अपड़ा मायादार से दूर, दूर परदेशों मा अपड़ा मायादार की खुद भौत सतोंदी। द्वी झणों मा दिरगम्ब हूणा का बाद बी मिलन की छटपटाहट रांद, योक-दूसरा से दूर मन मा कै नस्या का ख्याल ओंदा। सच्चा मायादार का मन मा वैकि सुवा की मुखड़ी बसी रांद, बिना सुवा की मुखड़ी देखी वै चैन नी आंद। चोली (चातक) का बारा मा प्रसिद्ध च कि चोली सिर्फ बरखा का पाणी का सारा जिंदा रांद, चोली मरी जालू पर बरखा का अलावा कखि और पाणी नी प्यूलू। सुवा तु मेरी बरखा च.... रूड़्यूं की बरखा, मैं तेरु चातक च, तिसायूं चातक। रूड़ी मा बरखा ना का बराब #wife#SAD#Yaad#poem#kavita#कविता#Nozoto#viral#garhwali
Pankaj Bindas
कभी तू सौं खवोंदी छै, गढ़वाली मुक्तक विधाता छंद {Pankaj Bindas}
वक्त सबसे बड़ू हूंद, वक्त ही हूंद जू कबारी इंसान तैं हसोंदु अर अगला ही पल रुळै द्यूंद। माया का सर्ग पर भी यु वक्त कू नीयम काम करदु किलैकि वक्त सबसे बड़ू हूंद। माया का सर्ग पर तबारी बादळ अछांया रांद त तबारी निरपट घाम रांद, तबारी जूनि की स्योळी रांद त तबारी गिगराट होंद, तबारी ग्रह-नक्षत्र रांद त तबारी नखरी चाल चलकदि। मायादार सदानी दगड़ा मा रोण का वास्ता कै सौं-करार करदा पर समाज से ऐंच नीं उठी सकदा, समाज का बीच मा साफ-सुथुरु रोण का वास #SAD#kavita#कविता#Nozoto#uttrakhand#Majboori#viral#poatry#Trading#garhwali
Pankaj Bindas
यूँ किसी को राह में तन्हा अकेला नहीं छोड़ते... {Bindas Poetry} Pankaj Bindas
प्रेम के विरह में प्रेमी निराशावादी बन जाता है, जहाँ विरह स्थायी ही हो जाए तो प्रेमी का निराश अंतर्मन कविता रूपी आलंबन की आस करता है, वह कविता रचता है या शायर बन जाता है। कविता के उदात्त भाव उसके अंतर्मन के दमित भावों से कुछ इस प्रकार तारतम्य स्थापित करते हैं कि फिर वह बिना कविता के, बिना शायरी के रह नहीं पाता। अंतर्मन में निराशा के प्रकटीकरण से संपूर्ण संसार निराशाजनक लगता है, ऐसी निराशा से दो- दो हाथ करने के लिए मन क
Pankaj Bindas
अच्छी चीज़ें मेरे पास टिकी ही नहीं।
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