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लेखनी

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लेखनी

तेरी राहों को रोशन रखने
मेरे कहने से आज निकला चांद, 
कल भी अगर भूल जाओ मुझे, 
तो भी मेरी तरह नहीं भूलेगा ये चांद।।

©लेखनी #Travel
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लेखनी

दिल में समाकर, उसे तोड़ देना,
नजरों में बसकर, मुंह मोड़ लेना,
सनम तुमने तो दिल्लगी कर ली,
हमने इस दरम्यान एक उम्र जी ली।

©लेखनी
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लेखनी

रास्तों में सफर बाकी है,
अभी मेरी तलाश बाकी है,
उम्मीदें तो मर ही चुकी हैं,
कुछ ख्वाब लेकिन बाकी है।

©लेखनी #Nofear
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लेखनी

उठ रही

प्राची की मुंडेर पर खड़े
सूरज ने आवाज़ लगाई है,
किरणों की चूनर ओढ़ रश्मी,
धीरे - धीरे पग धर आई है।

नन्हें कोंपल लगे झूमने
कलियों ने ली अंगड़ाई है,
धरा ने अपना यौवन सजा कर
मानव संग प्रीत लगाई है।

सुजल की गोद से आज उतर
मोती बनने बूंद सीप घर आई है,
कल - कल करती सरिता भी
सागर से मिलने आगे आई है।

सतरंगी वसन पहन प्रकृति ने
सात सुरों में तान लगाई है,
तू क्यूं उदास बैठा रे मनवा
द्वारे तेरे देख खुशी अब आई है।

नए दिन और नए विचारों ने
तन मन संग ली अंगड़ाई है,
कहे ' लेखनी ' उठ आह राही
तेरी मंज़िल ने आवाज़ लगाई है।


***लेखनी*** #newplace
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लेखनी

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लेखनी

#shayeri
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लेखनी

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लेखनी

अभी कल की बात है

दोस्तों की महफिलों में
तुम्हारे ठहाकों की
ज़ोरदार बरसात थी,
जैसे अभी कल ही
की तो बात थी।

किसी की बात पर
मुस्कुरा कर नजर से
भेजी एक सौगात थी,
ये अभी कल ही 
की तो बात थी।

मासूम चेहरे पर
खुशी औे घबराहट
दोनों साथ साथ थी
हां अभी कल की
मानो बात थी।

यकबक चल देना
कभी चलते चलते
अचानक रुक जाना
सब अभी कल की
तुम्हारी ये बात थी।

ज़िन्दगी के जंगल में
हर मोड़ पर हर हाल में
साथ दोगे, वादे के साथ
कहीं जो अभी कल ही
'लेखनी' ने माना,वो बात थी। #RishiKapoor
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लेखनी

याद

रोज़ याद आती है मुझे
तुम्हारा वो, चाय फीकी है,
कहकर मुस्कुराते हुए
भरा कप मुझे लौटा देना,
और मेरा उसमें से ही
एक घूंट भरकर, आंखें
तरेरते हुए, कप को लौटा देना।

याद आती है मुझे,
तुम्हारा घर लौटते ही,
न जाने कितने नामो से 
मुझे पुकारते रहना,
और मेरा चुपके से
सामने आकर खड़े हो जाना।

याद आती है मुझे,
सबके सामने ही मेरी 
बनाई हुई मीठी सेवई को
फीका बताते हुए,रसोई में
मेरे पीछे से आकर , जल्दी 
एक चम्मच मेरे मुंह में लगा देना।

आज चाय का कप  है वहीं 
मेरे नाम में से आवाज़ खो गई 
मीठी सेवइयां, अब सच में ही
सबके लिए ही फीकी हो गई
सब है घर में, बस तुम नहीं हो
तुम्हें तो महामारी अपने साथ ले गई।

****लेखनी*** #chai
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लेखनी

तन्हाई ने करवट ली है

शायद बिछी चादर में सलवट सी है,
हाँ,अभी मेरी तन्हाई ने करवट ली है।

चाँदनी ने तारोँ के दर पे दस्तक दी है,
देखो चाँद की तन्हाई ने करवट ली है।

इक सूने दरवाज़े पर एक आहट सी है,
सूने आंगन की तन्हाई ने करवट ली है।

पुरनम चेहरे पर यूं कुछ मुस्कुराहट सी है, 
आज 'लेखनी' की तन्हाई ने करवट ली है।

***लेखनी***

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