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Abhay Pandey (Dev)

Indian

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Abhay Pandey (Dev)

ना जाने अब भी उनकी ख्यालों में क्या सोचता है ये दिल।
पहले रोता है फ़िर यु हि अंशू पोछता हैं ये दिल।।
शायद उनको अपना ये मिलना गवारा ना था।

उनको क्या पता ये दिल आज और कल भी हमारा ना था ।। My shayari

My shayari #शायरी

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Abhay Pandey (Dev)

वक्त यू बदलता चला गया कि कुछ पता ही न चला।।
जीवन कि डोर वक्त में यू ही उलझता चला कि कुछ पता ही न चला।।
अब क्या कहूं यारो में उनसे जाकर।
जो कभी न पूछे हाल मेरा वक्त रहते आकर।। ##

##

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Abhay Pandey (Dev)

हाथ मेरा पकड़ के यू छोड़ मत देना।
मोहब्बत के रहो में कुछ कदम चल के मुंह मोड मत लेना।।
अगर हो कोई शिकवा मुझसे तो बता देना।
जीवन में पहली बार हसना सीखा हूं रूला मत देना।। साथ निभाना साथिया

साथ निभाना साथिया

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Abhay Pandey (Dev)

कविता प्राइमरी स्कूल की
 अच्छी उमर ओहि थी, जब प्राइमरी में पढ़ा करते थें।
हर एक एक छोटी सी छोटी बातों में हम लड़ा करते थे।।
तूने मेरे दोस्त को, कैसे हाथ लगाया, ये दोस्त नहीं मेरा भाई है।
चल मिल स्कूल के बाहर, पक्का आज तेरी पिटाई है।
तूने इसे कैसे हाथ लगाया, ये मेरा भाई है।
होस नही था कि खुद को संभाल ले, 
पर उस उमर पे फिर भी कितनी चतुराई है।
वो नीले ड्रेस वाली तेरी भाभी है। ऐसा कह कर बोला................
किसी और से मत कहना, तुझे इसलिए बताया क्यों कि तु मेरा भाई है।।
कहा गए वो दिन जब हम अपनी गलतियों पर भी अडा करते थे।
सबसे अच्छी उमर ओहि थी, जब प्राइमरी में पढ़ा करते थें।।
‌ कविता प्राइमरी स्कूल की

कविता प्राइमरी स्कूल की

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Abhay Pandey (Dev)

कविता का शीर्षक:- नारी शक्ति कि व्यथा
प्रधान रस :- वीर
संदर्भ :-
भारत माता कि सौगंध खाकर, आओ आज ये सपथ लेते है!
नारी शक्ति पर आंच ना आने देंगे, आज ये बचन देते हैं।।
जहां नारी, आदि शक्ति रही, ये हमारा इतिहास गबह है।
क्या, आज हम इतने लाचार हो गए हैं, जहां नारी शक्ति तबाह है।।
आखिर क्या दोस था-२, उस मासूम का, जिसको कुछ हैवानों ने बीच सड़क में खरोचा है।
लानत है आप की हमदर्दी में-२, कल आप के साथ भी ऐसा हो सकता है क्या आप ने कभी ऎसा सोचा है।।
भारत माता कि सौगंध खाकर............!
…..........................आज ये बचन देते हैं।।
आखिर कब तक-२, हम अपने प्रतिशोध की ज्वाला का दीप, दूसरे के आश जलाएं गे।
सड़क पर मोमबत्ती जलाने के वजह, बन्द कारा दो, वो सारे सरकारी दफ़्तर, फिर देखो ये सरकारी नामुंदे, नारी को आत्मरक्षा में गोली चलाने का भी कानून बनाएंगे।।
अगर रानी लक्ष्मी बाई ने-२, आत्मसम्मान में ना हथियार उठाया होता।
तो फिर नारी को एक बार कमजोर बता कर, उनकी वीरता की गाथा को ठेस पहुंचा या होता।।
जहां दो सेकण्ड नही लगते-२, किसी मासूम को जलाने में।
पूरी जिन्दगी निकल जाती-२, इस जमाने में उन दरिंदों को सजा दिलाने में।।
अफ़सोस कि बात है कि -२, हम आज भी घुट घुट कर जीते है।
चलो फिर एक बार जाग्रत करें, मां काली की उस नारी शक्ति को।
जहां एक नहीं, हजार सर काट कर, रक्त की एक एक बूंद पीते है।।
भारत माता कि सौगंध खाकर............!
…..........................आज ये बचन देते हैं।।
आंगे............. #NirbhayaJustice 
कविता का शीर्षक:- नारी शक्ति कि व्यथा

#NirbhayaJustice कविता का शीर्षक:- नारी शक्ति कि व्यथा

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Abhay Pandey (Dev)

आज अवध पुल्कित उर आनन्द हुआ ।
दशरथ के घर रामलाला का जन्म हुआ।।

सारे जगत में बज गई बधाईयां रे।
मानव रूप में जन्मे जगत के खेबैया रे।।

नयन पलक ना टोरे अगन में बैठ देखे कौशिल्या मईया रे।
बाला पन कि लीला दिखावे अपने अनुज संग रघुराईया रे।।

आज अवध पुल्कित उर आनन्द हुआ ।
दशरथ के घर रामलाला का जन्म हुआ।।

त्रेता युग में मानव पर दानव का जब हुआ अत्याचार।
चारो तरफ अधर्म पैर पसारे धर्म का होने लगा था वाहिष्कर ।।

जब धर्म पड़ा संकट में चारो चहुं मचा गया कोहराम।।
तब धर्म रक्षक बनकर जन्मे और नाम पड़ा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम।।

आज अवध पुल्कित उर आनन्द हुआ ।
दशरथ के घर रामलाला का जन्म हुआ।।

राम के नाम और उनके भक्तों का चहुदिश में गुज़ उठा डंका।
जब हनुमान नामी वानार ने अकेले ही जला दी सोने की पूरी लांका।।

रावण का वध किया और बुरे का बूरा हुआ परिणाम।
मावव को मानवता सिखाई धर्म का ज्ञान दिया ऎसे थे मेरे प्रभू श्री राम।।

आज अवध पुल्कित उर आनन्द हुआ ।
दशरथ के घर रामलाला का जन्म हुआ।। #Ram_Navmi
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Abhay Pandey (Dev)

जब जब तुम सामने आ जाते हो।
ना जाने मुझे देख के क्यों घबरा जाते हो।।
आख़िर क्या चाल रहा है तुम्हारे मन में।
एक अजीब सी सरारत होती है तुम्हारे बदन में।।
इस उलझन को बताओ कैसे सुलझाओ गी।।
मै जो सोच रहा हूं क्या वो सच है ये बतलाओ गी।। एहसास

एहसास

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