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nagendrakishorsi9420
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नागेन्द्र किशोर सिंह

🌹मुझे है शौक लिखने का, 🌹 दिल ए एहसास लिखता हूं।🌹🙏

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नागेन्द्र किशोर सिंह

मन बसे अयोध्या धाम , जहां पर जन्में हैं श्री राम।
धाम अयोध्या है बड़ पावन।
सरजू जहां है पाप नासवन।
मिट जाते हैं पाप तमाम..मन बसे अयोध्या धाम।
 अनुज संग श्री राम विराजें।
मां सीता जहां शोभा बढ़ावें।
जहां संग में श्री हनुमान...मन बसे अयोध्या धाम।

©नागेन्द्र किशोर सिंह
  #मन बसे अयोध्या धाम# 
मेरी कलम से #

#मन बसे अयोध्या धाम# मेरी कलम से # #शायरी

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नागेन्द्र किशोर सिंह

* मिली है सजा मुझको ऐसी खता का,
जिसका मुझे भी पता ही नहीं है।
बताए बिना कोई समझेगा कैसे,
क्या बताना भी मुझको मुनासिब नहीं है। *

©नागेन्द्र किशोर सिंह # मिली है सजा#

# मिली है सजा# #शायरी

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नागेन्द्र किशोर सिंह

कैसे नेह लगाऊं हे प्रभु जी , मन पापी ना होने दे।
चाहूं तेरे पास मैं आना, पास मुझे ना आने दे।
ध्यान धरूं , मंदिर भी जाऊं,
पर मन भटके इधर उधर।
तन रहता मंदिर में लेकिन,
ध्यान है रहता इधर उधर।
राह चलूं जब जब भक्ति की, राह मुझे ना चलने दे।
दूर जो होता कोई तुमसे,
मन भक्ति में लागे ना।
राह गलत है या कि सही है,
इतना भी उसे सूझे ना।
जोर है रहता इसका इतना,दूर ना खुद से होने दे।
कैसे कटेगा जीवन मेरा,
दूर रहूंगा जो तुमसे।
मेरे प्रभू जी इतना बता दो,
भूल हुई है क्या मुझसे।
हार गिरा अब दर पर तेरे, और मुझे ना गिरने दे।

©नागेन्द्र किशोर सिंह
  # कैसे नेह लगाऊं # भक्ति गीत # स्वरचित

# कैसे नेह लगाऊं # भक्ति गीत # स्वरचित

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नागेन्द्र किशोर सिंह

तुम्हारी याद आती है, करूं क्या हे मेरे मोहन ।
भुलाना जितना चाहूं मैं, हो आते याद हे मोहन।

©नागेन्द्र किशोर सिंह
  # तुम्हारी याद आती है #!मेरी कलम से #

# तुम्हारी याद आती है #!मेरी कलम से #

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नागेन्द्र किशोर सिंह

चुराते चित हो तुम सबका , सभी चितचोर कहते हैं।
चुराते गर नहीं माखन , तो माखन चोर क्यों होते ।

©नागेन्द्र किशोर सिंह
  # जय श्री कृष्ण # मेरी कलम से।#

# जय श्री कृष्ण # मेरी कलम से।#

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नागेन्द्र किशोर सिंह

# भारत के वीर सपूत# मेरी कलम से #

# भारत के वीर सपूत# मेरी कलम से #

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नागेन्द्र किशोर सिंह

# सजा के हमें वो लिए जा रहे हैं # मेरी मेरी कलम से#

# सजा के हमें वो लिए जा रहे हैं # मेरी मेरी कलम से#

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नागेन्द्र किशोर सिंह

#मस्त मगन शिव भक्ति में #

#मस्त मगन शिव भक्ति में # #न्यूज़

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नागेन्द्र किशोर सिंह

बसा है दिल में जो मेरे , वही जा दूर बैठा हैं ।
दिया जिसने भरोसा था , वही मुख मोड़ बैठा है।

मिलेंगे फूल या कांटे , रहेंगे साथ में हरदम।
कहा जिसने था ये मुझसे , वही मुझे छोड़ बैठा है।

©नागेन्द्र किशोर सिंह
  # गजल# बसा है दिल में जो मेरे#मेरी कलम से।

# गजल# बसा है दिल में जो मेरेमेरी कलम से। #शायरी

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नागेन्द्र किशोर सिंह

तुम्हीं प्यारे हो जो इतने , हे मोहन और क्या देखूं।
जगत के रंग सब फीके, भला उनको मैं क्यों देखूं।

तुम्हीं को देखकर अपना,मैं सारा गम भूलता हूं।
तुम्हीं गम की दवा मेरी, दवा कहीं और क्यों ढूंढू।
हे मोहन और क्या देखूं।

छवि इतनी है प्यारी के नजर हटती नहीं तुमसे।
गए हो मिल जो अब मुझको, बता दो कैसे मैं छोडूं।
हे मोहन और क्या देखूं।
सुनूं जब तान बंसी का मैं खुद को भूल जाता हूं।
जहां ऐसी  बजे बंसी , कहीं कोई तान क्यों ढुढूं।
हे मोहन और क्या देखूं।
बसे हो तुम बसे रहना, मेरे इस मन के मंदिर में।
सिवा तेरे कहां जाऊं, शरण कहीं और क्यों मांगू
हे मोहन और क्या देखूं।

©नागेन्द्र किशोर सिंह
  # तुम्हीं प्यारे हो जो इतने# भक्ति गीत # मेरी कलम से।

# तुम्हीं प्यारे हो जो इतने# भक्ति गीत # मेरी कलम से।

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