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trilok2836615704716
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Trilok

इक पल में जी लो लाख जिन्दगी। follow me on YouTube I'd (shrut samadhan)

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Trilok

सोचा न था कि मैं तुमसा हो गया
या मैं तुझ में खो गया
अरे नहीं, तुमने तो संवार दिया मुझको
जिंदगी में प्यार का उधार दिया मुझको
मैं कब उतार पाऊंगा कर्ज तेरा
धरती और आसमान सा रिश्ता है तेरा मेरा
दूर आसमां सी रहती हो पर नित निहारता हूं मैं
तुझ में मेरे अक्स को खंंगालता हूं मैं
जब एक ही हो गए हैं, तो खोज खत्म हो गई है मेरी
जिंदगी तेरी अब हो गई है मेरी
सोचा न था तुम बन जाओगी आफताब
मेरा ही ओढ़ लोगी नकाब
सोचा न था पर हकीकत हो गया
अब मैं हूं ही नहीं, सब कुछ तेरा हो गया
सब कुछ तेरा हो गया।।

©Trilok
  #hands
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Trilok

सोचा न था,
आजाद पंछी पिंजरे में 
वीर भी झुक गया रण में
दिन छोटा और रात बढ़ गई 
अलग सी दीवानगी चढ़ गई
सोचा न था कि गहरा असर कर जाओगी तुम 
रग-रग में इस कदर समा जाओगी तुम
बेईमानी पर उतर आई है धड़कन 
भीग गया पूर्णतया मेरा तन-मन
to be continue.....

©Trilok
  #hands
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Trilok

आदि दिवस का स्मरण, आज करते हैं जनाब।
गुणों से महकाया जीवन, बनकर के गुलाब।।
प्रभु बहुत दूर रखे आपको, गम की परछाई से,
जन्मदिन की शुभकामना, दिल की गहराई से।।

©Trilok
  #IFPWriting
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Trilok

महावीर का 'म' कहता है मन का संयम बना रहे,
महावीर का 'हा' कहता है हाथ दया से सना रहे।
महावीर का 'वी' कहता है वीर भक्त इंसान बने,
महावीर का 'र' कहता है रत्नाकर रसखान बने।।


प्रभु महावीर जन्म कल्याणक की शुभकामनाएं mahavir jayanti

mahavir jayanti #कविता

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Trilok

महावीर का 'म' कहता है मन का संयम बना रहे,
महावीर का 'हा' कहता है हाथ दया से सना रहे।
महावीर का 'वी' कहता है वीर भक्त इंसान बने,
महावीर का 'र' कहता है रत्नाकर रसखान बने।।


प्रभु महावीर जन्म कल्याणक की शुभकामनाएं

©Trilok #Likho
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Trilok

आप बहुत बेदर्द हो
जो आपने बोझ किताबों का भर दिया
मेरे खेल-खिलौने से किनारा कर दिया
इतना लिखा हाथों ने जैसे इतिहास लिख दिया
आपने मेरे बचपन को बहुत है दर्द दिया

नहीं नहीं ऐसा नहीं है
आप बेदर्द नहीं, आप तो हमदर्द रहे
जो किताबें भरी थी आपने, वो हल्का कर रही है जिंदगी
विभिन्न पहलुओं से खेल अनोखे खिला रही है जिंदगी
लिखा आज वो हस्ताक्षर रूप में कमाल कर रही जिंदगी
ताउम्र करूंगा मैं आपके चरणों की बंदगी

©Trilok #Teachersday
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Trilok

आज दोस्ती का दिन है
पर याद रखना,
दोस्ती निभाने का कोई एक दिन नहीं होता
वह तो हर दिन निभाई जाती है
दोस्ती हर दोस्त के दिल में हरदम पाई जाती है।
जो सुख में सुख को बढ़ाने आ जाता है
दुःख में दुःख को बांट ले जाता है
डूबती नैया में बन जाता है पतवार
डगमगाते कदमों का बन जाता आधार
हावी नहीं होती उस पर स्वार्थ परस्ती
नि:स्वार्थ भाव से सज्जित होती है दोस्ती
पर जहरीले वातावरण का इस पर भी हुआ असर
गिरता ही जा रहा दोस्ती निभाने का स्तर
कमियों को ढकने वाला ही उद्घाटित कर रहा
संबल देने वाला ही दर्द दे रहा
अपेक्षाओं की अपूर्ति से तार-तार हो रही
अशोभनीय कृत्यों से शर्मसार हो रही
लाज रखो भाई! कृष्ण-सुदामा की मित्रता की
इस रिश्ते की पवित्रता की
निभाओ इस कदर की मिसाल बन जाए
बिना दोस्त के अधूरेपन की कसक सताये 
मैं और मेरे दोस्त इस रिश्ते में जान डाले
संकल्प करे कि कभी भी न हो फासले....

©Trilok #FriendshipDay
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Trilok

वन्दना चरणों में उनके,
जो रत्न उपवन के भावी बागबान

संघ का संचालन व्यवस्थित,
सेवा में अध्यवसायी महान

आगम की नित्य देते वाचना,
भक्तों के खिल जाते प्राण

जन्मदिवस है महेन्द्र गुरु का,
गुणों का हम करते गुणगान

©Trilok #guru
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Trilok

ऊँचे ओहदे पर पहुँच उच्च शब्दों का
प्रयोग करके ही दूसरों से
सम्मान पाया जाता है और
ऊँची सोच से कार्य का क्रियान्वयन
करके ही प्राप्त ओहदे के अधिकारों
को सार्थक किया जाता है।

©Trilok ohada

#Seating

ohada #Seating

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Trilok

सुरूर छाया मुझपर, वजह क्या है?
तुम भूल से भी भुलाई नहीं जाती
नजदीकियां ही हरपल सुहाती
आँखों का जुनून बस तुझे देखूँ
दिल भी कर रहा बदमाशी कि तेरी धड़कनों संग धड़कू 
कुछ भी तो नहीं है वश मेें 
कोई तीर नहीं तरकश मेें 
आखिर तेरी फतह का कारण क्या है?
सुरूर छाया मुझपर, वजह क्या है?
जब पास मेें हो तो समय तेज दौड़ता 
ठहर सा जाता है जब दूर होता
कसक तुझे न देख पाने की 
यादें आती याद मधुर अफसाने की
ये अक्षर उकेरने की, भला सतह क्या है?
सुरूर छाया मुझपर, वजह क्या है?
दिन-रात मूसलाधार बारिश प्यार की
अपलक चाहना रखती हो दीदार की
खयाल दूसरे तो बेवफाई पर
खूब-खूब करती हो मेरी कदर
मुझमें सब और रब को देखती हो
मेरी ख्वाहिशों तले खुद को फना कर देती हो
सुरूर छाने की बस यही तो वजह दृष्टिगत है।
मैं तेरी और तू मेरी जरूरत है।।

©Trilok pinka

pinka #Poetry

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