Nojoto: Largest Storytelling Platform
poonamsingh7895
  • 203Stories
  • 2.8KFollowers
  • 8.1KLove
    958Views

Poonam Singh

| जीवन अनमोल है | | उन्हें शब्दों में पिरोती हूँ | | तुम्हें पाने की ख्वाहिश नहीं | | मगर तुम्हें खोना मंजूर नहीं | /29 /10 /19

  • Popular
  • Latest
  • Video
11b60289878f1845398999514f284720

Poonam Singh

खामोशी

खामोशी #कविता

37 Views

11b60289878f1845398999514f284720

Poonam Singh

यहां सच्ची मोहब्बत सच्चे रिश्ते

©Poonam Singh
11b60289878f1845398999514f284720

Poonam Singh

जब भी तुम्हारी यादों के साये में 
जिंदगी तलाश करती हूँ
तुम्हारी यादें चांद से भी ज्यादा 
खूबसूरत नजर आती है

©Poonam Singh चांद

चांद #कविता

9 Love

11b60289878f1845398999514f284720

Poonam Singh

सागर में फसा इक माझी
लड़ता रहा तूफ़ानों से

दो हांथों से पतवार चलाता
डरता नहीं डराने से 

लहरों की वो मार झेलता
अपनी कश्ती को पार लगाता 

वो लहरों की हर चाल समझता 
फिर भी अपना प्यार निभाता
तभी वो सागर में नाव चलाता

©Poonam Singh सागर में फसा इक माझी
लड़ता रहा तूफ़ानों से

दो हांथों से पतवार चलाता
डरता नहीं डराने से 

लहरों की वो मार झेलता
अपनी कश्ती को पार लगाता

सागर में फसा इक माझी लड़ता रहा तूफ़ानों से दो हांथों से पतवार चलाता डरता नहीं डराने से लहरों की वो मार झेलता अपनी कश्ती को पार लगाता #कविता

9 Love

11b60289878f1845398999514f284720

Poonam Singh

कभी जो तुम्हारे बालों पर तारिफ लिख दूं,
 तो शायद अच्छा लगे तुम्हें ।

कभी जो तुम्हारे मन को शब्दों से घायल कर दूं,
 तो शायद वो भी अच्छा लगे तुम्हें ।

इस शायद में न जाने कितनी गुस्ताखी छिपी है 
कभी जो मैं गुस्ताखी कर दूं,
 तो शायद मेरा गुस्ताख हो जाना अच्छा लगे तुम्हें।

©Poonam Singh कभी जो तुम्हारे बालों पर तारिफ लिख दूं, तो शायद अच्छा लगे तुम्हें ।

कभी जो तुम्हारे मन को शब्दों से घायल कर दूं, तो शायद वो भी अच्छा लगे तुम्हें ।

इस शायद में न जाने कितनी गुस्ताखी छिपी है 
कभी जो मैं गुस्ताखी कर दूं, तो शायद मेरा गुस्ताख हो जाना अच्छा लगे तुम्हें।

कभी जो तुम्हारे बालों पर तारिफ लिख दूं, तो शायद अच्छा लगे तुम्हें । कभी जो तुम्हारे मन को शब्दों से घायल कर दूं, तो शायद वो भी अच्छा लगे तुम्हें । इस शायद में न जाने कितनी गुस्ताखी छिपी है कभी जो मैं गुस्ताखी कर दूं, तो शायद मेरा गुस्ताख हो जाना अच्छा लगे तुम्हें। #कविता

10 Love

11b60289878f1845398999514f284720

Poonam Singh

वृक्ष से गिरे पत्तियों का कोई ठिकाना नहीं होता 

हवा जिस ओर ले जाए वहीं उसे बह जाना होता है।

©Poonam Singh वृक्ष से गिरे पत्तियों का कोई ठिकाना नहीं होता 

हवा जिस ओर ले जाए वहीं उसे बह जाना होता है।
_पूनम सिंह

#DryTree

वृक्ष से गिरे पत्तियों का कोई ठिकाना नहीं होता हवा जिस ओर ले जाए वहीं उसे बह जाना होता है। _पूनम सिंह #DryTree #विचार

12 Love

11b60289878f1845398999514f284720

Poonam Singh

वो चाय ही क्या जिसमें
 अदरक का स्वाद न हो।
वो चाय ही क्या जिसमें
 तुम्हारी यादों का उबाल न हो।

©Poonam Singh
  वो चाय ही क्या जिसमें अदरक का स्वाद न हो।
वो चाय ही क्या जिसमें तुम्हारी यादों का उबाल न हो।

_पूनम सिंह

वो चाय ही क्या जिसमें अदरक का स्वाद न हो। वो चाय ही क्या जिसमें तुम्हारी यादों का उबाल न हो। _पूनम सिंह #शायरी

137 Views

11b60289878f1845398999514f284720

Poonam Singh

मैं क्या देख रहा हूँ
मैं क्या सोच रहा हूँ

मैं देख रहा हूँ इस आसमां को 
इसकी ऊंचाईयों को
अन्नत दूर तक फैली इसकी गहराईयों को

तो क्या ये मैं हूँ? 
और क्या ये मैं सोच रहा हूँ

टिमटिमाते हैं तारे जब रात को
आंखों में समा जाते हैं वो सारे रात को

सोचता हूँ क्या कहूँ मैं तुमसे
पर ख्याल आता है
क्या कहना चाहता हूं मैं तुमसे

©Poonam Singh मैं क्या देख रहा हूँ
मैं क्या सोच रहा हूँ

मैं देख रहा हूँ इस आसमां को 
इसकी ऊंचाईयों को
अन्नत दूर तक फैली इसकी गहराईयों को

तो क्या ये मैं हूँ?

मैं क्या देख रहा हूँ मैं क्या सोच रहा हूँ मैं देख रहा हूँ इस आसमां को इसकी ऊंचाईयों को अन्नत दूर तक फैली इसकी गहराईयों को तो क्या ये मैं हूँ? #कविता

9 Love

11b60289878f1845398999514f284720

Poonam Singh

आज कुछ बहकी - बहकी सी बातें लिख रही हूँ। 
शायराना अंदाज में नज़्मों की शाम लिख रही हूँ। 

तुम्हारे नाम शिकवे शिकायतें तमाम 
लिख रही हूँ।
कुछ कच्चे-पक्के लम्हों की दास्तां सरेआम लिख रही हूँ।

©Poonam Singh
  आज कुछ बहकी - बहकी सी बातें लिख रही हूँ। 
शायराना अंदाज में नज़्मों की शाम लिख रही हूँ। 

तुम्हारे नाम शिकवे शिकायतें तमाम 
लिख रही हूँ।
कुछ कच्चे-पक्के लम्हों की दास्तां सरेआम लिख रही हूँ।

आज कुछ बहकी - बहकी सी बातें लिख रही हूँ। शायराना अंदाज में नज़्मों की शाम लिख रही हूँ। तुम्हारे नाम शिकवे शिकायतें तमाम लिख रही हूँ। कुछ कच्चे-पक्के लम्हों की दास्तां सरेआम लिख रही हूँ। #कविता

97 Views

11b60289878f1845398999514f284720

Poonam Singh

वो चुपचाप खड़ा था
मन को दबाए पडा़ था

भीतर के हर दर्द को छुपा रहा था 
चुप रहकर भी कुछ बोल रहा था 

तभी वो आंखों से निकल पड़ी 
उसकी एक आंसू बोल पड़ी

©Poonam Singh वो चुपचाप खड़ा था
मन को दबाए पडा़ था

भीतर के हर दर्द को छुपा रहा था 
चुप रहकर भी कुछ बोल रहा था 

तभी वो आंखों से निकल पड़ी 
उसकी एक आंसू बोल पड़ी

वो चुपचाप खड़ा था मन को दबाए पडा़ था भीतर के हर दर्द को छुपा रहा था चुप रहकर भी कुछ बोल रहा था तभी वो आंखों से निकल पड़ी उसकी एक आंसू बोल पड़ी #कविता #KashmiriFiles

13 Love

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile