काली रातों का बंजारा
काली रातों का बंजारा
काली रातों का बंजारा
बिखरा हूं फिर इस कदर
कि थक चुका हूं
अब खुद को समेटते समेटते
आखिर छोड़ दिया है
मैंने अब खुद को समेट ना #अजीतसिंह_लकवाड
काली रातों का बंजारा
काली रातों का बंजारा
काली रातों का बंजारा
बिखरा हूं फिर इस कदर
कि थक चुका हूं
अब खुद को समेटते समेटते
आखिर छोड़ दिया है
मैंने अब खुद को समेट ना #अजीतसिंह_लकवाड