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पंकज अंगार ललितपुर

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पंकज अंगार ललितपुर

लफ़्ज़ों में अपने पाल के कागज़ पे रख दिया।
ग़ज़लों में तुझको ढाल के कागज़ पे रख दिया।।
पंकज मैं दिल मे तेरे उतर जाऊं इसलिए।।
मैंने ये दिल निकाल के कागज पे रख दिया।।

पंकज अंगार
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पंकज अंगार ललितपुर

जहाँ सीखे सदा हमसे नियम पालन करें ऐसे 
हो तन के संग मन भी शुद्ध प्रक्षालन करें ऐसे 
नमस्ते आचरण भारत की भूमि ने दिया हमको 
सुरक्षित है यही आओ अभिवादन करें ऐसे

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पंकज अंगार ललितपुर

मैं अन्तस् की प्यास बनूं तुम खुद को बादल कर डालो।
मैं अमलतास में ढलता हूँ तुम खुद को सन्दल कर डालो।
ये रात मिलन की गुज़र न जाये कहीं अधूरेपन में ही।
मैं तुम्हे मुकम्मल कर डालूं,तुम मुझे मुकम्मल कर डालो।।

पंकज अंगार
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पंकज अंगार ललितपुर

आज की शाम आदरणीय रामकुमार जी चतुर्वेदी जी के आदेश पर सिवनी मध्य प्रदेश।।।

जिसको बुनने बने कबीरा ताना बाना रूठ गया।
साथ अजल से चलने वाला दर्द पुराना रूठ गया।।
समझ सकेगा कौन भला उस वृन्दावन की व्याकुलता।
रास की रुत में जिसके गोकुल से बरसाना रूठ गया।।

पंकज अंगार
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पंकज अंगार ललितपुर

रिश्तों की मसनद ज़ालिम है।
उल्फत की संसद ज़ालिम है।
पहरे में रखती है दिल को 
ये हद भी बेहद ज़ालिम है ।


पंकज अंगार
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पंकज अंगार ललितपुर

इश्क़ से मेरे नफरत का हर एक पयम्बर हार गया।
एक लफ्ज़ ही बोला मैने और सिकन्दर हार गया।
सीने में सैलाब छुपाये अजब नशे में रहता था।।
पंकज मेरी प्यास के आगे आज समंदर हार गया

पंकज अंगार
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पंकज अंगार ललितपुर

कभी प्यार का काबा हो जा कभी प्रेम की काशी बन।
ऐ नफरत के पतझड़¡दिल मे फूल खिला मधुमासी बन ।
रोज भोर से शाम तलक क्या हिन्दू मुस्लिम रहता है।
दिन भर में पल दो पल को तो पंकज भारतवासी बन।।

पंकज अंगार
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पंकज अंगार ललितपुर

कभी प्यार का काबा हो जा कभी प्रेम की काशी बन।
ऐ नफरत के पतझड़¡दिल मे फूल खिला मधुमासी बन ।
रोज भोर से शाम तलक क्या हिन्दू मुस्लिम रहता है।
दिन भर में पल दो पल को तो पंकज भारतवासी बन।।

पंकज अंगार
8090853584 कभी प्यार का काबा हो जा कभी प्रेम की काशी बन।
ऐ नफरत के पतझड़¡दिल मे फूल खिला मधुमासी बन ।
रोज भोर से शाम तलक क्या हिन्दू मुस्लिम रहता है।
दिन भर में पल दो पल को तो पंकज भारतवासी बन।।

पंकज अंगार
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कभी प्यार का काबा हो जा कभी प्रेम की काशी बन। ऐ नफरत के पतझड़¡दिल मे फूल खिला मधुमासी बन । रोज भोर से शाम तलक क्या हिन्दू मुस्लिम रहता है। दिन भर में पल दो पल को तो पंकज भारतवासी बन।। पंकज अंगार 8090853584

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पंकज अंगार ललितपुर

जो दिलों के बीच मे था प्रेम सारा खा गयीं।
नफ़रतें दीमक सरीखी मन हमारा खा गयीं
आज खाली बर्तनों सा मुल्क बाकी रह गया।।
चन्द अफवाहें हमारा भाईचारा खा गयीं।।

पंकज अंगार
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पंकज अंगार ललितपुर

खुदा ने एक जन्नत सी उतारी इस हथेली पर।
लिखी तुमने मुहब्बत जब कुंआरी इस हथेली पर।
कभी तुमने रखी थी जो बड़े हौले से शरमाकर।
रखी है वो छुअन अब तक हमारी इस हथेली पर ।।

पंकज अंगार
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