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sanjaymishra8941
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Sanjay Mishra

संगीत मेरा जुनून है, गीत गाना मेरी साधना है, साहित्य पाठन, लिखना मेरा शौक है। संगीत मेरा प्यार है , एक सुकून है, एक एहसास है, एक भावना है ।

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Sanjay Mishra

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Sanjay Mishra

एक पातीं पत्नी के नाम

मेरा और तुम्हारा रिश्ता सिर्फ पति पत्नी का ही नही ।
एक बंधन है , एक विश्वास है , एक भरोसा है।।

जब मैं रूठू तो तुम मना लेना , तुम रूठो तो मैं मना लूंगा।

झगड़ो , गुस्सा होने में भी प्यार छुपा है, सारे गिले शिकवे छोड़ कर एक दूसरे को माना लेना।।

माना की घर की जिम्मेवारियां बढ़ने सी लगी है।
शरीर थकने सा लगा है , आंखे धुंधली सी होने लगी हैं।।

तुम्हारी आंखे बन कर मैं तुम्हे थाम लूंगा।
हर पल, हर लम्हों , में सिर्फ तुम्हारे ही साथ मैं हूंगा।।

बच्चों को जन्म देने से भरण पोषण तक , न जाने कितने कष्टों को तुमने सहा होगा।।

लेकिन याद करो हर उन मुश्किल समय में भी मैं तुम्हारा साया बनकर खड़ा रहा हूंगा।।

जब हड्डियां कमजोर हो जाएंगी, पैर जब लड़खड़ाने लगेंगे तो।

तब भी मैं अपने कंधे लिए तुम्हारा सहारा बनूगा।

अभी हम क्यों हम तुम,  तुम गलत , मैं सही , ये सही ,ये गलत।

क्या हम उन सभी से ऊपर सिर्फ हम को ही क्यों न एकाकार किया जाए।

पति पत्नी के रिश्तों की मधुरता , चांदनी सी शीतलता लिए सुखद हवा के झोंके सी होती हैं।

जो शायद थोड़ी सी ढील मिलने पर , शायद बिखर सी जाती है। मेरे हर भरोसे , विश्वास को बनाया रखना ।।

अंत में मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं की मैं हर पल, हर दिन , हर साल, हर हाल में तुम्हारे ही साथ हूं , ये विश्वास मैं तुम्हे दिलाना चाहता हूं।।👩‍❤️‍💋‍👨👨‍👩‍👧

संजय ब्लॉग से साभार।।

©Sanjay Mishra पत्नी के नाम पति के प्यार की कुछ पंक्तियां...

पत्नी के नाम पति के प्यार की कुछ पंक्तियां... #Quotes

7 Love

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Sanjay Mishra

आ लौट के आजा मेरे मीत....

आ लौट के आजा मेरे मीत.... #Shayari

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Sanjay Mishra

गृहिणी एक सच्चाई- 

सुनती हो चाय कितनी देर मे मिलेगी।

मम्मी, मेरा कपडा कहाँ है ? स्कूल के लिये देर हो रही है!

मम्मी बस छूट जायेगी , टिफिन तैयार नही है क्या ?

सुनती हो , ऑफिस के लिये देर हो रही है , नाश्ता , और टिफिन तैयार है ना।।।

शाम मे - 

मम्मी भूख लगी है , कुछ बना दो ना ।।

आज बहुत थक गया हूं सुनती हो, जरा कुछ गरमागरम नाश्ता और चाय बना दो।

मम्मी आज रात खाने मे क्या बना रही हो? कुछ अच्छा सा बना दो ना।

आज के समय मे लगभग हर घरों मे हर गृहिणी के लिये सुबह, दोपहर और शाम की ये अनवरत भाग दौड, सभी की हिसाब से उनकी जरूरतें पूरी करना , स्कूल  से ऑफिस जाने तक खुद भूखे रहकर लगातार अपने आपको परिवार के समर्पित करने वाली महान नारी को हम गृहिणी के नाम से जानते है । 

जिसे हम एक पत्नी , एक माँ, एक बहन के रूप मे ईश्वर ने एक हमे एक अमुल्य वरदान दिया है , शायद इसी लिये कहा गया है " जहाँ स्त्री की पूजा होती है वहाँ देवता बसते हैं। हम दुर्गा , लक्ष्मी रूप मे उस शक्ति की पूजा भी करते हैं।

शायद कई लोग इन बातों से सहमत नही होंगे, बस अपने नजरिये से देखने का फर्क है । क्या हम उस नारी को सम्मान , प्यार नही दे सकते जो  अपना घर छोड़ कर बेटी से पत्नी, माँ, दादी के रूप मे परिवार के प्रति सर्वस्व समर्पित किया है ??

एक स्त्री प्यार, सम्मान, आदर की सम्पुर्ण हकदार है । उसे तहेदिल से शुक्रिया बोलते हैं।।।।

हर नारी को समर्पित।

              - संजय ब्लॉग से साभार।।।

©Sanjay Mishra #lost

5 Love

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Sanjay Mishra

हल्की सुरमई ठंड के एहसास ने शीत ऋतु के आने का संकेत दे दिया है। मौसम के बदलने से शायद हर मन, हर शरीर एक सुखद अनुभूति करता है।

क्या हमने तपते, गर्म लू को सहने के बाद बारिश के मदमस्त करने वाले फुहारों का एहसास नही किया? क्या बारिश के ऊमस और गर्मी के उतार चढ़ाव के बाद शरद ऋतु की शीतलता को नही महसूस किया है??

शरद के बाद शीत ऋतु , फिर बसंत ऋतु आने से चारो तरफ प्रकृति मे सुखद बदलाव, मदमस्त सा मौसम का आनन्द नही लिया है ? 

ये ऋतुएं  बदलाव करती हैं क्योंकि परिवर्तन ही हमे सुख-दुख का एहसास कराती रहती है।
इसी तरह हमे अपने जीवन मे आये सुख-दुख रूपी बदलाव को भी सहन करना पड़ता है। क्या हम मौसम की तरह अपने जीवन मे बारिश सी फुहारें , शरद सी शीतलता, बसंत सी चंचलता को महसूस करा सकते हैं ? 

बदलाव को जीवन का अभिन्न मित्र बनाकार ही हम अपने अंदर , औरों के लिये भी एक सुखद झोकों की तरह बन सकते हैं।

ईश्वर की आराधना, भक्ति सब सही है , मन्दिर , मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च मे शीश झुकाना हमारी श्रद्धा है, संस्कार है। लेकिन क्या मन्दिर , मस्जिद जाना ही काफी है , क्या हम अपने अंदर ईश्वर के बताये , उनकी पसंद के रास्ते पर चल सकते है ।

शायद यही तो सुखद परिवर्तन होगा हमारे जीवन मे, औरों के जीवन मे , शायद तभी ईश्वर को अपने मन मे हृदय मे आत्मसात होते देख सकेंगे ।।।।।

©Sanjay Mishra #alonesoul
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Sanjay Mishra

शाम के ढलते ही बारिस की बूँदों ने धरती का स्पर्श किया तो ऐसा लगा मानो समूचे शहर को बादलों ने आगोश मे ले लिया हो । बादल बरस कर झूमते हुए चले गये , लेकिन जाते जाते छोड़ गये एक अनुपम सौंदर्य ।
आसमान रंग बिरंगे आभा से चमक उठा , बादलों  से मिलन की अनुभूति ने धरती को भी इठलाने को मजबूर कर दिया है। आसमान के दमकते सौंदर्य से ओत प्रोत एक अनुपम दृश्य । #lost

4 Love

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Sanjay Mishra

सोच ने अपनी सोच से सोचते हुए पुछा । क्या मेरी सोच समझ से परे है  ।।  सोच  ने हंसते हुए कहा ।  अरे पगले मत सोच इतना , हर सोच की अपनी सोच है, कभी गलत, कभी भ्रमित, कभी नासमझ , कभी सही ।। मेरे प्यारे भाई हमारा तो काम ही है, मानवो के मस्तिष्क मे सभी  सोचो को डालना, फिर हम क्यों इतना सोचें  । मानव जाति को  ही सोचने दो मेरे भाई ।।।😇😇😇 #Hopeless
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Sanjay Mishra

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Sanjay Mishra

लौट आएंगी खुशियां अभी, 
कुछ गमों का शोर है...
जरा संभलकर रहिये, 
यह इम्तिहानों का दौर है।                           सुरक्षित रहे, स्वस्थ रहे, अपना.          खयाल रखें। #height

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