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sachinchamola3692
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sachin chamola

आत्मा के सौंदर्य का शब्द रूप है काव्य, मानव होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य

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sachin chamola

मैं ढूंढ रहा तुझें मृग तृष्णा सा
प्रेम -विरह की पीड़ प्रिये
तू बन जा कस्तूरी मन की
मैं मन से जोड़ूं मेल प्रिये

किस चौखट फिरूं किस मंदिर में
 कहाँ करूँ अरदास प्रिये
मन की आँखे हैं खुली हुई
मैं प्रेमभक्त सूरदास प्रिये

मैं शब्दों में गढ़ता भावों को
जैसे कोई कविराज़ प्रिये
तू समझ सके यदि कुछ शब्दों को
समझूँ इनको साकार प्रिये

मैं प्रेम सफऱ का नन्हा पंछी
तुम मेरा हो आसमान प्रिये
ये बंधन का ऐसा संगम है
जैसे तीर्थ कोई हरिद्वार प्रिये
   ( सचिन चमोला )

©sachin chamola
  #YouNme
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sachin chamola

पुकारे आत्मा हर दर्द पर
अभी एक तृण उजाला शेष है.
मरा एक स्वप्न अँधेरी रात्रि सा
तुझ में उजाला शेष है.

माया से रचित संसार में
दुःख बादलों का भेष है.
जला उजाला अपने अंतस्थ में
तुझ में उजाला शेष है.

गिरता है तू हर दिन 
अपनी ही बनायीं ठोकरों से.
सहारे ढूंढ़ता है जग में
मन की बनायीं लहरों से

जो मन पतवार बन जाये
तू भी किनारे लग जाये
काले बादलों सा घना दुःख
सूरज के आते छिप जाये

धीरज़ से इस पल तू संभल
छनिक सुःख के लिए ना तरस
इस पल के अंधरे को झेल ले
मन के उजाले से खेल ले

दुःख बादलों का भेष है
तुझ में उजाला शेष है.
(सचिन चमोला )

©sachin chamola
  #achievement
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sachin chamola

लेख -डायरी एक जीवित अहसास 
लेखक -सचिन चमोला 

उदास रातों मैं मेरी डायरी और मैं एक दूसरे के सहारे से थे डायरी का हर पृष्ठ मानों आतुर था मेरी भावनाओं की शाब्दिक रचना के लिए क्योंकि शब्द ही थे जो उस पर अंकित होते, जीवन का हर अनुभव एक जैसा नहीं,  हर दिन एक जैसा नहीं ये बदलते हैं मौसमों की तरह, उदासी भी इस बात की नहीं की कोई रूठा हो, या कुछ छूट गया हो  बस कभी मन यूँ ही उदास हो जाता है. फिर अपने हर अनुभव को साझा करने लगा अपनी हर यात्रा का विस्तृत ब्यौरा ऱख देता था रात को और पूरे दिन के अनुभवों को भी. ज़ब कभी भूल जाता तो डायरी की तरफ नज़र जाती मानों आज आतुर सी वो भी है अपने पृष्ठों पर अनुभवों के लिए. तार्तिक दृष्टि से देखे तो समझना मुश्किल सा है लेकिन तर्क से आगे की दुनिया भी है जहाँ हर चीज गतिशील है उसके लिए अनुभव आवश्यक है.

©sachin chamola #Sunrise

13 Love

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sachin chamola

कविता -कुछ उलझनें तो हैं ही 

ये जीवन है कुछ उलझनें तो हैं ही
कहीं कांटे तो कुछ चुभन हैं ही 
अपना कौन और पराया कौन यहाँ 
मन की संवेदनाओं की उपज हैं ही 

जीवन कभी ठहरता नहीं है 
और ठहराव हो वो जीवन भी नहीं है 
लाभ-हानि, सुख-दुःख का तराज़ू सब पे 
कोई एक सिरे वजन बढ़ाता है तो 
दूजे सिरे मैं कुछ कमी सी लगती है 
कुछ दोनों सिरों मैं संतुलित से हैं 
उनके लिए जीवन रंगीन लगती है 

बाहर की परिस्थितियों से लड़ना आसान है 
मन की स्थिति भ्रमित करती है 
और मन की डोरी थाम ले कोई 
फिर बाहर की स्थिति कहाँ कठिन लगती है 

जो पल-पल मरता है जीने को यहाँ 
वो पल -पल जीता है मरने से पहले 
जो हर पल-पल जीता है क्षणिक सुखों मैं 
वो पल -पल मरता है जीते ज़ी 
(सचिन चमोला )

©sachin chamola #bye2020

13 Love

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sachin chamola

जितना हुनर दिखता है पर्दे पर 
उससे कहीं गुना पर्दे के पीछे छुपा है 
कोई छोटू नाम से किसी होटल मै 
कोई किसी चौराहे पर हाथ फैलाये खड़ा है 
जिनको अवसर मिलता है जीवन मैं 
उनकी कहानी भी हमने पढ़ी है 
लेकिन सर्द रातों मैं ठिठुरती 
कुछ जवानी भी यहाँ गई हैं 
कितने बदन यहाँ लिबास के लिए तरसते 
कितनी आँखे माँ -बाप के लिए तरसती 
कितने सपने दफ़न हुए गरीबी मै 
कितनी आँखों मैं बस पानी -पानी है 
कहीं आधार है पर सपने नहीं 
कहीं सपने है लेकिन आधार नहीं 
कहीं बस्ता और बचपन है 
कहीं ना बस्ता है ना बचपन है 
(सचिन चमोला ) #You&Me

#you&Me

8 Love

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sachin chamola

चाँद को एक जैसा मन समझना 
ये आकार बदल लेता है 
पूर्णिमा और अमावस हो तो 
ये ब्यवहार बदल लेता है 
सिर्फ चाँदनी से मत आंकना खूबसूरती को 
चाँदनी भी छिप जाती है 
ज़ब बादल घेर लेता है 
(सचिन चमोला ) #Eid-e-milad

#Eid-e-milad

8 Love

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sachin chamola

महोबत्त का अहसास बक्त बहुत लेता है 
कोई जता लेता है,  कोई भुला देता है 
किसी की ड़ोर पहले ही बँधी होती है यहाँ 
मन खामखां के सपने संजो लेता है 
एक चेहरा ज़ब बस जाये मन के मंदिर मैं 
मन फिर उसे ही भगवान बना लेता है 
(सचिन चमोला ) #wetogether
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sachin chamola

कविता - 'साइलेंट वैली ' (शांत घाटी )

(प्रकृति हमारी जिम्मेदारी है 
बदलाव नहीं बदलने की बारी है )

वनस्पतियों और जीव जन्तुओं की विविधता 
बहुत सुन्दर लगती है शांत घाटी की सुंदरता 
यहाँ के मनोहर दृश्य हर मन को भाते हैं
कृत्रिम स्वार्थ के सुखों की क्षणिकता बताती है    
                                  
                                                            अनेक  फूलों की सुगंध यहाँ 
                                                   पंछियों की कलरव की ध्वनि मंद -मंद यहाँ 
                                                   जैव विविधता की एक अनुपम धरोहर 
                                                       मानव के लिए मानवता की घोतक

   प्रकृति मै विकृति लाने का सबक भी देख लिया 
 विकाश की होड़ मै विनाश का तांडव भी देख लिया 
          हम विकसित हो रहे हैं कहने को तो 
              वास्तव मै हमने जीना ही छोड़ दिया 
                          (सचिन चमोला ) #Grassland

13 Love

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sachin chamola

कविता -खुद से मुलाक़ात 

खुद से बहुत दिनों से मुलाक़ात नहीं हुई 
जिंदगी किसी दौड़ सी दौड़ती जा रही 
कभी हर क़दमों की आहट का अहसास था 
आज किसी रेलगाड़ी सी रफ़्तार लिए जा रही 
वक्त का तराजू बदलता जा रहा है 
उम्र को कभी बच्चा तो कभी युवा बता रहा है 
उम्र के साथ कुछ जिम्मेदारियों का अहसास 
उम्र की नयी सीढ़ी की तरफ ले जा रही 
खुशी एक मंद मुस्कान लिए दरवाज़े पर 
कभी कुछ अंदर तो कभी बाहर जा रही 
मौसम के हर रंग का अहसास ज़ब होने लगे 
गर्मियों की गर्मी और सर्दियाँ ज्यादा सर्द होने लगे 
एक चिंतन फिर खुद की तलाश मैं निकले 
कितने मौसमों और कितने लोगो से मिला हूँ 
लेकिन खुद से बहुत दिनों से नहीं मिला हूँ 
(सचिन चमोला ) #Morningvibes
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sachin chamola

कविता -उधार के पल 

कहीं यादें आँखों को कुछ नम करती हैं 
फासले वो दोस्ती के कुछ कम करती हैं 
बीते दिनों के फिर लौट आये वो पल 
जो आज अपने नहीं वो उधार के पल 

कहीं चहरे यहाँ जो साथ हैं चलते 
बिछड़ जाते यहाँ जो अपने से लगते 
समय धारा मैं निकल जाते सारे पल 
जो आज अपने नहीं वो उधार के पल 

कुछ यादें समेटे बीते पलों की 
जी लेता हूँ कुछ निकले वो पल 
आज जो साथ नहीं पर अपने से लगते हैं 
वो उधार के पल 
(सचिन चमोला ) #coldnights
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