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sandeepajanavii4864
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sandeep ajanavii

manhan Jalalpur jaunpur 8879898283

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sandeep ajanavii

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sandeep ajanavii

यूँ भी तो कुछ लोग गुज़ारा करते हैं
जिन्दा है पर जी को मारा करते हैं

धन दौलत से अपनें हैं बेगाने भी 
लाचारी में लोग किनारा करते हैं

आज नहीं तो कल होगी मंजिल अपनी
दिलवाले कब हिम्मत हारा करते हैं

लोगों की तो फ़ितरत ही कुछ ऐसी है
रोज तुम्हारा और हमारा करते हैं

अपने दामन के दागों को देख भी ले
वो  लोग जो मेरी ओर इशारा करते हैं

तुम मत आना दुनियां की इन बातों में
मतलब में सब लोग पुकारा करते हैं

©sandeep ajanavii
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sandeep ajanavii

उन्हें मोहोब्बत न रास आई, हमें न उनको भुलाना आया 
न राज़ ए दिल ही छुपा सके हम, न हाल ए दिल ही सुनाना आया 

कभी  न  आयेंगे  जानते  थे, मगर  उन्हें  हम  न  रोक पाए 
ना आह होंठो तलक ही आई, न अश्क हमको बहाना आया 

हैं  भूल  बैठे  उन्हें  मगर  हम  ये  कैसे  कह दें वफ़ा नहीं है 
समझ गए हम जो अश्क आये कि याद गुज़रा ज़माना आया 

न पा सके हम न खो सके हम, कसक सी दिल में रही हमेशा 
जो याद आई किसी की चाहत न अश्क हमको छुपाना आया 

कभी  किसी  के न हो सकोगे, हमारी आदत सी हो गई है 
न छोड़ने का ही हौसला है न साथ तुमको निभाना आया 

अजब मोहोब्बत है ‘’ajanavii की, वफ़ा भी की तो जफा समझकर 
न  तोड़  पाए  हमारी  कसमें,  न वादों को ही  निभाना आया

©sandeep ajanavii #foryoupapa
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sandeep ajanavii

नहीं रुकता बुलंदी पर पहुँचकर लौट आता है
उछालो लाख तबियत से ये पत्थर लौट आता है

कभी सागर,कभी पर्वत,कभी आकाश या जंगल 
परिंदा हो कहीं भी शाम को घर लौट आता है

मोहब्बत हो या नफरत बाँट दो पर ये समझ लेना
जो दोगे दूसरों को वो पलटकर लौट आता है

रहे नाराज कितना भी मगर पुचकारने पर ही
ये बच्चा गोद में वापस सिमटकर लौट आता है

चला जाता है जो उसकी कमी पूरी नहीं होती
हाँ इतना है कि यादों में वो अक्सर लौट आता है

गया जो छोड़कर दुनिया न उसकी फिक्र कर अब तू
वो इस दुनिया में फिर चेहरा बदलकर लौट आता है

©sandeep ajanavii #LostInSky
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sandeep ajanavii

खि़जां में  फूल खुशबू  के  खिलाने कौन  आता है
किसी के जख़्म पर  मरहम लगाने कौन आता है

जो भी आता है वो आता है लेकर अश्क आँखों में
तिरी दुनिया मेें अब हँसने हँसाने कौन आता है

चले आये हैं सारे लोग बस चेहरा दिखाने को
जनाजे में भला मातम मनाने कौन आता है

चुनावों में लगा देते हैं वादों की झड़ी सारे
मगर फिर बाद में वादा निभाने कौन आता है

सभी आते हैं रोटी सेंकने इन तंग गलियों में
गरीबों के लिए चूल्हा जलाने कौन आता है

ये माना कि चलाता है वो सारे देश  को लेकिन
बताओ तो तुम्हारा घर चलाने कौन आता है

©sandeep ajanavii #LostInSky
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sandeep ajanavii

यूँ खुद की ज़िन्दगी से ही अदावत कौन करता है
बताओ तो भला इतनी मोहब्बत कौन करता है

जुबाँ खामोश,आँखें नम,बुझा उतरा हुआ चेहरा
यूँ अपने आप से इतनी शिकायत कौन करता है

मसीहा जो बने बैठे हैं उनके अपने मकसद हैं
बिना मतलब खुदा की भी इबादत कौन करता है

सभी मशगूल हैं नफ़रत की आँधी को चलाने में
मोहब्बत के च़रागों की हिफाजत कौन करता है

©sandeep ajanavii #LostInSky
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sandeep ajanavii

साल कितने गुजर गए लेकिन 
लौटकर के  न घर गए लेकिन 

कोशिशें की बहुत छिपाने की
अश्क आँखों में भर गए लेकिन

खुशबू तो फैली है फिजाओं में
फूल गिरकर बिखर गए लेकिन 

खुशियाँ मेहमान बन के आई थीं
गम दिलों में ठहर गए लेकिन 

हम तो महफिल में वक़्त पर पहुँचे
लोग सारे किधर गए लेकिन 

सीख जाते सलीका जीने का
वक़्त से पहले मर गए लेकिन

©sandeep ajanavii #LostInSky
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sandeep ajanavii

शुष्क सा चेहरा और रंग से काले होंगे
है जिसे जिद उसी के पैर में छाले होंगे

न जाने आया कहाँ से लहू ये मंज़िल पर
उसने काँटे अभी पैरों से निकाले होंगे

जिसको कहते हैं सभी दिल है उसका पत्थर का
उसने आँसू बड़ी मुश्किल से सँभाले होंगे

सामने सबके अगर पूछ लिया हाल-ए-दिल
आँख बोलेगी मगर होठ पे ताले होंगे

गिरोगे जब कभी गुरूर की इमारत से
साथ में तेरे फकत चाहने वाले होंगे

©sandeep ajanavii kamyabi
#LostInSky
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sandeep ajanavii

तूफानों में दीप जलाना सबके बस का थोड़ी है
चट्टानों पर फूल खिलाना सबके बस का थोड़ी है

हम ही थे जो अपनी जाँ पर हँसकर खेल गए वरना
अंगारों पर नाव चलाना सबके बस का थोड़ी है

दुश्मन का भी हमने तो है हँसकर  इस्तक़बाल किया
अपने ग़म से हाथ मिलाना सबके बस का थोड़ी है

तुम आये तो अपने सारे सपने सौंप दिए तुमको
क़ातिल को महबूब बनाना सबके बस का थोड़ी है

इसका उसका सारे जग का हमने कितना दर्द सहा
दिल पर इतना बोझ उठाना सबके बस का थोड़ी है

मत पूछो हम ख़ुद को कैसे अब तक  ज़िंदा रख पाए
ये बेदिल बेदर्द ज़माना सबके बस का थोड़ी है

क़ुदरत ने फूलों को रक्खा कांटों की निगरानी में
सूली पर यूँ सेज सजाना सबके बस का थोड़ी है

हिम्मत करके हमने तुझको अपने सर पर बिठा लिया
"दर्द लिए दिलबर मुस्काना  सबके बस का थोड़ी है

©sandeep ajanavii dil ki kalam se
#togetherforever

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sandeep ajanavii

जिसने सब कुछ है दिया उससे भला क्या मांगें
हम भला" अपने ख़ुदा ही से ख़ुदा क्या मांगें

काम अब ख़त्म हुआ अपना जहां से चल दो
आख़िरी लमहों में जीने की दुआ क्या मांगें

जिसको देखो वही बीमारे-वफ़ा दिखता है
दिल के मारों से भला दिल की दवा क्या मांगें

जानते हैं वो न जाने है वफ़ा के मा'इने
बेवफ़ा यार से ऐ यार वफ़ा क्या मांगें

अपने जलते हुए किरदार से शर्मिंदा है
तपते सूरज से "भला" ठंडी हवा क्या मांगें

अजनबी बनके गुजारेंगे जिंदगी तन्हा
तुम्ही बता दो इससे बढ़कर सज़ा क्या मागे

©sandeep ajanavii #stay_home_stay_safe
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