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arsh1145292537229
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Arsh

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Arsh

💟
मेरा यह Account अब 
काम नहीं करता

 आप मुझे Instagram
पर contact कर सकते हैं #sunlight 💟मेरा यह Account अब काम नहीं करता। 
आप चाहें तो मुझे Instagram पर contact कर सकते हैं🙏

I'm on Instagram as @poet_arsh https://www.instagram.com/invites/contact/?i=1527ky9s8lio2&utm_content=23czjnf

  varsha ✍️ Varsha Singh Baghel(शिल्पी) aman6.1 indira Dia

#sunlight 💟मेरा यह Account अब काम नहीं करता। आप चाहें तो मुझे Instagram पर contact कर सकते हैं🙏 I'm on Instagram as @poet_arsh https://www.instagram.com/invites/contact/?i=1527ky9s8lio2&utm_content=23czjnf varsha ✍️ Varsha Singh Baghel(शिल्पी) aman6.1 indira Dia

34 Love

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Arsh

ऋषि पुलस्त्य के ज्येष्ठ पुत्र वेदवेत्ता लंकापति रावण ने यदि अपने
शत्रु पर दया न दिखाई होती

तो वह अपराजेय हीं रहतें

रावण के जीवन से हमें यह शिक्षा
अवश्य लेनी  चाहिए कि शत्रु को कमजोर समझकर कभी क्षमा नहीं करना चाहिए #arsh

45 Love

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Arsh

ज़रूरी नहीं कि
जिसे तुम नहीं देख पा रहे
वो हो हीं नहीं

ऐसा भी तो हो सकता है
कि तुम अबतक उसकी तरफ
पीठ किये उसे ढूंढने की कोशिश कर रहे हो

23 Love

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Arsh

इस रचना को आप कैप्शन में पढ़ सकते हैं। 111R
डैडी

क्यों मेरी लाड़ो, पापा से छादी क्यों नहीं कलनी?
मुदे नई पता, आप बहोत दंदे हो पापा, पिथली बाल तहा था तौफी लेने दा लहा हूँ, इत्ते दिन लद दये तौफी लाने में? मुदे आपथे बात ही नई तरनी आप दाओ पापा, मुदे आपथे तोई बात नई तलनी!
औल मेली बीदीओ त्यों बना लहे हो.....
*
अरे हो गया दीपू, कितना रोयेगी, बंद कर ये वीडियो, और जाकर ज़रा देख तो कि बनवारी अभी तक फूल लेकर लौटा क्यों नहीं, इसको तो बस बहाना चाहिए रफ़ूचक्कर होने का।

111R डैडी क्यों मेरी लाड़ो, पापा से छादी क्यों नहीं कलनी? मुदे नई पता, आप बहोत दंदे हो पापा, पिथली बाल तहा था तौफी लेने दा लहा हूँ, इत्ते दिन लद दये तौफी लाने में? मुदे आपथे बात ही नई तरनी आप दाओ पापा, मुदे आपथे तोई बात नई तलनी! औल मेली बीदीओ त्यों बना लहे हो..... * अरे हो गया दीपू, कितना रोयेगी, बंद कर ये वीडियो, और जाकर ज़रा देख तो कि बनवारी अभी तक फूल लेकर लौटा क्यों नहीं, इसको तो बस बहाना चाहिए रफ़ूचक्कर होने का। #story #Arsh

38 Love

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Arsh

मैं तन्हा न रह सका
तन्हाई जो साथ थी #arsh जब मैंने लिखना शुरू किया था 😀

#Arsh जब मैंने लिखना शुरू किया था 😀

55 Love

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Arsh

कृपया इस लघु लेख को कैप्शन में पढ़कर
अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें अंधेरे के लिए प्रयास नहीं करने होतें
यह शाश्वत है,
शुरू से है और अंत के बाद भी रहेगा।
जबकि प्रकाश जो हमें अंधकार के विरुद्ध लड़ता प्रतीत होता है, वह भी इससे अलग नहीं,
प्रकाश का अस्तित्व ही अंधकार पर टिका है
कभी-कभी सोंचता हूँ कि
जब तम ही तमाम है, फिर हम ईश्वर को प्रकाश से जोड़कर क्यों देखते हैं, तब महसूस करता हूँ कि तम क्रियाशील नहीं होता, इसमें शिथिलता है अक्रियाशीलता है।
इसमें गति नहीं तो जीवन भी नहीं, अर्थात जीवन की परिभाषा गति में निहित है, जो गतिशील है वही जीवित है। अक्रियाशीलता के प्रति अपने

अंधेरे के लिए प्रयास नहीं करने होतें यह शाश्वत है, शुरू से है और अंत के बाद भी रहेगा। जबकि प्रकाश जो हमें अंधकार के विरुद्ध लड़ता प्रतीत होता है, वह भी इससे अलग नहीं, प्रकाश का अस्तित्व ही अंधकार पर टिका है कभी-कभी सोंचता हूँ कि जब तम ही तमाम है, फिर हम ईश्वर को प्रकाश से जोड़कर क्यों देखते हैं, तब महसूस करता हूँ कि तम क्रियाशील नहीं होता, इसमें शिथिलता है अक्रियाशीलता है। इसमें गति नहीं तो जीवन भी नहीं, अर्थात जीवन की परिभाषा गति में निहित है, जो गतिशील है वही जीवित है। अक्रियाशीलता के प्रति अपने #Science #Mythology #thought #Arsh

65 Love

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Arsh

मेरे प्यारे दोस्तों

अमूमन हमसभी की ये कॉमन आदत होती है कि हम किसी रचना को बिना पढ़े, बिना सुने लाइक्स/कमेंट करके, आगे दूसरे किसी पोस्ट पर बढ़ चलते हैं, इसके पीछे का मनोविज्ञान कारण यह हो सकता है कि हमारी सोंच होती है कि हम जितने ज़्यादा लोगों की posts पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, हमारी पहुँच उतनी ज़्यादा होगी। जिससे हम ज़्यादा से ज़्यादा likes, खुद के लिए बटोर पाएंगे।"

पर, क्या यह सोंच सही है? नहीं, बिल्कुल भी नहीं! जबतक हमारी कलम में धार नहीं होगी, हमारी लेखन शैली पॉलिस नहीं होगी हम स्वर्ण से चमक

मेरे प्यारे दोस्तों अमूमन हमसभी की ये कॉमन आदत होती है कि हम किसी रचना को बिना पढ़े, बिना सुने लाइक्स/कमेंट करके, आगे दूसरे किसी पोस्ट पर बढ़ चलते हैं, इसके पीछे का मनोविज्ञान कारण यह हो सकता है कि हमारी सोंच होती है कि हम जितने ज़्यादा लोगों की posts पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, हमारी पहुँच उतनी ज़्यादा होगी। जिससे हम ज़्यादा से ज़्यादा likes, खुद के लिए बटोर पाएंगे।" पर, क्या यह सोंच सही है? नहीं, बिल्कुल भी नहीं! जबतक हमारी कलम में धार नहीं होगी, हमारी लेखन शैली पॉलिस नहीं होगी हम स्वर्ण से चमक #TalkOnline

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Arsh

रचना - अंकुर
विधा- दृश्य-काव्य
रचना- अर्श
तिथि- 30-मार्च-2020

🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊
पहली बार जाना जब उसको
उम्र 14के पास की थी

रचना - अंकुर विधा- दृश्य-काव्य रचना- अर्श तिथि- 30-मार्च-2020 🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊🎊 पहली बार जाना जब उसको उम्र 14के पास की थी #Arsh

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Arsh

कही हर बात उसने जुबाँ से लेकिन

बस वही अनकही थी जो कहनी थी #सुदर्शन #arsh #love #sad
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Arsh

क्यों न आज ग़मों को
अप्रैलफ़ूल बनाया जाये

दर्द कितना भी हो
जम के मुस्कुराया जाये क्यों न आज ग़मों को अप्रैलफ़ूल बनाया जाये,
दर्द कितना भी हो, जम के मुस्कुराया जाये. #arsh

क्यों न आज ग़मों को अप्रैलफ़ूल बनाया जाये, दर्द कितना भी हो, जम के मुस्कुराया जाये. #Arsh

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