Nojoto: Largest Storytelling Platform
sanidhyakumar0480
  • 22Stories
  • 55Followers
  • 202Love
    0Views

Sanidhya Kumar

चार कदम ही चला मैं, हिमालय मुझको लांघना है

  • Popular
  • Latest
  • Video
1dc601e70d471dc36d8728bc71e2a236

Sanidhya Kumar

तपस्या का भाव मैं , त्याग का प्रतीक मैं
देवों का भी देव हूं ,अनंतकाल का शिव मैं

©Sanidhya Kumar
1dc601e70d471dc36d8728bc71e2a236

Sanidhya Kumar

अपने अंदर का जहां देखा
मानो मैंने सारा जहां देखा
मद्धम हवाओं की गर्माहट
सूखे पत्तों की सरसराहट
नदियों में छलकता हुआ धूप
ईश्वर का उभरता हुआ स्वरूप
पुष्पों की महक से मन मुग्ध
मिट्टियों में लिपटकर तन शुद्ध
वादियों की मौन की आवाज़
मंदिरों में आरती मस्जिदों में नमाज़
लोभ इर्ष्या पाप से पुण्य की ओर
मेरे कदम बढ़े तो बढ़े शुन्य की ओर
अपने अंदर का जहां देखा
मानो मैंने सारा जहां देखा

~सानिध्य✍️

©Sanidhya Kumar
1dc601e70d471dc36d8728bc71e2a236

Sanidhya Kumar

ख्वाब भी न पहुंची थी, हम उस ओर चले
ज़िन्दगी बचाने को ,जिंदगानी छोड़ चले

रौनक जो चहरे की,उससे मुख मोड़ चले
मौत शुरू होती जहां , हम उस छोर चले

आंगन, बरगद, तालाब  ये जन्नत  छोड़  चले
औरों के शौख के लिए ,मौज मस्ती छोड़ चले

ख्ट्टे मीठे खेत बगान के ,गन्ने आम छोड़ चले
जवानी पूरी जिनसे, वो याराना छोड़ चले

तिरंगे की दुनिया में , रंगीन शाम छोड़ चले
ज़िन्दगी बचाने को, जिंदगानी छोड़ चले


#indianarmyday

©Sanidhya Kumar #IndianArmy
1dc601e70d471dc36d8728bc71e2a236

Sanidhya Kumar

तारे टूट कर आसमां से गिर रहे थे, देखा क्या
हम फिर दुआ में तुम्हें मांग रहे थे, देखा क्या

कल फिर वही बात तुमसे कहने आये थे हम
कल फिर से हम हकला रहे थे, देखा क्या

दोस्त बड़े ताज्जुब से देख रहे थे हमें
तुमसे मिलकर हम इतरा रहे थे, देखा क्या

हंसती हो अक्सर तुम हमारी बातों पर
तुम्हारे हंसने पर हम हंस रहे थे, देखा क्या

तुम्हारे सबसे खास होने की ख्वाहिश है हमें
सो तुमसे नाराजगी जता रहे थे, देखा क्या

हम अपना किस्सा सुना रहे थे लोगों को
लोग अपनी चाहत में डूब रहे थे, देखा क्या

~ सानिध्य

©Sanidhya Kumar #Love #Poetry #Nojoto
1dc601e70d471dc36d8728bc71e2a236

Sanidhya Kumar

रोज़ एक ख़्वाब टूट जाता है आसमां चढ़ते चढ़ते
मैं रोज़ टूट जाता हूं एक ख्वाब बुनते बुनते

कोशिशें कई बार की है सम्भल कर चलने की
लड़खडा जाता हूँ चिकने रास्तों पर चलते चलते

बड़ा गरीब लगता है इस शहर का तौर तरीका
लोग अच्छा खासा कमा लेते हैं ईमान बेचते बेचते

मंजर की तरह आया था काफी उम्मीदें लेकर
मंजर की तरह झड़ गया आंधियों से लड़ते लड़ते

अब तो मैं भी शामिल हो गया हूं इस भीड़ में
थक जाता हूं छाँव में भी दो कदम चलते चलते


                                           - सानिध्य #feather
1dc601e70d471dc36d8728bc71e2a236

Sanidhya Kumar

_अनंत काल का राम मैं_

दिनकर सा तेज मैं, समंदर सा गहरा मैं
पर्वत सा अटल हूं, नदियों सा बहता मैं

सावन का बादल मैं,धधकती हुई ज्वाला मैं
अंधेरों को चुनौती दूं, जुगनू सा उजाला मैं

ईश्वर का वरदान मैं, ऋषियों का श्राप मैं
युगों-युगों का पुण्य हूं, कलयुग का पाप मैं

असुरों की ललकार मैं,बंसी बजाता श्याम मैं 
भाव का प्रभाव हूं,अनंत काल का राम मैं(२) 

सृजन का कर्म मैं,विनाश काल का अधर्म मैं
जन-जन का आराध्य हूं ,मनुष्यता का धर्म मैं

रावण की तपस्या मैं, रावण का अहंकार मैं
एक बाण पर मात दूं, रावण का संहार मैं

हर युद्ध का प्रारंभ मैं, हर युद्ध का अंत मैं
जन्म-मृत्यु का लेख हूं,ओमकार सा अनंत मैं

जन-जगत का प्राण मेैं, प्राण प्राण का विराम मैं
अयोध्या का राजा हूं,अनंत काल का राम मैं(२) 

--सानिध्य कुमार _अनंत काल का राम मैं_

दिनकर सा तेज मैं, समंदर सा गहरा मैं
पर्वत सा अटल हूं, नदियों सा बहता मैं

सावन का बादल मैं,धधकती हुई ज्वाला मैं
अंधेरों को चुनौती दूं, जुगनू सा उजाला मैं

_अनंत काल का राम मैं_ दिनकर सा तेज मैं, समंदर सा गहरा मैं पर्वत सा अटल हूं, नदियों सा बहता मैं सावन का बादल मैं,धधकती हुई ज्वाला मैं अंधेरों को चुनौती दूं, जुगनू सा उजाला मैं

1dc601e70d471dc36d8728bc71e2a236

Sanidhya Kumar

__हम जीतेंगे__

अपनी हदों से हम आगे निकलेंगे
तय लक्ष्य के मुकाम तक पहुंचेंगे
निचोड़ अपनी सारी हार को अब
हम जीतेंगे हम जीतेंगे हम जीतेंगे

कर लिया फैसला,अब लड़ना है हमें
ईमान और मेहनत से जीतना है हमें
माना गगनचुम्बी है शिखर लेकिन
गगन चुम शिखर पार करना है हमें

भीड़ से अलग अपनी पहचान लिखेंगे
हम जीतेंगे हम जीतेंगे हम जीतेंगे

हमें संघर्षों में अब पलना है आगे
बाधाओं, विघ्नों से लड़ना है आगे
चाहे तन थक जाए या मन रुक जाये
हमें तो जीत कर दम लेना है आगे

नहीं औरों से,यह रण हमारा हमसे है
अस्त्र और शस्त्र हमारा केवल हममें है
मिसालें दी गई हमें हज़ारों लेकिन
हमारी प्रेरणा सिर्फ हममें और हममें है

अपनी हार पर दृढ़ता से प्रहार करेंगे
हम जीतेंगे हम जीतेंगे हम जीतेंगे #hindi #poetry #selfmotivation #हमजीतेंगे
1dc601e70d471dc36d8728bc71e2a236

Sanidhya Kumar

एक और मुस्कान में हंसता सारा जहाँ देखा
माँ के बाद एक और खुबसूरत चेहरा देखा

1dc601e70d471dc36d8728bc71e2a236

Sanidhya Kumar

तेरी तस्वीरें मैं दीवारों पर सजाना चाहता हूं
बस डर है कहीं ये दीवारें पिघल न जाए

1dc601e70d471dc36d8728bc71e2a236

Sanidhya Kumar

अपनी पहचान से अंजान लगते हैं हम
कि बड़े बदले बदले से लगते हैं हम

कभी न गुजरता वक्त तुम्हारे साथ में
फिर भी बहके बहके से लगते हैं हम

मनगढ़ बातें हैं सब मेरी और तुम्हारी
तुम्हारे हिस्से का भी खुद कहते हैं हम

सोचते हैं महज इक तुम्हें बाहों में
सो बड़े महके महके से लगते हैं हम

बेवजह मुस्कुराने लगे हैं हम इन दिनों
इन दिनों निगाहों में तुम्हें रखते हैं हम

कोशिश हर बार कुछ नया रचने को है
महज हर बार तुमको ही रचते हैं हम #NojotoQuote

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile