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माली बाग बसाये और बगिया उजड़ती जाये, वो जमी तेरी न

माली बाग बसाये और बगिया उजड़ती जाये,
वो जमी तेरी नहीं और वो बगिया भी तो तेरी नहीं,
अरे माली! फिर क्यों बगिया उजड़ता देख घबराये,
अपनेपन से सींचा धैर्य से सहेजी बगिया तो मन घबराये।

©Priya Gour
  क्या आप अर्थ समझ पाये पंक्तियों का?
#9may 4:59
#alone
priyagour7765

Priya Gour

Gold Star
Super Creator

क्या आप अर्थ समझ पाये पंक्तियों का? #9May 4:59 #alone #शायरी

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