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kajalbharti9830
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Kavya Goswami

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Kavya Goswami

एक सफल ज़िन्दगी का मै सम्पुर्ण अर्थ नही हूँ 
कतरा-कतरा समेटती हूं कतरा-कतरा बिखरती हूं 

कभी आस की थरथराती लौ बुझने को आती है
तो कभी-कभी मेरी ज़िन्दगी बेलुत्फ़ हुए जाती है

मै यथार्थ तो जीती हूं पर अनृत छल कर जाता है
मेरे सत्य का हर अध्याय प्रमाण तक सिमट आता है

मेरी कोमल भावना सरेआम कुचल दी जाती है
जैसे कोई स्याह रात परछाई को छलती जाती है 

भुली बिसरी यादों की मै अनवरत एहसास नही हूँ 
जो अन्तर्मन को भेद जाये मै वो आवाज़ नही हूँ

मै धैर्य में लिपटी चाहत हूँ जिसका आकार नही है
मेरे ज़ीवन पर ख़ुद का भी तनिक अधिकार नही है l एक सफल ज़िन्दगी का मै सम्पुर्ण अर्थ नही हूँ 
कतरा-कतरा समेटती हूं कतरा-कतरा बिखरती हूं 

कभी आस की थरथराती लौ बुझने को आती है
तो कभी-कभी मेरी ज़िन्दगी बेलुत्फ़ हुए जाती है

मै यथार्थ तो जीती हूं पर अनृत छल कर जाता है
मेरे सत्य का हर अध्याय प्रमाण तक सिमट आता है

एक सफल ज़िन्दगी का मै सम्पुर्ण अर्थ नही हूँ कतरा-कतरा समेटती हूं कतरा-कतरा बिखरती हूं कभी आस की थरथराती लौ बुझने को आती है तो कभी-कभी मेरी ज़िन्दगी बेलुत्फ़ हुए जाती है मै यथार्थ तो जीती हूं पर अनृत छल कर जाता है मेरे सत्य का हर अध्याय प्रमाण तक सिमट आता है #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqrestzone

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Kavya Goswami

सांस सांस पर नाम हो तेरा ओ मेरे गिरधर गोपाला ।
रहे सुशोभित मन मंदिर में सुंदर श्यामल रूप तुम्हारा।। सांस सांस पर नाम हो तेरा ओ मेरे गिरधर गोपाला ।
रहे सुशोभित मन मंदिर में सुंदर श्यामल रूप तुम्हारा।।

#कृष्णा
#कृष्णाप्रेमी
#कृष्णादीवानी

सांस सांस पर नाम हो तेरा ओ मेरे गिरधर गोपाला । रहे सुशोभित मन मंदिर में सुंदर श्यामल रूप तुम्हारा।। #कृष्णा #कृष्णाप्रेमी #कृष्णादीवानी

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Kavya Goswami

मेरे छोटे से बचपन की 
एक बड़ी सी कहानी हो तुम
मेरे घुँटते हुए मन के लिए 
सांसों की रवानी हो तुम

कोई गली, कोई सड़क 
कोई दोस्त आज अपना नही
एक तुम ही बेजुबां खड़े
राह मेरा तकते रहे

बड़े अरसे बाद मिले हो
आज जीभर कर निरेखूंगी 
यादों के बिखरते तिनके को
एक-एक कर सहेजूंगी

मोल देकर अपने अस्कों का 
केवल दो पल तेरा खरीदूँगी
इस एक जीवन के बँधन में
आज कई मौत समेटूँगी ।। #yqdidi #yqbaba #yqhindi #yqrestzone  #yqdiary  #yqpoetry
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Kavya Goswami

श्याम बरन धारे बरस रहे घन, बूँद बूँद से भीगे कण-कण।
नवजीवन का अरक समेटे, प्रेम सुधा बरसे हैं क्षण-क्षण।। बारिश जब आती हैं...तन-मन हर्षाती हैं।

#बारिश
#बारिशकीबूंदे

बारिश जब आती हैं...तन-मन हर्षाती हैं। #बारिश #बारिशकीबूंदे

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Kavya Goswami

दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा 
'रावण' का अभिमान
असत्य का पाँव फ़ैल रहा
इससे 'राम' नही अंजान

कुछ पल भुजबल की गरिमा है
इतिवृत्त है प्रमाण
ज्ञान-दान सब धरा रह जाये
जब 'कर्म' से हो पहचान । आप सब को दशहरा की हार्दिक बधाई

#दशहरा_की_हार्दिक_बधाई
#दशहरापर्वकीशुभकामनाएँ
#happydashahara
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Kavya Goswami

!! मै प्रेम भँवर के बीच हूँ !!

नदियों की लहरों में अल्हड़ सी रवानी हैं
जवाँ रात की तन्हाई में प्रीत की कहानी हैं

सदियों से रिश्ता है गगन और धरातल का 
चांद से चांदनी का, बिजली से बादल का 

हवाओं में फूलों की खुशबू घुलती जाती हैं
कलियों के खिलने पर उन्मुक्त हो जाती हैं

बेकल प्रेम की चाहत तब सरेआम होती हैं
जब उड़ती हुई धूल शाखाओं तक जाती हैं

प्रकृति ने आँचल में कितने ही रंग सामाए हैं
परंतु प्रेम के रंग सा मुझे कोई रंग ना भाए हैं

प्रेम सुधा से हृदय मेरा सिंचित हो जाता है
जब प्रेम में पड़कर प्रेम अनुभव कर पाता हैं।
 !! मै प्रेम भँवर के बीच हूँ  !!

नदियों की लहरों में अल्हड़ सी रवानी हैं
जवाँ रात की तन्हाई में प्रीत की कहानी हैं

सदियों से रिश्ता हैं गगन और धरातल का 
चांद से चांदनी का, बिजली से बादल का

!! मै प्रेम भँवर के बीच हूँ !! नदियों की लहरों में अल्हड़ सी रवानी हैं जवाँ रात की तन्हाई में प्रीत की कहानी हैं सदियों से रिश्ता हैं गगन और धरातल का चांद से चांदनी का, बिजली से बादल का #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqlove

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Kavya Goswami

तरसत मेरो नैन दरस को, क्षणभर भी तोहे देख ना पाऊं।
मंदिर मंदिर भीड़ हैं भारी, हे माधव मै किस विधि आऊं।।
 #राधे_राधे 
#कृष्णाप्रेमी 
#कृष्णा_की_तृष्णा 
#कृष्णादीवानी
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Kavya Goswami


!! मेरे कृष्ण मुरारी !!

मै छवि निरेखू जब-जब तोरी
मन मोरा हरसाए
शेष रही ना मन की इच्छा
जबसे प्रीत लगाए..

श्यामल-श्यामल सुरत तोरी
देखूँ सबै सुख पाऊं
तू मोहन मेरो मनमोहन
सोच-सोच मुस्काऊँ

तुम बिन कोई मीत ना मेरो
तोसे है बस नाता
तेरो स्नेह-सुधा में तरकर 
मन मोरा सरसाता

हे माधव ! हे कृष्ण कन्हाई
ऐसो ही प्रीत रहे तुमसे
मन अकुलाये जब-जब मेरो
स्नेह ज्ञान मै पाऊं तुमसे। मै रुप निरेखू जब-जब तोरी
मन मोरा हरसाए
शेष रही ना मन की इच्छा
जबसे प्रीत लगाए

श्यामल-श्यामल सुरत तोरी
देखूँ सबै सुख पाऊं
तू मोहन मेरो मनमोहन

मै रुप निरेखू जब-जब तोरी मन मोरा हरसाए शेष रही ना मन की इच्छा जबसे प्रीत लगाए श्यामल-श्यामल सुरत तोरी देखूँ सबै सुख पाऊं तू मोहन मेरो मनमोहन #एक #yqbaba #yqdidi #राधे_कृष्णा #कृष्णाप्रेमी

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Kavya Goswami

आकाश और चाँद...और ये मनोहारी रात
इस खामोशी में आज सुकून मिल रहा है 

शाखाओं को छूकर ये गुज़रती हुई हवाएँ
जैसे फिज़ा में कोई संगीत घुल रहा हैं ।

 ओ चाँद मनोहारी रातों की...

ओ चाँद मनोहारी रातों की...

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Kavya Goswami


मेरे ख्यालों से होकर, 
यह शाम कितनी ही बार गुज़र जायेगी
पर जिसके लिए मै बेताब थी, 
वो फिर कभी नही आयेगी...

( पुरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें...)
 यह वह शाम है, 
जिसका बहुत इंतज़ार है मुझे
मै शामिल तो नही हूँ, 
लेकिन उस पल को जीने की आरज़ू अभी बाकी है

जैसे-जैसे शाम पर, 
रात का आँचल फैलेगा
चांद की रोशनी मे,

यह वह शाम है, जिसका बहुत इंतज़ार है मुझे मै शामिल तो नही हूँ, लेकिन उस पल को जीने की आरज़ू अभी बाकी है जैसे-जैसे शाम पर, रात का आँचल फैलेगा चांद की रोशनी मे,

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