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ashudwivedi7681
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Ashu Dwivedi

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Ashu Dwivedi

जाने किस मिट्टी से उन लोगों को बनाया है ये खुदा तूने  
गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलने का हुनर सिखाया है जिन्हे
आज     करते     हैं    दिखावा    वो    रिश्ते   का  हमसे 
जिसने।  रिश्ते।  में।  रह   कर  रिश्ता  कभी  निभाया  नही 
लगता।    है।    फितरत    में    ही    है   दगा   उनके
तभी   तो   किसी  एक  के  हो  कर  वो  रह  पाए  नही  
छोड़ा    था     साथ।   मेरा     उसने    जिसके। । लिए
शायद     उसे    भी।   वफा।   कर।     पाए।     नही  
लगता    है    पैसों    से।  ही।   खास    यारी  है  उसकी 
तभी   तो   किसी  एक  इंसान  के होकर वो रह पाए नही 
खेर।   होगी।  फितरत।  रंग।  बदलने।   की    उनकी 
हमें।    रंग।   बदलने  की।  आती  नही।   कला।  कोई 
निभाते  हैं   रिश्ते  दिल  से  पैसों पर हम बिकते नही 
बिठा।   ले।   दिल    में    जिसे   जान  भी  दे  दे   उन्हे
पर।  धोखे।  बाजों।  से।  रिश्ता।  हम।  निभाते।  नही 
बड़े। भोले  हैं  हम  षड्यंत्र  किसी  का  समझते  नही 
पर उतर गया नजरो सेजोएक बार फिर मुड़ कर उसकीओर देखते नही 
बता दे तू ही खुदा ये उन्हे वो कुछ भी नही अब हमारे लिए 
जो  प्यार  के  बदले।  दो।  पल   प्यार  के  हमें दे ना सके 
ना करे अब वो झूठा दिखावा अपनेपन का जो अपना हमें बना ना सके

©Ashu Dwivedi #dhokha
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Ashu Dwivedi

कहता है ईश्वर
कभी  कभी  दिल कहता  है  सब  का  मैं  हिसाब  करूं
जिसने तुझे  सताया  उस  पर  चप्पल की बरसात करूं 

पर  फिर  कहता  मुझसे  ईश्वर मेरा बेटा तुम बस शांत रहो
जिसने  परेशान  किया  तुमको  उस  को मैं ना माफ करूं

देख  रहा हूं  मैं  अभी  नीचे  कितना  पापी गिर सकता है
झूठ  फरेब  का जाल  अभी  कितना  वो  बुन सकता है

धीर धरा है अब तक जैसे कुछ दिन का और बस धैर्य धरो
नीच  के बारे मे सोच सोच कर ना वक्त अपना बर्बाद करो

भर रहा घड़ा जो पाप का अपने वो खुद ही एक दिन फूटेगा
बोया  जिसने  पेड़   बबुल  का  वो  आम  कैसे   खाएगा

जिसने तुम्हे रुलाया है मैं एक दिन खून के आंसू उसे रुलाऊंगा
कलयुग की सुर्पन्खा की नाक में न्याय सभा में आके काटूंगा 

जय श्री राम

©Ashu Dwivedi
  #कहता है ईश्वर

#कहता है ईश्वर #कविता

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Ashu Dwivedi

 हर नारी सही नही होती

करनी नही आती बड़ी बड़ी बात मुझे
पर किया नही कभी कुछ तेरे साथ गलत मैने
हर रीति रिवाज निभा के अपना तुझे बनाया था
छल किया तूने मैंने तो रिश्ता दिल से निभाया था

गलती को माफ किया तेरी सो बार तुझे समझाया था
सही होते हुए भी  मैने सर को अपने झुकाया था 
जो भी कहा तूने हर बात को तेरी मैंने माना था
सारी उम्र साथ रहने का संग तेरे ख्वाब मैने सजाया था

तेरे लिए तो बहन ने मेरी फूलों का सेज सजाया था
खुश रहे जीवन में तू ये आशीष  बड़ों से मेरे तूने पाया था
पर साथ छोड़ कर तूने मेरा हाथ गैर का थामा था
कैसे भूलूं  मुझे मारने का षड्यंत्र तूने  रचाया था

पर था सर पे  हाथ मां का जो रब ने तुझसे मुझे बचाया था
फिर गिर गई तू तो नीचे इतना की मां को भी मेरे फसा दिया
शर्म नहीं आई तुझको मानवता की सारी सीमा को तूने पार किया
मां सा प्यार दिया जिसने उस सास पर झूठा इल्जाम तूने लगा दिया

सोच समझ कर घात किया मुझ पे नही इसमें तेरी कोई मजबूरी है
तेरे जैसी नारी तो सभ्य समाज के लिए बस एक बीमारी है 
माफ नहीं करूंगा तुझको चाहे रचा ले जितनी रचानी तुझको माया है 
पता है मुझे तू परिवार पे मेरे मंडराता हुआ बुरा कोई साया है

©Ashu Dwivedi
  # हर नारी सही नही होती

# हर नारी सही नही होती #ज़िन्दगी

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Ashu Dwivedi

हर नारी सही नही होती

आती नही करनी बड़ी बड़ी बातें मुझे 
 पर किया नही तेरे संग कभी कुछ गलत मैने

सारे रीति रिवाज निभा कर अपना तुझे बनाया था
छल किया तूने मैंने तो रिश्ता दिल से निभाया था 

गलती को तेरे माफ किया सो बार तुझे समझाया था
अपमान को अपने भूल के मैने  सर को अपने झुकाया था 

जो कहा तूने मुझसे हर बात को तेरी मैने माना था
सारी उम्र तेरे साथ रहने का ख्वाब मैने सजाया था 

तेरे लिए तो बहन ने मेरी फूलों का सेज सजाया था
रहे खुश जीवन में तू ये बड़ो ने मेरे रब से मांगा था 

पर छोड़ के मेरा साथ तूने हाथ गैर का थामा था 
कैसे भूलूं मुझे मारने का तूने जाल बिछाया था 

पर था सर पे हाथ मां का जो रब ने तुझसे मुझे बचा लिया
पर तू तो गिर गई नीचे इतना की मां को मेरी फसा दिया

शर्म नही आई तुझको मानवता की सारी सीमा को तूने पार किया 
मां सा प्यार दिया जिसने उस सास पे झूठा इल्जाम तूने लगा दिया 


अब माफ नही करूंगा तुझको तू रचले चाहे जितनी रचनी तुझको माया है
समझ गया हूं मैं तू मेरे परिवार पर मंडराता हुआ बुरा एक साया है

©Ashu Dwivedi
  # हर नारी सही नही होती

# हर नारी सही नही होती #ज़िन्दगी

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Ashu Dwivedi

शीर्षक
(आने में अब तू देर ना करना) 

इंतजार रहेगा मुझे तेरे इंसाफ का ।
तू ही करेगा अंत दुष्टों के पाप का।

धर्म से अधर्म भला कब तक लड़ेगा ।
कभी तो अधर्म का मस्तक झुकेगा।

मैंने  किया  नही  कुछ भी गलत है।
तुमको को तो भोले सबकी खबर है।

मैं  हूं  सही  ये  तुमको  पता  है।
फिर  तू  क्यों ऐसे चुप बैठा है।

आने  में  अब  तू  देर  ना करना।
गलती को उसके माफ ना करना।

जिसने  हमको  बहुत  सताया।
झूठ  फरेब का जाल बिछाया ।

देना  सजा  तुम  उसको  भारी।
मांगे ये तुमसे आज बेटी तुम्हारी ।

जय भोले नाथ की 
नाम, आशू द्विवेदी

©Ashu Dwivedi
  # आने में अब तू देर ना करना

# आने में अब तू देर ना करना #कविता

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Ashu Dwivedi

कहने को तो हम मोसी भांजे
पर भाई बहन सा हमारा रिश्ता है
अपने दिल की बातें तू बस मुझसे ही कहता है
पहले था तू पास मेरे अब मिलो दूर तू रहता है
बचपन से कलाई पे तेरी जो राखी का धागा बांधा है
वो राखी का धागा मेरा आज याद तुझे बड़ा करता है
दूर देश में बैठा तू भी क्या याद थोड़ा भी मुझको करता है 

सच्ची आज तेरी बहुत याद आ रही है
Happy raksha bandhan

©Ashu Dwivedi
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Ashu Dwivedi


यह मेरी मौलिक रचना है

मैं श्री चरणों की दासी, दर्शन को उनके प्यासी। 
हे राम मेरे आ जाओ, अब और ना मुझे सताओ।

आखें ये राह निहारे, कब आयेंगे दशरथ प्यारे। 
मैं पथ पर फूल बिछाऊं, नित बेर मैं चख कर लाऊं।

जीवन ये व्यर्थ है मेरा, ना मिले जो दर्शन तेरा। 
बढ़ रहीं हृदय की पीड़ा, करते सब मुझसे घृणा। 

दुखिया पर तरस तो खाओ, हे राम मेरे आ जाओ। 
वह सोच रहीं थीं मन में, प्रभु आए लखन के संग में। 

अश्रु से चरण पखारूं, मैं प्रभु की ओर निहारूं।
श्री राम को कंहा बिठाऊं, आसन मैं कहां लगाऊं। 

हे प्रभु जरा तुम ठहरो, लाईं बेर मैं मीठे खालों। 
श्री राम प्रभु मुस्काएं, झूठे बेर भी प्रेम से खाए। 

य़ह देख लखन सकुचाए, पर समझ ना कुछ भी पाए। 
ये प्रभु की कैसी माया, भिलन का झूठा खाया। 

श्री चरणों को छूं कर बोली, प्रभु भर दी मेरी झोली। 
धन्य हुआ य़ह जीवन मेरा , प्रभु पाकर दर्शन तेरा।

नाम  आशू द्विवेदी
पता सोनिया विहार (दिल्ली)

©Ashu Dwivedi
  # मैं श्री चरणों की दासी

# मैं श्री चरणों की दासी #कविता

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Ashu Dwivedi


 यह मेरी मौलिक रचना है

लो आ गया फिर होली का त्यौहार
बाहर हो रही है रंगो की बरसात

कोई खेल रहा है पानी और पिचकारी से
तो कोई उड़ा रहा है रंग बिरंगे गुलाल

कहीं झूम रही है दोस्तों की टोली
तो कोई भिगो रहा हैं किसी की चोली

खुशियों से भरे ईश्वर सदा आप की झोली 
मुबारक हो आप सब को ये रंग बिरंगी होली 


नाम = आशू द्विवेदी
पता = सोनिया विहार (दिल्ली)

©Ashu Dwivedi
  #happyholi
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Ashu Dwivedi

पक्की थी विश्वास की डोरी
सच्ची थी मेरी आस्था
फिर भी क्यूं तुमने छोड़ दिया
भोले बोलो हाथ मेरा

©Ashu Dwivedi
  # महाशिवरात्रि

# महाशिवरात्रि #कविता

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Ashu Dwivedi

दोस्तों में सबसे खास है तू
दूर होकर भी पास है तू

     करती हूँ दिल की हर बात तुझसे 
बहन नहीं मेरी जान है तू 

Ashu dwivedi

©Ashu Dwivedi # lovely sister

#FriendshipDay

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