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chaltatheatersam5892
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Naresh Kumar khajuria

lecturer Hindi

https://youtu.be/FESf_OcfxSY

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Naresh Kumar khajuria

White 















ऑनलाइन
००००००

ऑनलाइन मत आना
 आज
मुझे देखने छत पर जाना 

स्क्रीन 
मुझे नहीं दिखा सकती पूरा 
चांद मुझे  पूरा दिखा सकता है

शायद
 चांद कहे तुमसे
मेरे बारे में ---
मैं छत पर हूँ 
और
एक किस्सा सुना रहा हूँ 
चांद को - 
एक पगली है
स्क्रीन पर रहती है
स्क्रीन में हंसती है
स्क्रीन में रोती है
आंखें सुजा लेती है.... 

उसको कहना मेरे बारे में
प्रेम में मेरी आँखें
कभी जलती नहीं

मैं चांद के जमाने से प्रेम करता हूँ
स्क्रीन का जमाना आज आया।

©Naresh Kumar khajuria 
  चांद पर प्रेम

चांद पर प्रेम #Poetry

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Naresh Kumar khajuria

Beautiful Moon Night बाज़ार का महासागर
०००००००
बाज़ार का महासागर
उछाल मार कर 
चपेट में ले चुका है
जमाने भर को 

सब बेच रहे हैं
अच्छा बुरा 
सब बिक रहे हैं 
अच्छे बुरे

कोई अपनी सादगी बेचने 
में मग्न है
कोई अपनी चालाकी बेचने
 में संलग्न है

कोई बेच रहा है 
मुहोब्बत
कोई झूठ बेच रहा है

कोई पूरी बेइमानी से 
बेच रहा है ईमानदारी

कोई पूरी ईमानदारी से
बेईमानी बेच रहा है

कोई अपनी भव्यता बेच रहा है
कोई अपनी लघुता बेच रहा है

कोई अपनी हंसी बेच रहा है
कोई अपना रोना बेच रहा है

कोई अपनी अवाज़ बेच रहा है
कोई बेच रहा है आपकी आवाज़

कोई भाषा बेच रहा है
कोई कविता बेच रहा है

कोई इतिहास बेच रहा है
कोई संस्कृति बेच रहा है
कोई धर्म बेच रहा है
कोई शर्म बेच रहा है
कोई संस्कार बेच रहा है
नेता हों 
पत्रकार हों
कवि हों 
कलाकार हो
थानेदार हों
सरकार हों
कोई हों 
सब बाज़ार में उतर आये हैं
कर क्या रहे हैं? 
मासूम को लूट रहे हैं
श्रम को लूट रहे हैं

©Naresh Kumar khajuria 
  #beautifulmoon
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Naresh Kumar khajuria

White क्लिक
०००००००

सूचनाओं के महासागर में
डूबा आदमी 
ऐसे चलाता है 
उंगली स्क्रीन पर 
जैसे नाव खेता नाविक 
चले जाना चाहता है 
इस पार से 
उस पार

मैं देख रहा हूँ नाव खेने वाला 
जा पहुंचा है उस पार 

उंगली खेने वाला
डूब चुका है । 

नरेश कुमार खजूरिया।

©Naresh Kumar khajuria 
  #emotional_sad_shayari
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Naresh Kumar khajuria

Nature Quotes फूलों के मोसम में
००००००००

प्रेम के मोसम में 
कविताएँ आ जाती हैं
जैसे फूलों के मोसम में
आ जाती हैं तितलियाँ

प्रेम के मोसम में
पत्ते झरते हैं
कोपलें निकलती हैं

घास भीगी भीगी रहती
प्रेम के मोसम में
चांदनी नदी में नहाने उत्तर आती है

चुप्पी बोलने लगती है
प्रेम के मोसम
बातें चुप हो जाती हैं

 प्रेम फुर्सत की चीज नहीं
फिर भी
जब भी करना प्रेम 
थोड़ी फुर्सत से करना
ताकि तुम्हारे लिए
तोड़े गये फूलों की सुगंध बची रह जाये
तुम्हारी आत्मा में।

©Naresh Kumar khajuria 
  #NatureQuotes
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Naresh Kumar khajuria








अंजुरी भर प्यास
०००००००
जिंदगी  
नदी की तरह
मिली मुझसे 
और मैं मिला उससे प्यास की तरह। 
जब भी मैंने इसे 
अंजुरी भर पीना चाहा 
यह रेत हो गई । 

मैं रेत से मिटाऊंगा 
अंजुरी भर प्यास
एक दिन मैं 
इसमें डूब जाऊंगा।

©Naresh Kumar khajuria 
  #LetMeDrowm
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Naresh Kumar khajuria

इस तरह हम दो थे
०००००००

तुम अपने आकाश पर
आज़ाद
मैं अपनी ज़मीन पर


तुम अपनी ज़मीन पर
आज़ाद
मैं अपने आकाश पर

एक सफर में 
इस तरह हम दो थे
जिनको एक पेड़ की 
सबसे ज्यादा ज़रूरत है

©Naresh Kumar khajuria #GoldenHour
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Naresh Kumar khajuria

रास्ते जो भी चुने मैंने 
मंजिलों तक नहीं पहुंचे

©Naresh Kumar khajuria 
  #Childhood
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Naresh Kumar khajuria

नाचती हुई औरत 
के लिए जगह कम पड़ रही
वह पूरी पृथ्वी पर
नाचना चाहती 
पहाड़ों और नदियों पर 
थिरकते हुए 
मौसमों को बदल देना चाहती

वह पूरे आकाश पर नाचना चाहती है
चांद को हाथों में लेकर
नाचते नाचते सितारों को 
धरती पर बिखेर देना चाहती है

नाचते नाचते वह समुद्र को 
मथ देना चाहती है
अबकि वह अमृत अपने लिए निकाले गी 

जो तुमने जगह दी है उसे नाचने के लिए
उसे वह ठोकर मारती है

वह तुम्हारे लिए नहीं 
अपने लिए नाचना चाहती है

©Naresh Kumar khajuria #dusk
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Naresh Kumar khajuria

नाचती हुई औरत 
के लिए जगह कम पड़ रही
वह पूरी पृथ्वी पर
नाचना चाहती 
पहाड़ों और नदियों पर 
थिरकते हुए 
मौसमों को बदल देना चाहती

वह पूरे आकाश पर नाचना चाहती है
चांद को हाथों में लेकर
नाचते नाचते सितारों को 
धरती पर बिखेर देना चाहती है

नाचते नाचते वह समुद्र को 
मथ देना चाहती है
अबकि वह अमृत अपने लिए निकाले गी 

जो तुमने जगह दी है उसे नाचने के लिए
उसे वह ठोकर मारती है

वह तुम्हारे लिए नहीं 
अपने लिए नाचना चाहती है

©Naresh Kumar khajuria #dusk
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Naresh Kumar khajuria

मैं
००००

बूंद बूंद गिरे लोग
और

अपने ही अहंकार के
 सागर में  डूब गये

तैर जायेंगे 
एक दिन देखना
निकल जायेगा
जिस घड़ी
मैं
 का स्वांस!

©Naresh Kumar khajuria #Save
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