"संस्कृति और आधुनिक भारत की असल तस्वीर" एक बारी को भगवान के मुँह से अश्लील शब्दों का प्रयोग कदाचित गुस्सा दिलाता है। किन्तु प्रगतिशील समाज में जब सब मान-सम्मान,मर्यादा,धर्मों के महत्व बदल सकते है/मॉडर्न हो सकते है,तो भगवान के शब्दों में बदलाव क्यों नहीं! ऐसा पटकथा लेखन और उसका चित्रण होना चाहिए जो असल समाज को और राजनीति को आईना दिखा सके। #टिप्पणी #टिका टिप्पणी