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gunendrasinghpor1503
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GUNENDRA SINGH PORTE

मेरा नाम गुणेन्द्र सिंह पोर्ते है। मेरे पिता स्व.श्री हीरा सिंह पोर्ते है और माता श्रीमती हेमा बाई पोर्ते है। मेरा जन्म दिनांक इक्कीस अक्टूबर सन् उन्नीस सौ चौरासी है।मेरा जन्म गृहग्राम फिन्गेश्वर, तहसील-राजिम, जिला-गरियाबंद में हुआ। मैंने पढ़ाई-लिखाई बारहवीं कक्षा तक की। मुझे लेखन कार्य में रुचि है, गीत कविता शायरी लिखने का शौक है।

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GUNENDRA SINGH PORTE

Unsplash हमेशा लिखना मेरा काम,
कभी ना करता मैं आराम।
इसलिए तो लोग कहते हैं,
सदा मुझे कवि अविराम।।

रचनाकार -गुणेन्द्र सिंह पोर्ते अविराम कवि फिन्गेश्वर

©GUNENDRA SINGH PORTE #Book
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GUNENDRA SINGH PORTE

Unsplash अच्छाई के आगे अच्छा दिखने का मन करता है,
हूनरमन्द के आगे कुछ सिखने का मन करता है।
मुझे कलम उठाना भी तो नहीं आता है मगर,
लेखक के आगे कुछ लिखने का मन करता है।।

रचनाकार -गुणेन्द्र सिंह पोर्ते अविराम कवि फिन्गेश्वर

©GUNENDRA SINGH PORTE #Book
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GUNENDRA SINGH PORTE

Unsplash खुशियां मांगोगे तो गम मिलता है,
और पानी मांगों तो रम मिलता है।
सोच-समझकर दिल लगाओ यारों,
आखिर प्यार में भी जखम मिलता है।

रचनाकार-गुणेन्द्र सिंह पोर्ते अविराम कवि फिन्गेश्वर

©GUNENDRA SINGH PORTE #lovelife
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GUNENDRA SINGH PORTE

Unsplash जब किया था मैंने व्यापार,
तब तो नहीं पाया था पार।
जब हाथों में कलम उठाई,
तब मिली सफलता अपार।।

रचनाकार-गुणेन्द्र सिंह पोर्ते अविराम कवि फिन्गेश्वर

©GUNENDRA SINGH PORTE #Book
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GUNENDRA SINGH PORTE

Unsplash अरे सीसे अब तू शिखर ग‌ई,
पहले से ज्यादा तू निखर गई।
एक छोटी कंकड़ ने तूझे छूआ,
तू तो बस तुकड़ो में बिखर ग‌ई।

रचनाकार-गुणेन्द्र सिंह पोर्ते अविराम कवि फिन्गेश्वर

©GUNENDRA SINGH PORTE #lovelife
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GUNENDRA SINGH PORTE

Unsplash ज़िन्दगी में हमारी कोई परवाह नहीं करते,
चोट हमको लग जाए तो आह नहीं करते।
भूल से भी एक अच्छी रचना बन जाए तो,
इस महफिल में कोई वाह-वाह नहीं करते।

रचनाकार-गुणेन्द्र सिंह पोर्ते अविराम कवि फिन्गेश्वर

©GUNENDRA SINGH PORTE #Book
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GUNENDRA SINGH PORTE

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset हम बच्चे जो समुद्र में लगाते गोते हैं,
चिड़िया उड़ गई उसके लिए रोते हैं।
बात समझ में हमें तब आती है यारों,
जब हम खुद ही बच्चे से बड़े होते हैं।

रचनाकार-गुणेन्द्र सिंह पोर्ते अविराम कवि फिन्गेश्वर

©GUNENDRA SINGH PORTE #SunSet
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GUNENDRA SINGH PORTE

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset  हमें नहीं आता आलाप जपना,
अगर हकीकत हो जाता सपना,
ना जाने कितने हमारे दोस्त होते,
और किसी को बना लेते अपना।।

रचनाकार-गुणेन्द्र सिंह पोर्ते अविराम कवि फिन्गेश्वर

©GUNENDRA SINGH PORTE #SunSet
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GUNENDRA SINGH PORTE

कोयला है सिर्फ एक,
मगर गुण है अनेक,
कोयला होता है काला,
मगर लाता है उजाला,
जहां कोयले का है जखीरा,
वहीं पे तो मिलता है हीरा,
कोयले से चलते हैं रेल,
इसमें नहीं लगता है तेल,
ठंड में पड़ जाये नरमी,
कोयले से आ जाए गरमी,
लगाले कोयले का टीका,
तो शुभ दिन होगा उसी का।

रचनाकार-गुणेन्द्र सिंह पोर्ते अविराम कवि फिंगेश्वर

©GUNENDRA SINGH PORTE #GreenLeaves
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GUNENDRA SINGH PORTE

क्यों हवा चलने लगी है सर्द,
मानों दिल में उठ रही है दर्द,
जबसे दिल की बैट्री लगाई है,
लोग कहने लगे तू है बड़ा मर्द।

रचनाकार-गुणेन्द्र सिंह पोर्ते अविराम कवि फिंगेश्वर

©GUNENDRA SINGH PORTE सर्द

सर्द #शायरी

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