका कारण क्या है? मेरा रूप सुन्दर है या ये जल स्वच्छ है? नहीं, ये जल स्थिर है, शांत है। अंतर देख रहे है आप? वही जल है, वही रूप है, किन्तु ये स्थिर नहीं है, शांत नहीं है और इसी कारण मैं अपना प्रतिबिम्ब इसमें नहीं देख पा रहा हूँ। क्रोध के साथ भी यही होता है। यदि आप स्थिर है, शांत है तो आप आपकी आत्मा को देख, सुन और समझ पाओगे। किन्तु क्रोध इस आत्मा की पुकार को पी जाता है। इसलिए अपने क्रोध पर वश रखे कहीं ऐसा ना हो कि मूर्खता के कारण जन्मा ये क्रोध आपको पश्चाताप के अंत तक ले जाये। राधे-राधे! अपने क्रोध पर वश रखे कहीं... #कृष्ण_वाणी KESHAV JHA SHANDILYA #RaysOfHope