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प्रतिहार

गुमनाम

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प्रतिहार

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प्रतिहार

बात मैं सरसरी नहीं करता
और वज़ाहत कभी नहीं करता

एक ही बात मुझमें अच्छी है
और मैं बस वही नहीं करता

मसला ये है कि आपको देखकर
मेरा दिमाग काम ही नहीं करता

आप ही लोग मार देते हैं
कोई भी खुदकुशी नहीं करता

एक जुगनू है तेरी यादों का
जो कभी रौशनी नहीं करता

©प्रतिहार #beinghuman
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प्रतिहार

लड़के हमेशा खड़े रहे
खड़ा रहना उनकी कोई मजबूरी नहीं रही
बस उन्हें कहा गया हर बार
चलो तुम तो लड़के हो, खड़े हो जाओ
तुम मलंगों का कुछ नहीं बिगड़ने वाला
छोटी-छोटी बातों पर ये खड़े रहे कक्षा के बाहर

स्कूल विदाई पर जब ली गई ग्रुप फोटो
लड़कियाँ हमेशा आगे बैठी 
और लड़के बगल में हाथ दिए पीछे खड़े रहे
वे तस्वीरों में आज तक खड़ेंं हैं

कॉलेज के बाहर खड़े होकर 
करते रहे किसी लड़की का इंतजार
या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे
एक झलक एक हाँ के लिए
अपने आपको आधा छोड़ 
वे आज भी वहीं रह गए हैं।

बहन-बेटी की शादी में खड़े रहे मंडप के बाहर
बारात का स्वागत करने के लिए
खड़े रहे रात भर हलवाई के पास
कभी भाजी में कोई कमी ना रहे
खड़े रहे खाने की स्टाल के साथ
कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाए
खड़े रहे विदाई तक दरवाजे के सहारे
और टैंट के अंतिम पाईप के उखड़ जाने तक
बेटियाँ-बहनें जब लौटेंगी
वे खड़े ही मिलेंगे।

वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर बैठाकर 
बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर
वे खड़े रहे बहन के साथ घर के काम में
कोई भारी सामान थामकर 
वे खड़े रहे माँ के ऑपरेशन के समय
ओ. टी. के बाहर घंटों
वे खड़े रहे पिता की मौत पर अंतिम लकड़ी के जल जाने तक
वे खड़े रहे दिसंबर में भी
अस्थियाँ बहाते हुए गंगा के बर्फ से पानी में

लड़कों रीढ़ तो तुम्हारी पीठ में भी है 
क्या यह अकड़ती नहीं?

©प्रतिहार #lonely
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प्रतिहार

अरे! तेरी मुझसे यारी है तू फिकर ना कर,
अब तू मेरी जिम्मेदारी है तू फिकर ना कर।

गर वर्षाने कि जोगन तू कोई राधा रानी सी,
मेरे अंदर भी गिरधारी है, तू फिकर ना कर।

©प्रतिहार #Shiva&Isha
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प्रतिहार

ज्ञान से बड़ा कोई दान नहीं,
और गुरु से बड़ा कोई दानी नहीं,

गुरु कभी साधारण नहीं होता,
प्रलय और निर्माण
उसकी गोद में पलते हैं।

©प्रतिहार #Teachersday
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प्रतिहार

जिंदगी को दीजिए शिक्षक दिवस की बधाई,
इससे ज्यादा तो भाई, किसी ने नहीं सिखाई।

©प्रतिहार #duniya
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प्रतिहार

तुमसे पहले इस शहर में एक... पता है नज़ूमी रहा करता था..
               
पुलिस की तफ्तीश कहती है... वो उस दिन से ही नहीं दिखा..
 मेरा हाथ पढ़कर उसने जब से..  कहा तू मेरा नहीं हो सकता.!!
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नज़ूमी :- ज्योतिषी

©प्रतिहार #devdas
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प्रतिहार

हम मिलेंगे कहीं
अजनबी शहर की ख़्वाब होती हुई शाहराओं पे
और शाहराओं पे फैली हुई धूप में
एक दिन हम कहीं साथ होगे 
वक़्त की आँधियों से अटी साहतों पर से मिट्टी हटाते हुये
एक ही जैसे आँसू बहाते हुये
हम मिलेंगे घने जंगलो की हरी घास पर 
और किसी शाख़-ए-नाज़ुक पर पड़ते हुये 
बोझ की दास्तानों मे खो जायेंगे
हम सनोबर के पेड़ों की नोकीले पत्तों से 
सदियों से सोये हुये देवताओं की आँखें चभो जायेंगे
हम मिलेंगे कहीं बर्फ़ के बाजुओं मे घिरे पर्वतों पर
आह भरते हुये और दरख़्तों को 
मन्नत के धागो से आज़ाद करते हुये हम मिलेंगे
इक जहाँ जंग की चोट खाते हुये हम मिलेंगे
हम मिलेंगे कहीं 
रूस की दास्ताओं की झूठी कहानी पे आँखो मे हैरत सजाये हुये
इक पुरानी इमारत के पहलू मे उजड़े हुये लाँन में
और अपने असीरों की राह देखते पाँच सदियों से वीरान ज़िंदान मे
हम मिलेंगे तमन्नाओं की छतरियों के तले, 
ख़्वाहिशों की हवाओं के बेबाक बोसो से 
छलनी बदन सौंपने के लिये रास्तों को
हम मिलेंगे
हम मिलेंगे बाग़ में, गाँव में, धूप में, छाँव में, 
रेत मे, दश्त में, शहर में, मस्जिदों में, कलीसो में, 
मंदिर मे, मेहराब में, चर्च में, मूसलाधार बारिश में,
 बाज़ार में, ख़्वाब में, आग में, गहरे पानी में, 
गलियों में, जंगल में और आसमानों में
कोनो मकाँ से परे गैर आबद सैयाराए आरज़ू में 
सदियों से खाली पड़ी बेंच पर
जहाँ मौत भी हम से दस्तो गरेबाँ होगी, 
तो बस एक दो दिन की मेहमान होगी।
@हाफी

©प्रतिहार #YouNme
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प्रतिहार



हम मिलेंगे कहीं
अजनबी शहर की ख़्वाब होती हुई शाहराओं पे
और शाहराओं पे फैली हुई धूप में
एक दिन हम कहीं साथ होगे 
वक़्त की आँधियों से अटी साहतों पर से मिट्टी हटाते हुये
एक ही जैसे आँसू बहाते हुये
हम मिलेंगे घने जंगलो की हरी घास पर 
और किसी शाख़-ए-नाज़ुक पर पड़ते हुये 
बोझ की दास्तानों मे खो जायेंगे
हम सनोबर के पेड़ों की नोकीले पत्तों से 
सदियों से सोये हुये देवताओं की आँखें चभो जायेंगे
हम मिलेंगे कहीं बर्फ़ के बाजुओं मे घिरे पर्वतों पर
आह भरते हुये और दरख़्तों को 
मन्नत के धागो से आज़ाद करते हुये हम मिलेंगे
इक जहाँ जंग की चोट खाते हुये हम मिलेंगे
हम मिलेंगे कहीं 
रूस की दास्ताओं की झूठी कहानी पे आँखो मे हैरत सजाये हुये
इक पुरानी इमारत के पहलू मे उजड़े हुये लाँन में
और अपने असीरों की राह देखते पाँच सदियों से वीरान ज़िंदान मे
हम मिलेंगे तमन्नाओं की छतरियों के तले, 
ख़्वाहिशों की हवाओं के बेबाक बोसो से 
छलनी बदन सौंपने के लिये रास्तों को
हम मिलेंगे
हम मिलेंगे बाग़ में, गाँव में, धूप में, छाँव में, 
रेत मे, दश्त में, शहर में, मस्जिदों में, कलीसो में, 
मंदिर मे, मेहराब में, चर्च में, मूसलाधार बारिश में,
 बाज़ार में, ख़्वाब में, आग में, गहरे पानी में, 
गलियों में, जंगल में और आसमानों में
कोनो मकाँ से परे गैर आबद सैयाराए आरज़ू में 
सदियों से खाली पड़ी बेंच पर
जहाँ मौत भी हम से दस्तो गरेबाँ होगी, 
तो बस एक दो दिन की मेहमान होगी।

©प्रतिहार
  #YouNme
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प्रतिहार

इस धरती पर बम फोड़ने की जगह है 
बलात्कार करने की जगह है 
दंगों के लिए जगह है 
ईश्वर के पसरने की भी जगह है 
मगर तुमसे मुलाक़ात के लिए 
पंजे भर ज़मीन नहीं है इस धरती के पास 

जब भी मैं तुमसे मिलने आता हूँ 
अपनी बाइक लेकर 
सभ्यताएँ उखाड़ ले जाती हैं उसका स्पार्क प्लग 
संस्कृतियाँ पंचर कर जाती हैं उसके टायर 
धर्म फोड़ जाता है उसकी हेडलाइट 
वेद की ऋचाएँ मुख़बिरी कर देती हैं 
तुम्हारे गाँव में 
और लाल मिरजई बाँधे रामायण तलब करता है
मुझे इतिहास की अदालत में 

मैं चीख़ना चाहता हूँ कि 
देवताओं को लाया जाए मेरे मुक़ाबिल 
और पूछा जाए कि कहाँ गई वह ज़मीन 
जिस पर दो जोड़ी पैर टिका सकते थे 
अपना क़स्बाई प्यार 
मैं चीख़ना चाहता हूँ कि 
धर्मग्रंथों को लाया जाए मेरे मुक़ाबिल 
और पूछा जाए कि कहाँ गए वे पन्ने 
जिन पर दर्ज किया जा सकता था प्रेम का ककहरा 
मैं चीख़ना चाहता हूँ 
कि लथेड़ते हुए खींचकर लाया जाए 
पीर और पुरोहित को और पूछा जाए 
कि क्या हुआ उन सूक्तियों का 
जो दो दिलों के महकते भाप से उपजी थीं 

मेरे बरअक्स तलब किया जाना चाहिए इन सभी को 
और तजवीज़ से पहले बहसें देवताओं पर होनी चाहिए 
पीर और पुरोहित पर होनी चाहिए 
आप देखेंगें कि देवता बहस पसंद नहीं करते 

मैंने तो फ़ोन पर कह दिया है अपनी प्रेमिका से 
कि तुम चाँद पर सूत कातती बुढ़िया बन जाओ 
और मैं अपनी लोक-कथाओं का कोई बूढ़ा बन जाता हूँ 
सदियों पार जब बम और बलात्कार से 
बच जाएगी पीढ़ा भर मुक़द्दस ज़मीन 
तब तुम उतर आना चाँद से 
मैं निकल आऊँगा कथाओं से 
तब झूमकर भेंटना मुझे इस तरह कि 
‘मा निषाद’ की करकन लिए हुए 
सिरज उठे कोई वाल्मीकि का वंशज।

©प्रतिहार #chaand
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