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sankalpsagar9194
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Sankalp jain Vegan

दया ही धर्म का मूल आधार है पशु क्रूरता बंद करो पशु पदार्थों को छोड़कर सादा जीवन जिये एक नेक रहम दिल इंसान बनें GO VEGAN GO GREEN SAVE ANIMALS and save birds

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Sankalp jain Vegan

अगर आपको 36,500 सिक्के दिये जाएं और कहा जाए
आप प्रति दिन एक सिक्का गुल्लक मे डालो तो यक़ीन मानो
आपकी जिंदगी खत्म हो जाएगी 
लेकिन सिक्के खत्म नहीं होगें 

इसलिए ऐसा कोई भी कर्म नहीं करे
जिससे किसी भी प्राणी को कष्ट पहुंचे

जीवन का प्रत्येक दिन हमारे लिए बहुमूल्य हीरे के समान है
इसका सदुपयोग करें 

पल पल ढल रही है छल रही तो जिंदगी

( इंसानियत ही इंसान को इंसान बनाती )

#GOVEGAN

©Sankalp jain Vegan #ArabianNight Life Journey
#Life
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Sankalp jain Vegan

( हम सब एक हैं )
पास में होता कदर ना करता नया खोजता रहता है
नये नये के चक्कर में फिर पास का खोता रहता है
पास में जो है उसे नया कर प्रेम भाव और सेवा से
फिर देखों तस्वीर बदलती नये पास के आंगन में

बात तुम्हारी सही बहुत पर हम भी गलत नहीं कहते 
छोटी बात पर सुनो जी प्यारे ऐसे लड़ा नहीं करते 
परिवार में सोच बहुत उद्देश्य तो एक रखा करते 
आपस में हम भले लड़े पर औरों एकता दिखलाते 

एक है तेरा एक है मेरा दोनों कहें हमारा है 
नफ़रत की दीवार को तोड़ो मिलकर हाथ बढ़ाना है 
शिव पथ के हम सब है राही सबको वहीं पर जाना है 
तुमको अपनी गति से चलना हम अपनी गति से जाते हैं

©Sankalp jain Vegan #myhappiness #poetry
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Sankalp jain Vegan

भगवान महावीर स्वामी ने कहा है माना कि दुनिया बुरी है पर तुमसे बुरी तो हो नहीं सकती इसलिए 
स्वयं में जितना खोजते रहोगे, इच्छाओं को रोकते रहोगे ज्ञान-ध्यान में बढ़ते रहोगे, कर्म-चक्र को तोर सकोगे

©Sankalp jain Vegan #Crescent
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Sankalp jain Vegan

भगवान महावीर स्वामी ने कहा है कि 

दुनिया बुरी हो सकती है 
पर तुमसे बुरी तो हो नहीं 

 इसलिए
 स्वयं में जितना खोजते रहोगे
 इच्छाओं को रोकते रहोगे

 ज्ञान-ध्यान में बढ़ते रहोगे
 कर्म-चक्र को तोर सकोगे

©Sankalp jain Vegan #Likho
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Sankalp jain Vegan

जैसे तुमको अपना बच्चा प्राणों से प्यारा होता
क्या उस मुर्गी के अंडे से चूजा जन्म नहीं लेता
कुत्तों से तुम प्रेम निभाते मुर्गे को क्यों खाते हो
भेद भाव क्या सही चीज है बच्चों को सिखलाते हो

मांसाहारी जीव को देखों सब को खाता बारी से
उसको क्या मालूम भी होता शाकाहार है थाली में
गाय भैंस का दूध क्यों छीने हम अपनी मनमानी से 
नर बछड़े को मार फेंके क्यों पैसों की धारी से 

मरे हुए इंसान को देखों क्या उसको खा सकते हो 
फिर क्यों मुर्गा मछली बकरा नजर फ़ेर कर खाते हो 
वो भी कहता चीख चीखकर दर्द से आँसू लाता सौ 
जिसे तुम खाते बड़े प्यार से फिर जीवित कर सकते हो 

सोचो उसकी जगह पे अपने बच्चे को रख सकते हो 
दर्द की पीड़ा क्या होती है तुम उससे सुन सकते हो 
सबका जीवन बहुमूल्य हैं तुम अपना खो सकते हो 
आपने पेट का नाम बदल कर क्या कब्रिस्तान रख सकते हो

©Sankalp jain Vegan #poetry #govegan #Animal #Birds
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#poetry #life_goals
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