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Aarti Akshay Goswami

वीर रस कवयित्री

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Aarti Akshay Goswami

#हिन्दुस्तान
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Aarti Akshay Goswami

अहंकार रूपी लंकादहन के प्रतीक ,
नारी सम्मान की विजय के प्रतीक ,
अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक ,
पाप रूपी रावणवध के प्रतीक ,
मेरे राम की विजय के प्रतीक विजयपर्व
विजयादशमी की आपको हार्दिक शुभकामनाएं #दशहरा
#विजयादशमी
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Aarti Akshay Goswami

#सैनिक
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Aarti Akshay Goswami

#सैनिक
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Aarti Akshay Goswami

क्या लिखूँ तुम पर , हाँ कहो क्या लिखूँ तुम पर ,
तुम अखिल ब्रह्माण्ड के नायक सृष्टि के आधार हो ,
तुम जीवन नैया भवसागर पार कराने वाले खेवनहार हो ,
ज्ञान विज्ञान समाहित जिसमें तुम ही गीता का सार हो ,
तुम धर्मध्वजा के संवाहक तुम संस्कृति के विस्तार हो ,
माथे हाथ धरो प्रभु मेरे कृपादृष्टि का मुझ पर उपकार हो ,
चरण शरण का देदो सहारा भवसागर से नौका पार हो ।। #कृष्णा
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Aarti Akshay Goswami

#OpenPoetry मेरी हँसी के पीछे छिपे दर्द को भी माँ जान जाती है ,
मैं न भी बताऊँ वो मेरी उलझन पहचान जाती है ,
जब सारी दुनिया रूठी हो माँ मेरे साथ होती है ,
बीमार मैं हो जाऊँ ,माँ सारी रात पकड़ के हाथ रोती है ,
मेरी शरारतों पर ये मुझसे रूठ भी जाती है ,
उदास मुझे देखकर खुद ही मान भी जाती है ,
तुम छांव सी लगती हो ज़िंदगी की घनी धूप में माँ ,
धरती पर ईश्वर देखे हैं मैंने तेरे स्वरूप में माँ।।
आरती अक्षय गोस्वामी
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Aarti Akshay Goswami

#OpenPoetry " भारत भूमि "
हे भारत की पावन भूमि मुझे तुझसे प्रेम अपार ,
ऐसा लगता मानो प्रकृति ने किया हो सोलह श्रृंगार ,
मस्तक पर हिमगिरि शोभित मुकुट समान चमकता है ,
चरणों को रत्नाकर धोकर पायल समान दमकता है ,
खाड़ी और अरब सागर जैसे कंगन हाथों में खनकते हैं ,
गंगा जमुना रेवा क्षिप्रा जैसी नदियाँ केशों से लहकते हैं ,
काश्मीर की घाटी मस्तक पर बिंदिया जैसी लगती है ,
अपनी भारत माता सोने की चिड़िया जैसी लगती है ।।
©®आरती अक्षय गोस्वामी #OpenPoetry 
#भारत_भूमि
#आरती_अक्षय_गोस्वामी
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Aarti Akshay Goswami

जय हे त्रैलोकेश जय जय शितिकण्ठ ,
जय शिवाप्रिय जय हो प्रभु परशुहस्त ,
धरावासियों की सुधि लो कैलाशपति ,
हे औघड़दानी प्रभु जय हे त्रिपुरान्तक।। #महादेव
#भोले
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Aarti Akshay Goswami

चलता रहता है अनवरत ,
बस छोड़ दिया करता है कुछ निशान ऐसे ,
जिनको वक़्त ही है मिटाया करता ।। #वक़्त
#आरती_अक्षय_गोस्वामी
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Aarti Akshay Goswami

आदत आदत है मेरी अपनों को साथ लेकर चलना ,
गगन में उड़कर धरा को कभी न भूलना ।। #कविता
#आरती_अक्षय_गोस्वामी
#आदत

कविता आरती_अक्षय_गोस्वामी आदत

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