आखिर कोई कहे भी तो किसको क्या बीत रही है उस पर अक्सर लोग इल्ज़ाम लगाते है।लड़की की ही गलती होती है,और हजार तरह के ताने।दुख ये नही लड़की को कहते है दुख ये है कि वो उसके माँ-बाप के संस्कारो को गलत ठहराते है।ऐसे लोगो की मानसिकता को देख कर मैं अक्सर सोचती हूँ,कि उसकी जगह इनकी बहन या बेटी होती तो क्या ये अपने संस्कारो को गलत ठहराने की हिम्मत रखते हैं।उसको वो फ़ोन कॉल्स आते रहे,घुटती रही वो मासूम अकेले में,लोगों का उसे बातों-बातों में चरित्रहीन कहना उसको झकझोर कर रख देता था,इससे तंग आकर वो निकल पड़ी घर से #DearZindagi