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alfaazeaalam9654
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Alfaaz~e~Aalam©

मै किसी शाम का सूरज नहीं जो ढाल जाऊँ... मै वो ज़लज़ला हूँ जिसे दुनिया हिलनी है

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Alfaaz~e~Aalam©

#myvoice
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Alfaaz~e~Aalam©

ऐ काश कोई जहाँ में हमारा होता
मैं वो और समंदर का किनारा होता

मेरी आँखे सोचकर नम हुई जाती है
काश ज़िन्दगी में माँ का सहारा होता

लौट जाता उसी वक़्त घर को मैं अपने
निकलते वक़्त किसी ने पुकारा होता

अफ़सोस के सिवा कुछ नहीं है पास मेरे 
काश वक़्त को हमने सही से गुज़ारा होता

गम के समंदर में खुद को डुबोता चला गया
बचाता खुद को अगर तो एक शरारा होता 

दीन के ना दुनिया के हो सके हम "आलम"
वक़्त रहते काश खुद को निखारा होता
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Alfaaz~e~Aalam©

winter quotes in hindi ये दिल कहीं  इश्क़ में मुब्तिला ना हो जाये
दरमियाँ अपने कोई सिलसिला ना हो जाये
ठंड है बहुत आज कल दूरी बनाये रख प्यारे
कहीं अपना दो-चार का काफिला ना हो जाये ये दिल कहीं  इश्क़ में मुब्तिला ना हो जाये
दरमियाँ अपने कोई सिलसिला ना हो जाये
ठंड है बहुत आज कल दूरी बनाये रख प्यारे
कहीं अपना दो-चार का काफिला ना हो जाये

ये दिल कहीं इश्क़ में मुब्तिला ना हो जाये दरमियाँ अपने कोई सिलसिला ना हो जाये ठंड है बहुत आज कल दूरी बनाये रख प्यारे कहीं अपना दो-चार का काफिला ना हो जाये #Shayari

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Alfaaz~e~Aalam©

Alcohol ज़रा सा गुरूर ख़ुदमे रहने दिया
दर्द जिस्म को ज़रा सहने दिया
लोग कहते है मैं शराब पीता हूँ
हमने भी लोगों को कहने दिया ज़रा सा गुरूर ख़ुदमे रहने दिया
दर्द जिस्म को ज़रा सहने दिया
लोग कहते है मैं शराब पीता हूँ
हमने भी लोगों को कहने दिया

ज़रा सा गुरूर ख़ुदमे रहने दिया दर्द जिस्म को ज़रा सहने दिया लोग कहते है मैं शराब पीता हूँ हमने भी लोगों को कहने दिया #Shayari

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Alfaaz~e~Aalam©

कफन में लिपटी हुए लाश हो गई है
ज़िन्दगी मेरी बिखरी ताश हो गई है
क्या संभाले अब हम ज़िन्दगी को
ज़िन्दगी जब खुद पाश-पाश हो गई है कफन में लिपटी हुए लाश हो गई है
ज़िन्दगी मेरी बिखरी ताश हो गई है
क्या संभाले अब हम ज़िन्दगी को
ज़िन्दगी जब खुद पाश-पाश हो गई है

कफन में लिपटी हुए लाश हो गई है ज़िन्दगी मेरी बिखरी ताश हो गई है क्या संभाले अब हम ज़िन्दगी को ज़िन्दगी जब खुद पाश-पाश हो गई है

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Alfaaz~e~Aalam©

मैं एहसासात की तर्जुमानी क्या लिखता
तुम बताओ दर्द की निशानी क्या लिखता
अगर इतना ही मासूम है ज़माने में आलम
बताओ मोहब्बत की कहानी क्या लिखता 
 

می احساسات کی ترجمانی کیا لکھتا                      
تم بتاؤ درد کی نشانی کیا لکھتا                            
اگر اتنا ہی معصوم ہے زمانے مے عالم                     
بتاؤ موحبّت کی کہانی کیا لکھتا #RDV19
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Alfaaz~e~Aalam©

ख़तरे मे अपनी जान लग रही
गिरती हुई अपनी आन लग रही

अभी तो चला हूँ मैं मज़िल की तरफ
अभी से क्यू इतनी थकान लग रही #RDV19
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Alfaaz~e~Aalam©

शहर मे मेरे  कत्तल बढ़ने लगे हैं
यानी गोलियों के दाम घटने लगे है

जिससे देखो बना जा रहा हैं कत्तिल
यानी ज़मीर आसानी से बिकने लगे है

मेरे रब करना हिफाज़त हमारे घरों की
दुश्मन जो अब बगल मे बसने लगे है

नामों से बदनाम हैं बस मार यहाँ पर
हक़ीक़त मे इंसा-इंसा को डसने लगे है

करें कैसे उम्मीद-ए-इंसाफ कोई बताये
कातिल कोर्ट से जब बरी होने लगे है

करेगा कौन मुझे याद बाद मेरे "आलम"
लोग अभी से जब तुम्हे भूलने लगे है #RDV19
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Alfaaz~e~Aalam©

ये कैसी लगी शहर में आग है 
मेरे घर में ही जिसके दाग है  

ये कैसा मौसम है बारिशों का
महरूम जिससे में मेरे बाग़ है

क्या मैं ही गुज़रा था क्या तूफान से
या शहर में मुझ जैसे कई घाग है

लगी तोहमत फिर एक बार हमपे
तो कौन सा पहला धाग हैं

होश में अब जाके हूँ मैं आया
पाया है जबसे आस्तीन में नाग है #RDV19
#RDV19
#RDV19 
#RDV19 
#RDV19
#RDV19
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Alfaaz~e~Aalam©

होठ खामोश थे सिसकियाँ कह गयी,
द्वार बंद थे खिड़कियाँ कह गयी,
कुछ हमने कहा कुछ हिंदी कह गयी,
जो न कह पायें वो हिचकियाँ कह गयी #RDV19
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