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PRIYANKA GUPTA(gudiya)
श्री कृष्ण कहते है,,,,, मनुष्य की सुखों का मोह ,, उसी वक्त तक सीमित रहता है.. जब तक उसके हृदय में अपेक्षाएं जीवित है.. ©priyanka gupta (gudiya) #कृष्ण_वाणी #जयश्रीकृष्णा🙏❤❤ कवि संतोष बड़कुर Anshu writer pramodini mohapatra अब्र (Abr) Kajal Singh [ ज़िंदगी ] Hardik Mahajan Mahi Prashant Shakun "कातिब" SHAYAR (RK) Kanak Tiwari
Sū MīT DïXïT
::🕉️श्री कृष्ण वाणी🕉️:: कोई भी रिश्ता अपनी मर्जी से नहीं जुड़ता क्योंकि आपको कब , कहा , किससे , क्यों और कैसे मिलना है ये सिर्फ ऊपरवाला ही तय करता है ।। ©Sū MīT DïXïT #कृष्ण_वाणी
Mysterious Girl
©Mysterious Girl हमें शब्दों का प्रयोग सोच समझ कर करना चाहिए...ऐसे शब्दों का प्रयोग करिए जिससे किसी की भावना को ठेस ना पहुँचे..😊😊 राधे-राधे..🙏🙏 #phalsafa_e_zindagi
Aashutosh khemariya
सुन बाशुरी धुन मैं मंत्र मुग्ध हो गई कृष्ण नाम मात्र से मैं पवित्र हो गई। ©Aashutosh khemariya #कृष्ण_वाणी #कृष्णप्रेमी
Bittu jha shandilya
एक पिता के लिए उसकी संतान गर्व है, उसका अहंकार है और संतान के लिए उसके पिता उसका “आदर्श”, उसकी “प्रेरणा”। बिना कहे पिता संतान की हर इच्छा समझ जाता है और उसे पूरी करने की चेष्टा करता है। दूसरी ओर संतान – सदैव प्रयास करता है कि अपने माता-पिता को गर्वित करता रहे। किन्तु ये बंधन है, एक स्थान पे आके टूट जाता है। तब जब संतान स्वयं की इच्छा से अपना जीवन साथी चुनना चाहे, क्यों? कारण है – संवाद की कमी। जब बात आती है संतान के विवाह की तो माता-पिता सोचते है कि इसमें संतान से पूछना क्या? हम उसके लिए कुछ अनुचित तो चाहेंगे नहीं और संतान का ये मानना होता है कि उसका भविष्य चुनना उसका अधिकार है। दोनों आपस में दुखी रहते है, किन्तु बात कोई नहीं करता। होना ये चाहिए कि माता-पिता को स्नेह के साथ संतान की इच्छा समझ लेनी चाहिए और संतान को उसी विश्वास के साथ माता-पिता को विश्वास में ले लेना चाहिए। एक बार संवाद करके देखिये, वर्तमान और भविष्य दोनों ठीक हो जायेंगे और मन प्रसन्न होकर बोलेगा राधे-राधे! एक पिता के लिए उसकी संतान.... #कृष्ण_वाणी KESHAV JHA SHANDILYA #lightindark
Bittu jha shandilya
कितना सुन्दर प्रतिबिम्ब है, इसका कारण क्या है? मेरा रूप सुन्दर है या ये जल स्वच्छ है? नहीं, ये जल स्थिर है, शांत है। अंतर देख रहे है आप? वही जल है, वही रूप है, किन्तु ये स्थिर नहीं है, शांत नहीं है और इसी कारण मैं अपना प्रतिबिम्ब इसमें नहीं देख पा रहा हूँ। क्रोध के साथ भी यही होता है। यदि आप स्थिर है, शांत है तो आप आपकी आत्मा को देख, सुन और समझ पाओगे। किन्तु क्रोध इस आत्मा की पुकार को पी जाता है। इसलिए अपने क्रोध पर वश रखे कहीं ऐसा ना हो कि मूर्खता के कारण जन्मा ये क्रोध आपको पश्चाताप के अंत तक ले जाये। राधे-राधे! अपने क्रोध पर वश रखे कहीं... #कृष्ण_वाणी KESHAV JHA SHANDILYA #RaysOfHope
Bittu jha shandilya
“मन” बड़ी ही विचित्र कृति है ये मन, शरीर के किस अंग में बसता है कोई नहीं जानता। किन्तु सम्पूर्ण शरीर इस मन की इच्छा साकार करने के लिए प्रयास करता रहता है। अब यदि मन कुछ खाने का करे तो व्यक्ति उसकी इच्छा साकार करने का माध्यम ढूंढता रहता है। अब यदि मन किसी को शत्रु समझ ले तो व्यक्ति उसे नष्ट करने का हर सम्भव प्रयास करता है। अब यदि मन किसी से प्रेम करे तो उसकी प्रसन्नता के लिए हर सीमा लांघने के लिए सज्ज रहता है। परन्तु जीवन सुखद हो इसके लिए ये आवश्यक है कि मन खाली रहे, इस बांसुरी की भांति। भीतर कुछ भी नहीं, ना राग है, ना द्वेष, तब भी तार छेड़ने पर स्वर निकलता है। इसी प्रकार मन को भी भावनाओं से मुक्त रखना आवश्यक है। स्मरण रखिये, मन में कुछ भर कर जियोगे तो मन भर के जी नहीं पाओगे। राधे-राधे! मन... #कृष्ण_वाणी KESHAV JHA SHANDILYA #raindrops
Bittu jha shandilya
मनुष्य का स्वभाव है “कमाना, संग्रह करना” फिर चाहे वो धन हो, नाते हो, संबंध हो या हो प्रसन्नता, परन्तु क्या आपने कभी सोचा है? नियति ने ये संग्रह करने की प्रकृति मनुष्य में क्यों डाली? एक बीज से पौधा पनपता है, उसके भोजन से फल संग्रहित होता है क्यों? इसलिए ताकि वृक्ष उसे स्वयं खा सके? नहीं, बल्कि इसलिए ताकि वो भूखे जीवों में बाँट सके। अब आप पूछेंगे कि इसमें वृक्ष का क्या लाभ? लाभ है, क्योंकि जो बांटता है वो मिटता नहीं। जो फल ये जीव खाते है वो उसके बीजों को वातावरण में बिखेर देते है जिससे जन्म लेते है नए वृक्ष, उसकी जाति, उसका गुण, उसकी मिठास अमर हो जाती है। इसलिए स्मरण रखियेगा अमीर होने के लिए एक-एक क्षण संग्रह करना पड़ता है। किन्तु अमर बनने के लिए एक-एक कण बांटना पड़ता है। राधे-राधे! #कृष्ण_वाणी #inspirationalquotes #Motivational Keshav Jha shandilya #Star
Bittu jha shandilya
“भय”, भय सबको होता है चाहे वो पशु हो, पक्षी हो या मनुष्य। वास्तविकता में मनुष्य भय को अपने साथ लेके ही जन्म लेता है। तो इस भय से भय कैसा ? यदि भय बुरा भाव होता तो क्या इसे हम अपने साथ लेके जन्म लेते? वास्तविकता में भय हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। अब देखिये, जीवन जाने का भय आपसे स्वयं की सुरक्षा करवाने का प्रयास करता है। अपमान का भय सदाचार की ओर बढ़ाता है। किसी प्रिय को खो देने का भय, उसके लिए कर्तव्य पालन करने को प्रेरित करता है। किन्तु ये भय, ये भय बुरा तब हो जाता है जब आप इसे अपने ऊपर हावी हो जाने देते है। इसके लिए कुछ प्रयास नहीं कर पाते। इसलिए यदि इस भय को उपयोग में लाना है, आपको स्वयं इस भय के ऊपर हावी हो जाना होगा। तो तोड़ दीजिये भय की सीमाएं, अपनी आत्मा को छोड़ के किसी ओर के समक्ष सर मत झुकाइये और स्मरण रखिये जब अंधकार से डरना छोड़ दोगे तभी दीपक बन कर प्रकाश दे पाओगे। राधे-राधे! भय क्या है ? #कृष्ण_वाणी #Inspirationalquote KESHAV JHA SHANDILYA #raindrops