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prasoon3371
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प्रसून

Poet turned Banker.

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प्रसून

*** अवशेष ***

हैं अब भी जकड़े हुए आलिंगन
और कुछ तुम्हारी यादों का अंतहीन सिलसिला
मैं फिर दूर जाकर भी
तेरे गाँव से उतना दूर जा न सका।

तुम कोई अकेली न थी
जिसे गाँव ने दम भर भुलाया
भूल जाने की ये महामारी
हर शख्स में कुछ उतनी ही समायी थी
जितना मैं तुम्हारे भीतर
आज भी कहीं बचा, छिपा रह गया।▪️

©प्रसून #rain
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प्रसून

हैं अब भी जकड़े हुए आलिंगन
और कुछ तुम्हारी यादों का अंतहीन सिलसिला
मैं फिर दूर जाकर भी
तेरे गाँव से उतना दूर जा न सका।

तुम कोई अकेली न थी
जिसे गाँव ने दम भर भुलाया
भूल जाने की ये महामारी
हर शख्स में कुछ उतनी थी समायी
जितना मैं तुम्हारे भीतर
आज भी कहीं छिपा, बचा रह गया।▪️

©प्रसून #Flower
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प्रसून

Good Morning quotes in Hindi कुछ नहीं होगा
सख़्त और थोपे जानेवाले
कानून बनाने से!

सब करेंगे मार- काट
और रोटी को पछाड़कर
छीन लेंगे एक दूसरे की
लाचार भूख को।

कर देना होगा ख़र्च जल्दी
आबोहवा बचानेवाली नीतियों को
नहीं तो सलीके सिखाने पर भी
वे आख़िरी में सबको नोच खाएंगे।

बिना किये देर
सब संभालने की कोई
ज़िद ज़रूरत बनानी होगी।

इक उम्मीद
कि अगर कुछ रहेगा
तो सिर्फ़ प्रेम बचने से बचेगा।

युद्ध, जो सच है
फिर भी बचा हुआ रहेगा
अपने अंदर प्रेम ही लेकर,

और ख़र्च होकर भी
कुछ ऐसे ही
हम- तुम कहीं बचे हुए रहेंगे।

©प्रसून #OneSeason
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प्रसून

कुछ नहीं होगा
सख़्त और थोपे जानेवाले
कानून बनाने से यहाँ!

सब करेंगे मार- काट
और रोटी को पछाड़कर
छीन लेंगे एक दूसरे की
लाचार भूख को।

कर देना होगा ख़र्च जल्दी
आबोहवा बचानेवाली नीतियों को
नहीं तो सलीके सिखाने पर भी
वे आख़िरी में सबको नोच खाएंगे।

बिना किये देर
सब संभालने की कोई
ज़िद ज़रूरत बनानी होगी।

इक उम्मीद
कि अगर कुछ रहेगा
तो सिर्फ़ प्रेम बचने से बचेगा।

युद्ध, जो सच है
फिर भी बचा हुआ रहेगा
अपने अंदर प्रेम ही लेकर,

और ख़र्च होकर भी
कुछ ऐसे ही
हम- तुम कहीं बचे हुए रहेंगे।

©प्रसून #Lifelight
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प्रसून

वैसे, आज कुछ नहीं किया!

घर में बिखरी पड़ी
किताबों को ठीक किया
गुलदान में नये फूल लगाये।

कुछ दिनों से मुरझा- से गये
पौधों को पानी दिया
किया कमरे को
कुछ गुज़र- बसर करने तक साफ़।

दवाइयों को सहेजकर किनारे
अपनी हर पुरानी ग़ैर- ज़रूरी रिपोर्ट देखी।
सारा दिन
दम फूलते रहने से भी
दर्द नहीं महसूस किया कुछ ज़्यादा।

किया तो कुछ भी नहीं यूँ
बस इतना कि
हाँ, आज तुमको याद नहीं किया।

©प्रसून #Flower
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प्रसून

वैसे, आज कुछ नहीं किया!

घर में बिखरी पड़ी
किताबों को ठीक किया
गुलदान में नये फूल लगाये।

कुछ दिनों से मुरझा- से गये
पौधों को पानी दिया
किया कमरे को
कुछ गुज़र- बसर करने तक साफ़।

दवाइयों को सहेजकर किनारे
अपनी हर पुरानी ग़ैर- ज़रूरी रिपोर्ट देखी।
सारा दिन
दम फूलते रहने से भी
दर्द नहीं महसूस किया कुछ ज़्यादा।

किया तो कुछ भी नहीं यूँ
बस इतना कि
हाँ, आज तुमको याद नहीं किया।

©प्रसून #Beauty
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प्रसून

"मोहब्बत जिन्हें हो गई हो किसी से
मोहब्बत का अंजाम कब सोचते हैं
ये ऐसा सुहाना सफ़र है कि जिसमें
हज़ारों है नाकाम, कब सोचते हैं!

चिराग-ए-वफ़ा अपने हाथों में लेकर
मोहब्बत की राहों में जो चल पड़े हैं
बयाबाँ में होगी कि सेहरा में होगी
कहाँ होगी अब शाम, कब सोचते हैं!

मोहब्बत के मारों को अब और ऐ दिल
सताएंगी क्या सख्तियाँ ज़िंदगी की
जिन्हें थक के नींद आ गयी पत्थरों पर
वो दुनिया का आराम, कब सोचते हैं!

मोहब्बत ही जिनको ख़ुदा बन चुकी हो
किसी और का नाम कब सोचते हैं
मोहब्बत जिन्हें हो गई हो किसी से
मोहब्बत का अंजाम कब सोचते हैं,
मोहब्बत का अंजाम कब सोचते हैं!!"

- समशुल हुडा 'बिहारी'

©प्रसून #WalkingInWoods
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प्रसून

जो था
क्या विदा होने तक ही था!

तुम्हारी रोशनी, यादें, हँसी, दुःख
सब क्या
आखिरी स्पर्श में ही
सिमटे हुए थे?

तुम गयी क्या
आख़िरी बार छूकर
सब वहीं छोड़कर चली गयी,
तो फिर कुछ भी
मुझे सलीके से मिलता क्यों नहीं!

©प्रसून #SunSet
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प्रसून

जो था
क्या विदा होने तक ही था!

तुम्हारी रोशनी, यादें, हँसी, दुःख
सब क्या
आखिरी स्पर्श में ही
सिमटे हुए थे?

तुम गयी क्या
आख़िरी बार छूकर
सब वहीं छोड़कर चली गयी,
तो फिर कुछ भी
मुझे सलीके से मिलता क्यों नहीं!

©प्रसून #SunSet
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प्रसून

किसी महामारी से मौत आए
तो बेहतर है।

कि मेरी पीठ पर
मुल्क़ की जवाबदेही तो नहीं,
जिससे मुँह फेरकर मैं
भरी सभाओं में कहकहे लगाता हूँ।

मैं क्यों कोई संताप लेकर मरूँ!

©प्रसून #fog
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