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rahuljaiswal8414
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Rahul Jaiswal

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Rahul Jaiswal

जिंदगी आपको इतना सुकून कभी नही देगी कि उसके मायने ही बदल जाएं,आपको उसके संघर्षों में ही सुकून तलाशना होगा।
सुकून की जो परिभाषा आपने तय कर रखी है वो जिंदगी के लिए मायने नही रखती, तो एक बार अपने सुकून की परिभाषा बदल कर देखिए जिंदगी खूबसूरत लगने लगेगी, कम से कम जीने लायक तो लगने ही लगेगी।

©Rahul Jaiswal
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Rahul Jaiswal

इस कठोर दुनिया में
अगर कोई अपनी कोमलता
को बचाये रख पाता है
तो वह ईश्वर की सत्यता को
प्रमाणित कर रहा होता है।

©Rahul Jaiswal

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Rahul Jaiswal

उफ्फ ये दिसम्बर
बीते साल की खूबसूरत यादों से हमें रोकना भी चाहता है और नये साल के सपने दिखाकर हमें आगे भी बढ़ाना चाहता है..

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Rahul Jaiswal

अजब विडम्बना में है 
देखो ये संसार,
ढूढ़ने में लगे हैं शांति लोग
ले कर हाथों में हथियार...

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Rahul Jaiswal

इक दीप जलाना अंतर्मन में
मन का अंधियारा दूर भगाना,
इक दीप जलाना हृदय में अपने
प्रेम का भीतर वास बनाना,
इक दीप जलाना अहम पे अपने
जाग्रित सद्भाव खुद में कर लेना,
इक दीप जलाना प्रवित्ति पे अपने
रौशन थोड़ा खुद को कर लेना,
माना तूफाँ आएँगे बहुतेरे
करने जीवन में अंधियारा,
थकना ना तुम बस लड़ते रहना
पर दीप कभी ना बुझने देना..

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Rahul Jaiswal

दीवाली में थोड़ी सफाई अपनी सोच में भी कर लीजियेगा,
सबसे ज्यादा गंदगी वहीं रहती है...

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Rahul Jaiswal

बेचैन हो उठता हूँ मैं वो जो ज़ुल्फों को बांध लेती हैं,
किसी को चैन मिलता है इन्ही ज़ुल्फों की छांव में...
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Rahul Jaiswal

हर टूटे ख्वाबों वाली रात 
एक उम्मीद भरी सुबह की आस 
में कट जाती है।

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Rahul Jaiswal

होते अगर श्री राम यहाँ वो भी व्याकुल हो जाते,
हैं चारो ओर रावण यहाँ, किस किस से सीता को बचाते,
अब तो ना हनुमान हैं सीता माँ की रक्षा के लिए,
ना धैर्य है रावण सा कही जो श्री राम से युद्ध तक संयम रखे,
इस कलयुग में अब सीता को खुद ही अश्त्र उठाना होगा ,
हैं जो रावण उनके आस पास उन्हें खुद ही दूर भागना होगा ,
न देना फिर कोई परीक्षा तुम इन दुनियावालो के लिए ,
अपने चरित्र के विश्वास के लिए फिर ना आग में जाना तुम ,
तुम खुद ही शक्तिमान बनो, ना हो कोई लक्ष्मण रेखा फिर,
फिर कोई रावण ठग ना सके धर के साधु का वेश तुम्हे,
अपने मन के अन्धकार को पहले दूर भगाये हम ,
दिल के रावण को जला के फिर पुतले के रावण को जलाये हम !!!

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Rahul Jaiswal

इन बारिशों में कोई गढ़ता ही कविता
तो कोई खो जाता है खयालो में,
और वो कम्बखत मजदूर इसी चिंता में जा रहा है मरा
की आज तो चूल्हा ठंडा रह जायेगा मेरा...
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