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shivkushwahabega4837
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Shiv Kushwaha

Poet, Social Speaker

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Shiv Kushwaha

White कह रहे थे की  मुहब्बत हैं  और  इल्ज़ाम  लगा गए,
पूरी  दुनियां  की  मुहब्बत   को  बदनाम   करा गए।


चालाकी में न जाने कैसे कैसे शब्दों से नवाज़ा मुझें,
इल्ज़ाम लगा मुझपे और खुद  को बदनाम करा गए।।

शिव कुशवाहा बेगाना
21/05/2024
9:18 Am

©Shiv Kushwaha
  #sad_quotes
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Shiv Kushwaha

धीरे-धीरे  सबकी  मस्ती  उतार  दी  उसने,
हँसती  हुई  सारी  बस्ती  उजाड़ दी  उसने।

भरोसा ऐसा जिता सारे  अंधभक्त  बन बैठे,
भवर में नाव और तख़्ती उखाड़  दी उसने।।

शिव कुशवाहा
02/04/2024
9:40 Am

©Shiv Kushwaha
  #kitaab
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Shiv Kushwaha

धीरे धीरे सबकी  मस्ती उतार  दी उसने,
हस्ती  हुई सारी  बस्ती उजाड़  दी उसने,

भरोसा ऐसा बना सब अंधभक्त बन बैठे,
भवर में नाव थी तख़्ती उखाड़ दी उसने।

शिव कुशवाहा
02/04/2024
9:40 Am

©Shiv Kushwaha
  Mamta kumari Eshamahi विकास शाक्य khubsurat

Mamta kumari Eshamahi विकास शाक्य khubsurat #शायरी

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Shiv Kushwaha

हर  समय  हमने  बर्बादी  का   मंजर  देखा हैं,
सबने देखा बाहर  हमने खुद के अंदर देखा हैं,

समझते रहे हम जिनको उम्र भर ख़ुदा अपना
उनके ही हाथों में बात  बात पे  खंजर देखा हैं।

शिव बेगाना
18/03/2024
12/49 Am

©Shiv Kushwaha
  #Exploration  Mamta kumari Eshamahi विकास शाक्य khubsurat

#Exploration Mamta kumari Eshamahi विकास शाक्य khubsurat #शायरी

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Shiv Kushwaha

Village Life हमनें भी कुछ ख़्वाब देखें हैं हम भी जीना चाहते हैं,
गम नही हम भी खुशियों का    जाम पीना चाहते हैं।

हैं दुनियां से अलग   दस्तूर हमारे   तो हम क्या करें,
दर्जी नही हम पर इक प्रेम की चादर सीना चाहते हैं।

शिव कुशवाहा बेगाना
07/03/2024
9:36 pm

©Shiv Kushwaha
  #villagelife
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Shiv Kushwaha

कुछ लोग कभी रचे थे साजिशें हमारे खिलाप,

उसी साजिस के खुद  वो लोग शिकार हो गए।


जो करते थे बेइज्जत   सरे महफ़िल में हमको,

आज वही अपनी महफ़िल में शर्मसार हो गए।।


शिव कुशवाहा

14/02/2024

11:07 AM

©Shiv Kushwaha
  #SunSet
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Shiv Kushwaha

अपनो के सर पैर रख आसमां तक जाना,
रहनो दो  ये अर्श मुझें  बड़ा सुकून देती है।

मेरी  इंसानियत  उनको  राज  नही  आई,
पर उनकी नफ़रत मुझें बड़ा जुनून देती है।

शिव कुशवाहा
10/11/2023
7:50 Pm

©Shiv Kushwaha
  #BadhtiZindagi
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Shiv Kushwaha

शराफ़त पाई  वसीयत में  शहर के हर सख्स ने,
ये  बेईमानी  कहा  से  आई  सोचकर  हैरान हूं।

रिश्वत, चोरी,  हत्या,  बलात्कार, ठगी  बेइंतहा,
गंगा सब अपवित्र कर रहे थे मैं नही बेईमान हूँ।

शिव कुशवाहा
10/11/2023
5:05 pm

©Shiv Kushwaha begana
  #Save
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Shiv Kushwaha

चंद    मालाओं    की   नवाजी   में   इतना   गुरुर,

मिट्टी से पूछ  न जाने  कितने  सिकंदर  दफ़न हुए।


इन  महंगे  लिबासों  पे  तुम   जो  इतरा  रहे हो न,

बड़े बड़े तुर्रमखां की कब्र में बस उनके कफ़न हुए।

शिव बेगाना

04/11/2023

12:40 pm

©Shiv Kushwaha begana
  #Wochaand
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Shiv Kushwaha

जात,  शक्ल, ऊँच-नीच,   गरीबी,  भेदभाव, ग़ैरत,

मानवता के भोजन को कितने अज़गर निगल गए।

जब तक मैं  मेरा  ज़मीर  इस  मिट्टी से  जुड़ा  रहा,

हम  प्रेमी  थे  मगर  होशियारी  में प्रेम  निगल गए।।

शिव बेगाना

03/11/2023/

6:37 pm

©Shiv Kushwaha begana
  #surya
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