कुछ टूटा है अंदर, कुछ टूट रहा है।
बस इसे ही जोड़ने की मांग करता हूँ।
मैं आदमी हूँ इस दौर का ,
समय होते हुए भी समय की मांग करता हूँ।
कबसे इन बंद दीवारों में हूँ,
अब उजाले की मांग करता हूँ।
यूं तो आकार बड़ा है मेरा,
गर अब !
PandeyWriteups
प्यार और उसका इंतजार ।
PandeyWriteups
प्यार और ख्वाब
PandeyWriteups
तुम क्या जानो कितना खौफ है मेरा आजकल
अब तो हमें हँसता देख वक़्त भी डरने लगा है ।
PandeyWriteups
ना जाने कैसी उम्मीद लिए फिरता हूँ ?
इस अपनों से भरे गैरों के शहर में,
शायद मैं भी गैरों की तरह रहता हूँ । #writeups