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abhaybipin6063
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theABHAYSINGH_BIPIN

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theABHAYSINGH_BIPIN

New Year 2024-25 इश्क में डूबकर मुझे उस पार जाना है,
इश्क में कुर्बान होकर आज़ाद हो जाना है।
सुना है कि लोग प्यार में ज़िंदा कहाँ रहते,
इश्क में जीना छोड़, मुझे फना होना है।

एक वक्त था जब सुकून ढूँढता था,
 जब हर एक दर्द में जुनून ढूँढता था।
 क़ाज़ी, हाकिम और वो सामने खड़ी,
कुछ बातें कर अलविदा चाहता था।

©theABHAYSINGH_BIPIN #NewYear2024-25 इश्क में डूबकर मुझे उस पार जाना है,
इश्क में कुर्बान होकर आज़ाद हो जाना है।
सुना है कि लोग प्यार में ज़िंदा कहाँ रहते,
इश्क में जीना छोड़, मुझे फना होना है।

एक वक्त था जब सुकून ढूँढता था,
हर एक दर्द में जुनून ढूँढता था।
अब क़ाज़ी, हाकिम और वो सामने खड़ी,

#Newyear2024-25 इश्क में डूबकर मुझे उस पार जाना है, इश्क में कुर्बान होकर आज़ाद हो जाना है। सुना है कि लोग प्यार में ज़िंदा कहाँ रहते, इश्क में जीना छोड़, मुझे फना होना है। एक वक्त था जब सुकून ढूँढता था, हर एक दर्द में जुनून ढूँढता था। अब क़ाज़ी, हाकिम और वो सामने खड़ी, #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

Unsplash आओ फिर से अजनबी हो जाएं,
दिल से हर ग़म को भुला जाएं।
तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो,
फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो।

सुलझा लें रिश्तों की उलझी डोर,
हर ख्वाब फिर से करें चमत्कोर।
नीलगगन की बाहों में उड़ते रहें,
प्यार का पतंग संग थामे चलें।

हर शिकायत को हवा में बहा दें,
हर दूरी को अपने करीब ला दें।
आओ फिर से अजनबी हो जाएं,
एक नई दास्तां फिर लिख जाएं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #lovelife आओ फिर से अजनबी हो जाएं,
दिल से हर ग़म को भुला जाएं।
तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो,
फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो।

सुलझा लें रिश्तों की उलझी डोर,
हर ख्वाब फिर से करें चमत्कोर।
नीलगगन की बाहों में उड़ते रहें,

#lovelife आओ फिर से अजनबी हो जाएं, दिल से हर ग़म को भुला जाएं। तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो, फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो। सुलझा लें रिश्तों की उलझी डोर, हर ख्वाब फिर से करें चमत्कोर। नीलगगन की बाहों में उड़ते रहें, #शायरी

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theABHAYSINGH_BIPIN

New Year 2024-25 तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती,
बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती।
तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर,
आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नहीं होती।

हम तो थे रौशनी की एक राह जैसे,
तुम्हारे संग चलते हर चाह जैसे।
जो तुम सुनती दिल की हलचल मेरी,
तो दिलों में ये तन्हाई नहीं होती।

बस एक नज़र, बस एक बात होती,
शिकवे-गिले सबकी वहीं मात होती।
जो तुम समझती दिल के जज़्बात मेरे,
तो आज दिलों में ये दूरी नहीं होती।

ख़ता अगर थी, तो उसे भूल जाना,
मोहब्बत को हर इल्ज़ाम से छुड़ाना।
गर रिश्ते की डोर को तुम थाम लेती,
तो दिलों में ये वीरानी नहीं होती।

जो वक्त थम जाता उस मोड़ पर कहीं,
जहाँ खड़ी थी खुशियों की एक जमीं।
तुम कदम बढ़ाती अगर साथ मेरे,
तो तक़दीर भी यूँ बेवफ़ा नहीं होती।

©theABHAYSINGH_BIPIN #NewYear2024-25 

तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती,
बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती।
तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर,
आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नहीं होती।

हम तो थे रौशनी की एक राह जैसे,

#Newyear2024-25 तुम समझती तो ऐसी दूरी नहीं होती, बिछड़ने की कोई मजबूरी नहीं होती। तुम चलती मेरे साथ हाथ पकड़कर, आज फ़ासले और ये बेरुख़ी नहीं होती। हम तो थे रौशनी की एक राह जैसे, #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।
ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है,
ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में।

अरसों से खुद को सँवारा है मैंने,
बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में।
लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार,
मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में।

थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से,
ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में।
ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में,
अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari 
तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।

#sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार में। घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी, खो जाने दो मुझे मखमली छांव में। #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

White इश्क़ ए ज़ज़्बात

इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं,
हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं।
कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी,
ए इश्क़ के गलियारें कभी भाया नहीं।

मैंने याद बहुत किया उन हसीं लम्हों को,
बीत गया सावन वो वापस आया नहीं।
सुख गईं आँखें मेरी अच्छे की आस में,
पर ख़्वाब हक़ीकत में कभी आया नहीं।

कितना अजीज़ शख़्स था मेरे दिल को,
जो इश्क़ ए ज़मीं पर कभी आया नहीं।
अभय, इंतेज़ार की ये घड़ियाँ गवाह हैं,
ना आने का कारण कभी बताया नहीं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #GoodNight 

इश्क़ ए ज़ज़्बात

इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं,
हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं।
कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी,
ए इश्क़ के गलियारें कभी भाया नहीं।

#GoodNight इश्क़ ए ज़ज़्बात इश्क़ - ए ज़ज़्बात कभी छुपाया नहीं, हाल- ए - दिल उसे कभी बताया नहीं। कैसे बयाँ करता इस इश्क़ की नादानी, ए इश्क़ के गलियारें कभी भाया नहीं। #शायरी

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theABHAYSINGH_BIPIN

वक्त के साथ किरदार बदलता है,
वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं।
कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर,
वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं।

वक्त के साथ मिटती हैं दूरियाँ,
वक्त के साथ अपने भी बदलते हैं।
क्यों पकड़े हो कसकर पतंग की डोर,
इशारे में थामो, उड़ान बदलती है।

क्यों बढ़ने हैं तुम्हें सब एक दिशा से,
वक्त के साथ रिश्ते भी बिखरते हैं।
क्यों आवेश में पड़े चिंतित हो,
वक्त पर ही सारी पहेलियाँ सुलझती हैं।

हर रिश्ते में वो जज़्बात रहते हैं,
हर रिश्ते में वो तड़प रहती है।
क्यों हो इतना भी बेकरार तुम,
वक्त पर ही नींद सुकून की आती है।

जिंदगी का फ़लसफ़ा किसे पता,
वक्त पर ही जिंदगी सब सिखाती है।
क्यों कार्यों के बोझ तले डूबे हो,
वक्त ही वक्त ख्वाहिशें जगाता है।

नासूर ज़ख्मों की परवाह क्यों,
वक्त पर ही दवा मिलती है।
दिल अगर टूटा है तो क्या हुआ,
वक्त पर ही अपने मिलते हैं।

क्या हुआ जो मौसम सावन चला गया,
वक्त पर ही तो सारे मौसम बदलते हैं।
क्या हुआ जो रिश्ते पतझड़ बन गए,
वक्त पर ही बसंत की बहार खिलती है।

छोड़ दो बेफिक्री में बेफिकर उसे,
वक्त पर ही दबे राज भी खुलते हैं।
वक्त पर सब कुछ अच्छा मिलता है,
वक्त पर ही सही, नक्षत्र मिलते हैं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Hope  
वक्त के साथ किरदार बदलता है,
वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं।
कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर,
वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं।

वक्त के साथ मिटती हैं दूरियाँ,
वक्त के साथ अपने भी बदलते हैं।

#Hope वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के साथ मिटती हैं दूरियाँ, वक्त के साथ अपने भी बदलते हैं। #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

White इश्क़ में बग़ैर डूबे पनाह चाहते हो,
इश्क़ में बग़ैर डूबे जवाब चाहते हो।
सुना है गुनाहगार बहुतों के हो तुम,
बग़ैर ज़ख्मों वाला इश्क़ चाहते हो।

सुना है इश्क़ ने बहुत दीवारें गिराई हैं,
इश्क़ के सरहदों को मिटाना चाहते हो।
कितने फना हुए इश्क़ के इम्तिहान में,
दर्द बग़ैर इश्क़ का गुलज़ार चाहते हो।

बिन आवाज़ दिए बुला रहे हो उसको,
बग़ैर जज़्बात इश्क़ का जुनून चाहते हो।
इश्क़ के खेल में लोग छोड़ देते हैं पसीने,
बग़ैर बहाए खून इश्क़ का हार चाहते हो।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 
इश्क़ में बग़ैर डूबे पनाह चाहते हो,
इश्क़ में बग़ैर डूबे जवाब चाहते हो।
सुना है गुनाहगार बहुतों के हो तुम,
बग़ैर ज़ख्मों वाला इश्क़ चाहते हो।

सुना है इश्क़ ने बहुत दीवारें गिराई हैं,
इश्क़ के सरहदों को मिटाना चाहते हो।

#love_shayari इश्क़ में बग़ैर डूबे पनाह चाहते हो, इश्क़ में बग़ैर डूबे जवाब चाहते हो। सुना है गुनाहगार बहुतों के हो तुम, बग़ैर ज़ख्मों वाला इश्क़ चाहते हो। सुना है इश्क़ ने बहुत दीवारें गिराई हैं, इश्क़ के सरहदों को मिटाना चाहते हो। #शायरी

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theABHAYSINGH_BIPIN

White कहाँ हो तुम?
जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती,
जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती।

कहाँ हो तुम?
जो मेरे काँपते होठों पर उँगली रख, ख़ामोशी को सुकून देती,
जो मेरे दिल की बेचैनी में, सांसों को जीवन देती।

कहाँ हो तुम?
कैसे तुम्हें आवाज़ दूँ, जो आकर इस तन्हाई को मिटाती,
जो मेरे सूने लम्हों को, उम्मीदों से रंग देती।

कहाँ हो तुम?
कितना कुछ कहना था तुझसे, जो मेरे ख्वाबों को हकीकत बनाती,
तुम होती, तो मैं पूरा होता, अगर तुम मेरे साथ होती।

कहाँ हो तुम?
तुम्हारी गैरमौजूदगी में सब अधूरा सा लगता है,
जो इस वीराने दिल को, फिर से धड़कन देती,
जो मेरे टूटे अरमानों को नई रौशनी देती।

कहाँ हो तुम?
जो मेरे साथ होकर इस अधूरे इश्क़ को पूरा करती,
जो मेरे वीरान सफर को, मोहब्बत का नया गीत गाती।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_quotes 

 हो तुम?
जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती,
जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती।

कहाँ हो तुम?
जो मेरे काँपते होठों पर उँगली रख, ख़ामोशी को सुकून देती,

#sad_quotes हो तुम? जो मेरी आँखों की खनक में, मेरी तन्हाई को समझती, जो मेरे हाथों में अपना हाथ रख, हर दर्द को सहलाती। कहाँ हो तुम? जो मेरे काँपते होठों पर उँगली रख, ख़ामोशी को सुकून देती, #कविता

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theABHAYSINGH_BIPIN

Unsplash हालत-ए-दिल जरा संभलने दो,
हालात बदन को संवरने दो।
इश्क़ तो एक राह है जुनूँ की,
उससे शहर से मुझको गुजरने दो।

पर एक रौनक़ इश्क़ ठहरने दो,
ढूँढ़ लेंगे दिल के लिए एक ठिकाना।
इस दिल से पछतावे को निकलने दो,
इश्क़ की राह में अब कोई न आना।

©theABHAYSINGH_BIPIN #lovelife 

हालत-ए-दिल जरा संभलने दो,
हालात बदन को संवरने दो।
इश्क़ तो एक राह है जुनूँ की,
उससे शहर से मुझको गुजरने दो।

पर एक रौनक़ इश्क़ ठहरने दो,

#lovelife हालत-ए-दिल जरा संभलने दो, हालात बदन को संवरने दो। इश्क़ तो एक राह है जुनूँ की, उससे शहर से मुझको गुजरने दो। पर एक रौनक़ इश्क़ ठहरने दो, #वीडियो

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theABHAYSINGH_BIPIN

White वयां करती है कभी इश्क़, कभी रंज,
मेरे दर्द से आँखें चार नहीं करती।
नज़रें मिले तो मुड़ जाए कहीं,
वो अब मेरे साथ नहीं चलती।

स्टेटस से बयाँ करती है अपना दर्द,
वो मुझसे अब प्यार नहीं करती।
जो कहती थी, "सात खून माफ़ तेरे",
गलती पर अब आँखें चार नहीं करती।

कसती है अपने शब्दों से मुझपे तंज,
सीधे-सीधे अब मुझसे कुछ नहीं कहती।
बयाँ करती है मुझसे अपने रंज सभी,
वो आँखों से कत्ल-ए-आम नहीं करती।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Thinking 
वयां करती है कभी इश्क़, कभी रंज,
मेरे दर्द से आँखें चार नहीं करती।
नज़रें मिले तो मुड़ जाए कहीं,
वो अब मेरे साथ नहीं चलती।

स्टेटस से बयाँ करती है अपना दर्द,
वो मुझसे अब प्यार नहीं करती।

#Thinking वयां करती है कभी इश्क़, कभी रंज, मेरे दर्द से आँखें चार नहीं करती। नज़रें मिले तो मुड़ जाए कहीं, वो अब मेरे साथ नहीं चलती। स्टेटस से बयाँ करती है अपना दर्द, वो मुझसे अब प्यार नहीं करती। #मोटिवेशनल

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