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dharmendrakumary3794
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dharmendra kumar yadav

student(B tech Aeronautical engineering)9117960580

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dharmendra kumar yadav

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dharmendra kumar yadav

बस दिखावा है यहां और कुछ नहीं है ‌।
तेरी डांट से प्यारी यहां की प्रीत नहीं है।
मुस्कुराता हुं भैया सिर्फ जीने के लिए
यहां ग़म के सिवा और कुछ नहीं है।

   रूठ गया है सबकुछ मुझसे
जब से रूठा हुं तुमसे।
सब कोई अंजान सा लगता है
जब से जुदा हुं तुमसे।
यहां  सिर्फ स्वार्थ है और कुछ नहीं है।
यहां ग़म के सिवा और कुछ नहीं है।

क़दम क़दम पर चुभतें हैं काटें
सिर्फ दर्द का ही एहसास होता है।
भैया यहां सपनों में ही अपनों का
एहसास होता है ।
यहां सिर्फ आंसूओं के बादल हैं और कुछ नहीं है
यहां ग़म के सिवा और कुछ नहीं है।

©dharmendra kumar yadav बस दिखावा है

#realization

बस दिखावा है #realization #Poetry

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dharmendra kumar yadav

आज उसके आंगन से बादल
होकर तुम गुजरना।
वह हल्दी लगाएं बैठी होगी
उसपर जरूर बरसना।।
तेरी बूंदों के धारों में
वह मुझको महसूस करेगी।
 

जब हाथ में हाथ बंधे हुए 
और कांपते हुए होंठ मिलें।
जब गालों पर लिपटीं लटें 
और भींगें हुए पलकें दिखें।।
जब कुछ कण बूंदों के तेरे 
 होठों पर उसके ठहरें मिलें ।।।
तब फुहारों सा तुम बनकर
रिमझिम बूंद बरसना।
इन फुहारों के शीतलन में
वह मुझको महसूस करेगी।।


हार गए हम दुनिया को
अपना प्यार समझाने में।
टूट गए सब ख्वाब हमारे
जो पल रहें थें यादों में।।
छूट गया हाथों का संगम
जो मिलें थें उम्र निभाने में।।
आंखों में रह गए आंसू केवल 
ये रस्में रिवाज निभाने में।।।
तुम उसके आंगन के ऊपर   
जोर जोर तड़पना।
तेरे इस तड़पन में वह। 
मुझको महसूस करेगी।।

©dharmendra kumar yadav आज उसके आंगन से होकर

#bestfrnds

आज उसके आंगन से होकर #bestfrnds #कविता

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dharmendra kumar yadav

अब ना उमड़ ऐ बादल

#sitarmusic

अब ना उमड़ ऐ बादल #sitarmusic #कविता

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dharmendra kumar yadav

मैं पागल था,झूठा था, मक्कार था!
फिर भी उसको मुझसे प्यार था!!
वो कहती थी, मैं शैतानी बहुत करता हूं!
फिर भी मेरी शैतानी से उसे प्यार था!!
मैं हजार बातें अच्छी कह दूं,
हर बात में कमियां निकाल देती थी!
मैं अब भी उसके सामने नादान था!!

अब वो सिर्फ मेरी यादों में है , मेरे पास नही है!
वो मिलेगी मुझे, अब कोई आस नही है!!
कुछ ही दिन हुए वो किसी और की हो गई!
दुःख तो है मगर कोई एतराज़ नही है!!

गई, पर बहुत कुछ दे गई!
जीने का सलीका और मोहब्बत कि सीख दे गई!!
अब कोई गुड़िया मुझसे नही टूटती है!
वो अपनी गुड़िया संभालने कि तरकीब दे गई!!

धर्मेन्द्र कुमार यादव

©dharmendra kumar yadav
  मैं पागल था

मैं पागल था #कविता

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dharmendra kumar yadav

चलो ठीक ही हुआ जो भुल गए मुझे।

अब पूरे दिन अपनो में होता हु।

अब पूरी रात चैन से सोता हूं।

अब कभी मेरे आंखों पर बादल नहीं छाते हैं
अब खुली निगाहों से आसमां को देखता हूं।

©dharmendra kumar yadav धर्मेंद्र

#patience

धर्मेंद्र #patience #शायरी

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dharmendra kumar yadav

dharmendra Kumar yadav

©dharmendra kumar yadav poetry

poetry

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dharmendra kumar yadav

ओस की बूंदें थी मुझ पर
बरसात कैसे कह देता!
तूफानों से थीं जंग मेरी
बहार कैसे कह देता!!

उठ रही ऊंची लपटों में
जल रहा था मेरा घर!
फिर मैं उस मंजर को
आफताब कैसे कह देता!!

धर्मेन्द्र कुमार यादव

©dharmendra kumar yadav शायरी

#Rose

शायरी #Rose

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dharmendra kumar yadav

उसने कई बार कहा सम्भंल
जाओ फिर मैं तेरी हो जाऊंगी।
पर एक बार भी नहीं कहा,
 मैं तेरी हूॅ , फिसलने नही दुंगी।

©dharmendra kumar yadav आह!

आह!

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dharmendra kumar yadav

उसके जुबां पर हजारों शब्द होंगें
जो बेवफा है वो।
पर मेरे जुबां पर एक ही शब्द है
कि बेवफा है वो।

©dharmendra kumar yadav दिल की 

#Grassland

दिल की #Grassland

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