रुबाई1 चित्र/छाया शायरी11 हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी जिस को भी देखना हो कई बार देखना निदा फ़ाज़ली टैग्ज़ : आदमी और 3 अन्य सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं सुदर्शन फ़ाकिर टैग : ख़ुदा बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना आदमी को भी मुयस्सर नहीं इंसाँ होना मिर्ज़ा ग़ालिब बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमाँ जो बस गए इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए कैफ़ी आज़मी ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं इफ़्तिख़ार आरिफ़ इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं बशीर बद्र टैग : आदमी कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है निदा फ़ाज़ली टैग : तंज़ घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला बशीर बद्र टैग : मकैनिकल लाइफ़ उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा निदा फ़ाज़ली टैग : दुश्मन बुरा बुरे के अलावा भला भी होता है हर आदमी में कोई दूसरा भी होता है अनवर शऊर फ़रिश्ते से बढ़ कर है इंसान बनना मगर इस में लगती है मेहनत ज़ियादा अल्ताफ़ हुसैन हाली टैग : फ़ेमस शायरी साया है कम खजूर के ऊँचे दरख़्त का उम्मीद बाँधिए न बड़े आदमी के साथ कैफ़ भोपाली टैग्ज़ : उम्मीद और 1 अन्य 'ज़फ़र' आदमी उस को न जानिएगा वो हो कैसा ही साहब-ए-फ़हम-ओ-ज़का जिसे ऐश में याद-ए-ख़ुदा न रही जिसे तैश में ख़ौफ़-ए-ख़ुदा न रहा बहादुर शाह ज़फ़र टैग : आदमी मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदर आदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर असअ'द बदायुनी टैग्ज़ : असबाब और 3 अन्य आदमी आदमी से मिलता है दिल मगर कम किसी से मिलता है जिगर मुरादाबादी टैग्ज़ : आदमी और 1 अन्य मिरी ज़बान के मौसम बदलते रहते हैं मैं आदमी हूँ मिरा ए'तिबार मत करना आसिम वास्ती टैग : भरोसा ऐ आसमान तेरे ख़ुदा का नहीं है ख़ौफ़ डरते हैं ऐ ज़मीन तिरे आदमी से हम अज्ञात टैग : आसमान गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया निदा फ़ाज़ली टैग्ज़ : आदमी और 1 अन्य सब से पुर-अम्न वाक़िआ ये है आदमी आदमी को भूल गया जौन एलिया टैग्ज़ : अम्न और 1 अन्य आदमिय्यत और शय है इल्म है कुछ और शय कितना तोते को पढ़ाया पर वो हैवाँ ही रहा शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ टैग : इल्म जानवर आदमी फ़रिश्ता ख़ुदा आदमी की हैं सैकड़ों क़िस्में अल्ताफ़ हुसैन हाली टैग : आदमी भीड़ तन्हाइयों का मेला है आदमी आदमी अकेला है सबा अकबराबादी टैग्ज़ : आदमी और 2 अन्य इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ मुग़ीसुद्दीन फ़रीदी टैग : नक़ाब हज़ार चेहरे हैं मौजूद आदमी ग़ाएब ये किस ख़राबे में दुनिया ने ला के छोड़ दिया शहज़ाद अहमद टैग्ज़ : आदमी और 1 अन्य फूल कर ले निबाह काँटों से आदमी ही न आदमी से मिले ख़ुमार बाराबंकवी टैग्ज़ : काँटा और 2 अन्य देवताओं का ख़ुदा से होगा काम आदमी को आदमी दरकार है फ़िराक़ गोरखपुरी जिस की अदा अदा पे हो इंसानियत को नाज़ मिल जाए काश ऐसा बशर ढूँडते हैं हम आजिज़ मातवी फ़रिश्ता है तो तक़द्दुस तुझे मुबारक हो हम आदमी हैं तो ऐब-ओ-हुनर भी रखते हैं दिल अय्यूबी टैग : आदमी आदमी के पास सब कुछ है मगर एक तन्हा आदमिय्यत ही नहीं जिगर मुरादाबादी आदमी का आदमी हर हाल में हमदर्द हो इक तवज्जोह चाहिए इंसाँ को इंसाँ की तरफ़ हफ़ीज़ जौनपुरी टैग : आदमी वो जंगलों में दरख़्तों पे कूदते फिरना बुरा बहुत था मगर आज से तो बेहतर था मोहम्मद अल्वी टैग : ज़िंदगी ज़मीं ने ख़ून उगला आसमाँ ने आग बरसाई जब इंसानों के दिल बदले तो इंसानों पे क्या गुज़री साहिर लुधियानवी आदमी क्या वो न समझे जो सुख़न की क़द्र को नुत्क़ ने हैवाँ से मुश्त-ए-ख़ाक को इंसाँ किया हैदर अली आतिश टैग : आदमी देवता बनने की हसरत में मुअल्लक़ हो गए अब ज़रा नीचे उतरिए आदमी बन जाइए सलीम अहमद कुफ़्र ओ इस्लाम की कुछ क़ैद नहीं ऐ 'आतिश' शैख़ हो या कि बरहमन हो पर इंसाँ होवे हैदर अली आतिश इंसान की बुलंदी ओ पस्ती को देख कर इंसाँ कहाँ खड़ा है हमें सोचना पड़ा हबीब हैदराबादी न तो मैं हूर का मफ़्तूँ न परी का आशिक़ ख़ाक के पुतले का है ख़ाक का पुतला आशिक़ पीर शेर मोहम्मद आजिज़ टैग : इश्क़ क्या तिरे शहर के इंसान हैं पत्थर की तरह कोई नग़्मा कोई पायल कोई झंकार नहीं कामिल बहज़ादी बनाया ऐ 'ज़फ़र' ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतर मलक को देव को जिन को परी को हूर ओ ग़िल्माँ को बहादुर शाह ज़फ़र रूप रंग मिलता है ख़द्द-ओ-ख़ाल मिलते हैं आदमी नहीं मिलता आदमी के पैकर में ख़ुशबीर सिंह शाद टैग : आदमी बहुत हैं सज्दा-गाहें पर दर-ए-जानाँ नहीं मिलता हज़ारों देवता हैं हर तरफ़ इंसाँ नहीं मिलता ख़ालिद हसन क़ादिरी इधर तेरी मशिय्यत है उधर हिकमत रसूलों की इलाही आदमी के बाब में क्या हुक्म होता है जोश मलीहाबादी आख़िर इंसान हूँ पत्थर का तो रखता नहीं दिल ऐ बुतो इतना सताओ न ख़ुदा-रा मुझ को असद अली ख़ान क़लक़ आदमी से आदमी की जब न हाजत हो रवा क्यूँ ख़ुदा ही की करे इतनी न फिर याद आदमी मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी अहल-ए-म'अनी जुज़ न बूझेगा कोई इस रम्ज़ को हम ने पाया है ख़ुदा को सूरत-ए-इंसाँ के बीच शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम टैग : ख़ुदा ऐ शैख़ आदमी के भी दर्जे हैं मुख़्तलिफ़❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❣️🌹👆👆😈😈😈🚩🚩🚩 इंसान हैं ज़रूर मगर वाजिबी से आप बेख़ुद देहलवी बना रहा हूँ मैं फ़ेहरिस्त छोटे लोगों की मलाल ये कि बड़े नाम इस में आते हैं एजाज़ तवक्कल यूँ सरापा इल्तिजा बन कर मिला था पहले रोज़ इतनी जल्दी वो ख़ुदा हो जाएगा सोचा न था सिराज अजमली टैग : ख़ुदा ग़ैब का ऐ और खोजिए
Akash
Akash
Akash
Akash
Akash
Akash
Akash
Akash
Akash