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Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)

मैं क्या लिखूं खुद के बारे में जिसने अपना बजूद खो दिया हो इश्क के गलियारों में जबतक सांस थी एक एक दे दी उसको जब जिस्म से रूह निकल गई तो उस बेवफा ने फेक दिया मुझको वापस न आने वाले दुखों के अंधियारों में।

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Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)

meri kalam se

©Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)
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Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)

नफरतों के दौर में प्यार का दीप जला था दीप तो न जला लेकिन खुद की खुशियों की चिता को जला बैठा जब उसकी अदालत में मेरी सुनवाई हुई तो सबूत तो कुछ न मिला मेरे खिलाफ फिर भी ता उम्र का दुख दर्द सजा ए मुलजिम ले बैठा...

©Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)
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Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)

...उंगली पकड़ कर साथ चलना सीख रहा हूं तुझमें हर पल अपनी बचपन की तस्वीर देख रहा हूं गले लगाकर बहुत सुकून मिलता है तुम्हे खुद में अब तुम्हे महसूस कर रहा हूं...

©Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)
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Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)

...इतने पास आकर भी कितने दूर हैं हम मजबूरी से नही संस्कारो से मजबूर हैं हम मिलन अपना नदी के दो किनारों सा है इतना पास होकर भी सच में कितना दूर हैं हम...

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Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)

...कुछ किताबो को पड़ना बेहद आसान होता है और वही कुछ किताबो को पड़ने के बाद उसको समझना बेहद मुश्किल होता है ...

©Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)
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Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)

तुमसे दूर जाने को दिल गवाही नही देता है तुमसा मासूम चेहरा की कही खोने की इजाजत ही नही देता है तुम सामने  हमेशा ऐसे ही मासूम सी रहो लाडो की तुम बड़ी हो जाओ ऐसा मन गवाही नही देता है

©Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)
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Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)

जिंदगी चाहे जैसी हो जीने का मजा तभी है जब गमों के साए में खुशी ढूंढनी पड़ जाए

©Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)
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Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)

तेरी हर मासूमियत पर  प्यार आता है तुझको देखकर कुछ कुछ खुद का बचपन याद आता है हर बार निश्छल सा देख तेरा मासूम चेहरा तुझपे मेरा जिगर का टुकड़ा प्यार बेशुमार आता है

©Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)
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Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)

मां  सा कोई नही

©Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)
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Mr K...(मेरे एहसास मेरी कलम से)

...बस समझने की बात होती है अंत जैसा कुछ नही होता है अंत तो बस एक नई शुरूआत होती है ...

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