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Satish Tripathi ugr

कवी

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Satish Tripathi ugr

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Satish Tripathi ugr

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं


#Rewind2021

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं #Rewind2021 #विचार

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Satish Tripathi ugr

तुम हो साजन हमारे दिल में, मचलती पुरवा है तन में ।
चहकतीं कोयलियाँ है वह में , तप रहा स्रंगार मेरा ।
तेरे ही कारण बना है रूप का संसार मेरा ,तेरे ही कारण बना है रूप का संसार मेरा ।।

तुम हो चंदा मेरे मन के , मैं तुम्हारी चांदनी ।
तुम हो स्वर की चरम सीमा , मैं तुम्हारी रागनी ।।
तुम से मैं हूँ , मुझ में तुम हो बस यही विस्वास मेरा ।।

तेरे ही कारण बना है रूप का संसार मेरा ,तेरे ही कारण बन है रूप का संसार मेरा ।।

©Satish Tripathi ugr #Love

Love

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Satish Tripathi ugr

*अनन्त दीपमालाओं से प्रस्फुटित पावन प्रकाश आपके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को आलोकित कर आपके आयु, आरोग्य, वैभव, यश और कीर्ति में श्रीवृद्धि करे।*

*आपको सपरिवार दीपोत्सव के पावन पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏✨🪔🪔*

 *सतीश त्रिपाठी उग्र*

©Satish Tripathi ugr

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Satish Tripathi ugr

हे राम जगत के जन नायक , तुम दिनकर के कुल पालक हो ।
तुम कृपा सिंधु , तुम दया वीर,तुम ही जग के परिचालक हो ।।
गुरु के आदर्शों को मान दिया ,तुमने ही अहिल्या का उद्धार किया ।
शिव धनुष भंग कर ,ब्राम्हण के पथ का तुमने ही विस्तार किया ।
पितु बचन मान कर तुमने ही ,
श्रद्धा की ज्योति जलाई,
केवट, शबरी के तपकर्मो को तुमने पहचान दिलाई ।
तुम परम पूज्य ,तुम अखिल ब्रम्ह ,
तुम ही जग के संचालक हो
हे राम जगत के जन नायक .....

वनचारी हो कर भी रक्षा का , भाव तुम्हारा बना रहा ।
शारंग हाथ मे होते भी , वैरागी बाना बना रहा ।
संतो के हितकारी बन, भूगोल धारा का बदल दिया ।
खर दूषण त्रिसिरा बाली के,पौरुष को तुमने कुचल दिया ।
ऋषियों के पावन परंपरा की, तुमने ही अलख जगाई ।
सुग्रीव जटायू अङ्गद को तुमने पहचान दिलाई ।
तुम परम ज्ञानतपपुंज महा ,तुम ही जन मन के लायक हो ।
हे राम जगत के जन नायक ......

वनचर को साथ लिया तुमने , नरलीला को विस्तार किया।
सेतु बाँध कर सागर में , रामेश्वर नाम साकार किया । 
निशाचर कुल का नाश किया ,भय का तुमने किया अंत ।
धर्म स्थापना करके प्रभु बन गए जगत के परम संत ।
जै राम रामा रमनम कह कर, विधि ,हर, हरि ने सम्मान किया ।
राम राज के कारण ही तुमने ये नारायण से नर  का अवतार लिया ।
तुम परम शौम्य, तुम धरमधीर , तुम ही जगकुल के संचालक हो ।
हे राम जगत के जन नायक ......

©Satish Tripathi ugr #Olympic2021
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Satish Tripathi ugr

*बातों बातों में हो गया, विद्वानों का युद्ध ।* 
 *शब्दों के सर चल रहे, हो कर एक दूजे से क्रुद्ध ।।* 
 *हो कर एक दूजे से क्रुद्ध, युद्ध के परिणाम को जानो ।* 
 *होती स्वयं की क्षति, मानस, गीता की यदि मानो ।।* 
 *कह सतीश कविराय, न छोटा कोई होता ।* 
 *पूज्यनीय तो वही, जो दया के भाव न खोता ।।*

 *सतीश त्रिपाठी उग्र*

©Satish Tripathi ugr #apjabdulkalam
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Satish Tripathi ugr

लोग समझते इस विश्व मे योग भगाए रोग ,
एक साधू ने इस मंत्र का किया सफल उपयोग ।
किया सही उपयोग व्यापार को खूब बढ़ाया ,
खुद के मायाजाल से ,धन का अंबार लगाया 
कह सतीश कविराय चकित है दुनियां सारी ,
पर उनका आत्मिक बिश्वास ही सबसे बड़ी बीमारी ।।

©Satish Tripathi ugr #apjabdulkalam
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Satish Tripathi ugr

कोरोना की मार से दुनियां है बेहाल ,
पर देश के चौकीदार ने किया खूब कमाल ।
किया खूब कमाल कोरोना से विजय दिलाई ,
समय से पहले ही देश ने वैक्सीन बनाई ।
कह सतीश कविराय अब न दो कोई मौका ,
लगवा कर वैक्सीन लगाओ छक्का चौका ।

©Satish Tripathi ugr #apjabdulkalam
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Satish Tripathi ugr

मैं हूँ साजन तुम्हारे मन मे , मचलती बहियाँ बदन में ।
चहकती कोयलियाँ है वन में ।
तप रहा स्रंगार मेरा , तेरे ही कारण बना है रूप का संसार मेरा
तुम हो चन्दा मेरे मन के, मैं तुम्हारी चांदनी हूँ ।
तुम हो स्वर की चरम सीमा ,मैं तुम्हारी रागनी हूँ । 
तुम से हूँ मैं या मुझ में तुम हो यह तो है बस आधार मेरा ।
तेरे ही कारण बना है ,रूप का संसार मेरा ,तेरे.....

©Satish Tripathi ugr #rain
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Satish Tripathi ugr

सागर दूषित हो गए, नदियां करें प्रलाप।
झरने, झरना रोक कर करते है आलाप ।।
करते है आलाप प्रकति को कौन बचाए ।
ऐसे में कोरोना ,भूकंप, सुनामी क्यो न आये ।
कह सतीश कविराय अभी कुछ समय है रीता ।
सब कुछ बच सकता है ,अभी सब कुछ नही है बीता ।।

©Satish Tripathi ugr जल ही जीवन है

जल ही जीवन है

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