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nirbhaychauhan6974
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निर्भय चौहान

Nirbahay.kumarsingh1@insta अभी जिंदा हूँ मैं, अभी शब्द आते है मेरे घर, नगमे,ग़ज़लें, शेर ले कर। अभी लिख सकता हो, मैं अपने जज्बात। जो कभी कह नही पता तुमसे। तुमसे बिछड़ने के बाद, ज्यादा पुख्ता हो गई है चाहत। तुम्हे यकीन न हो मगर। अभी जिंदा हूँ मैं।

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निर्भय चौहान

White मुझसे दुनिया की शिकायतें करते करते,
न जाने कब उसे मुझसे शिकायत हो गई!
कुछ पता ही नहीं चला।

©निर्भय चौहान #Sad_Status  'दर्द भरी शायरी'

#Sad_Status 'दर्द भरी शायरी'

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निर्भय चौहान

White एक तेज दर्द की टीस हूँ मैं,
तुम कोई मरहम लगती हो।

मैं कुंभ का सन्यासी,
या हज का कोई काजी हूँ।
तुम ब्रह्ममुहुर्त की ऊर्जा हो,
तुम गंगा ज़मजम लगती हो।

मैं हालातों की गर्म धूप में
सूखा सूखा लाल मिर्च।
तुम सर्दी की नरम धूप में 
मीठी चमचम लगती हो।

मैं जैसे हारे कंधे हों
किस्मत के मारे धंधे हों।
तुम भाग्य की देवी हो खुद ही
तुम जीत का परचम लगती हो।

©निर्भय चौहान #sad_qoute
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निर्भय चौहान

White खाली हैं वो जाम कि जिनमें सारी दुनिया डूबी थी।
डूबा था जो वो होश में न था दरिया में क्या खूबी थी।।

इश्क पे कोई ज्योतिष जादू काम कहां करता है यार।
बदनामी  के ले दाग गया वो हाथ में जिसके रूबी थी।।

©निर्भय चौहान #GoodMorning  करम गोरखपुरिया  Sandeep Kumar Saveer  Rakhee ki kalam se  वरुण तिवारी  katha(कथा)

#GoodMorning करम गोरखपुरिया Sandeep Kumar Saveer Rakhee ki kalam se वरुण तिवारी katha(कथा) #शायरी

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निर्भय चौहान

White तुम्हारे वास्ते तुझ से में इश्क कर लूं सही,
मगर बताओ मुझे इससे पर मिलेगा  क्या।

©निर्भय चौहान #sad_qoute  शायरी हिंदी में दोस्ती शायरी '15 अगस्त पर शायरी' Entrance examination Kartik Aaryan Madhusudan Shrivastava  नीर  Rakhee ki kalam se  Vishalkumar "Vishal"  katha(कथा)

#sad_qoute शायरी हिंदी में दोस्ती शायरी '15 अगस्त पर शायरी' Entrance examination Kartik Aaryan Madhusudan Shrivastava नीर Rakhee ki kalam se Vishalkumar "Vishal" katha(कथा)

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निर्भय चौहान

White तुम मुझे ख्वाब में देखती हो जाग जाती हो।
यानी मुझसे बिछड़ के तुझे नींद आ जाती है।।

©निर्भय चौहान #sad_quotes  शेरो शायरी शायरी लव लव शायरी हिंदी में शायरी हिंदी '15 अगस्त पर शायरी' Kumar Shaurya  Madhusudan Shrivastava  Vandan sharma  वरुण तिवारी  Rakhee ki kalam se

#sad_quotes शेरो शायरी शायरी लव लव शायरी हिंदी में शायरी हिंदी '15 अगस्त पर शायरी' Kumar Shaurya Madhusudan Shrivastava Vandan sharma वरुण तिवारी Rakhee ki kalam se

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निर्भय चौहान

White न रंग ,न रूप।
न जान ,न पहचान।
फिर क्यों अचानक से तु अपना लगता है।
तेरे साथ गुजरता हर पल सपना लगता है।
ऐसा लगता है कि बस घंटों तेरा हाथ थामे बताऊं,
उम्र के इस मोड पे तेरा मिलना उम्मीद है।
बस दिल को लगता है कि तू आस पास रहे।
मैं जब बताना चाहूं तुम्हे की दुनिया कितनी बुरी है।
मेरे होंठो पे तुम उंगली रख दो।
कहो कि तेरी दुनिया मैं हूँ और
मैं भूल जाऊं अपने दुःख।
वो दुख जो शायद इसलिए आज तक जिंदा थे।
तुम मुझे पसंद करो।

©निर्भय चौहान #good_night
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निर्भय चौहान

White इस इंतजार में सूख गया एक दरिया।
फसल पक जाएगी तो बह लेंगे।।

ये समंदर को पानी की जरूरत क्या है।
प्यास आवाज लगाएगी तो बह लेंगे।

जिसे है पार उतरना वो नाव उतारे 
हवा जब नाव बहाएगी तो बह लेंगे।

ठहरे पानी में कोई मीन कैसे मरने लगी।
जब चीखेगी चिल्लाएगी तो बह लेंगे।

यूं तो बहना था काम लेकिन ये इश्क
जब इल्ज़ाम लगाएगी तो बह लेंगे।

©निर्भय चौहान #good_night
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निर्भय चौहान

green-leaves जब भी खुद को सोचता हूँ,
तेरे साथ पाता हूं।
जब भी चाहता हूँ कुछ बेहतर देना तुमको।
मैं चाहता हूँ खुद को खुशियां देना।
बेशक तुम्हारी चाहत मेरी किस्मत हो न हो।
मेरी किस्मत तुम्हारी चाहत है।।

निर्भय चौहान

©निर्भय चौहान #GreenLeaves
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निर्भय चौहान

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ये अजनबी से रास्ते अब अपने लगते हैं।
ये देवदार तने हुए हैं जैसे प्रहरी हो प्रेम के।
बर्फीली हवाओं में सिमटा जिस्म तेरे ख्वाब देख कर,
कश्मीरी सिगरी की गर्माहट पा रहा है।
ऐसे में तुमसे गुजारिश है कि न मत कहना।
वरना डल झील के शिकारों पर मोहब्बत तनहा कैसे बैठेगी।
या कौन पियेगा कहवा ।
चांदनी रात में श्वेत निर्मल पहाड़ पे चांद क्यों देखेगा कोई।
जब तुम न होगी साथ उसे चिढ़ाने को।
एक बेदाग हुस्न लिए धड़कनों का गीत हो जाना
तुमने सीखा है कहां से पत्थर को मोम बनाना।
कोई जादू है, तो हो मगर अच्छा लगता है।
तुम,तुम्हारा साथ,और ये एहसास बस सच्चा लगता है।
ऐसा लगता है कि अब फिर से सुबह हो रही है।
ऐसा लगता है कि फिर से शाम सुकून लाई है।
सहमी सहमी सी उम्मीदों को हौंसला मिल रहा है।
जैसे नन्हे परिंदे को नया घोंसला मिल रहा है।
सुबह शबनम की बूंद में जैसे तारे समाए हों,
सुदूर अंधेरे सागर में किसी कश्ती पे बैठे मछुआरे ने दिया जलाया हो,
अपनी तनहाई को बांटने के लिए।
जैसे ऑफिस की एक चाय बांट लेती है ,
तुम्हारे साथ मेरी खुशी।
मैं भी बांटना चाहता हूँ तुमसे जिंदगी अपनी।
घर की दहलीज पे दिखता है मुझसे शुभ्र कलश।
और तेरे पांव में महावर भी।
खनकते कंगनों की बीच तेरे पायलों का गीत है,
और तेरी छोटी सी नाक नहीं आती बीच में,
जब अधर एकसार हो रहे होते है।
मेरी आंखों पे तेरा चेहरा और
मेरे घर के खुले दरवाजे पे परदा झूल गया है।।

©निर्भय चौहान #SunSet  Vandan sharma  katha(कथा)  mahi singh  करम गोरखपुरिया

#SunSet Vandan sharma katha(कथा) mahi singh करम गोरखपुरिया #कविता

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निर्भय चौहान

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