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ananddadhich5895
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Anand Dadhich

Author of 1. 'मंजूषा', 2. 'हरिवंश के आनंद' Creator of community web portal for Dadhich namely www.karnatakadadhich-parishad.webs.com Founder of All India Dadhich Tax Helpline (2011) Member of 'GRAOWA' apartment society Blogger views-ananddadhich.blogspot.com AnandDadhich.Blogspot.Com Poetanand-dadhich.blogspot.com

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Anand Dadhich

चुनाव -एक व्यंग्य

चुनाव होते है,
नेतागिरी के पाँव होते है,
बयानों के ताव होते है,
जीत हार के भाव होते है,
नेताओं के ढुकाव होते है,
चमचों के लगाव होते है!

फिर-
वही घोड़े, वही मैदान होते है,
वही शहर, वही गाँव होते है,
वही नेता, वही स्वाभाव होते है,
वही मांगे, वही सुझाव होते है,
वही बातें, वही घुमाव होते है !

फिर-
अमीर, गरीबों के तनाव होते है,
भेद भाव के रिसाव होते है,
ताजा घपलों के घाव होते है,
नेताओं के नये दांव होते है !
और फिर-
चुनाव होते है !

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #Chunav #Loksabha2024 #kaviananddadhich #poetananddadhich #चुनाव #PoemOnElections
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Anand Dadhich

एक सरोवर..एक शाम.. 

नील अम्बर को अपने में समाकर,
पीयूष नीर से तर है सरोवर!
डूब रहा है अस्त होता भास्कर;
अपनी लाली किरणों को न्यून कर!
करे स्तुति तरु की डालियाँ झुककर,
कर रहे पक्षी गान चहक चहक कर,
प्रसून की पंक्ति खड़ी है तट पर;
रिपु से कर रही समर डट कर!
गिरी बिम्ब भी हिलोर रहा मचलकर!

नील अम्बर को अपने में समाकर,
पीयूष नीर से तर है सरोवर!
डूब गया ज्योस्तना भूप भास्कर,
डूबे मयंक उडु रात्रि नृप बनकर,
*सर जगा रहा निशा को कलकल कर,
चले मधुर पवन सरोवर जल छूकर!
मुसाफिर श्रांत सुस्त आया तट पर,
तन्द्रा गया, देख मनोहर सरोवर,
हर्षित वसुंधरा भी सोई बेफिकर!

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'
(*सर - तालाब)

©Anand Dadhich #Sarovar #EkSham #PoemOnLake #kaviananddadhich #poetananddadhich #evening #poetsofindia
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Anand Dadhich

सगाई नहीं हुई.. एक व्यंग्य कविता

खबरों में था, नज़रों में था,
नक्षत्रों में था, लग्नों में था,
अपनों में था, फिर भी;
सगाई नहीं हुई !
रंगीन था, हसीन था,
प्रवीण था,बेहतरीन था,
ताज़ातरीन था, फिर भी;
सगाई नहीं हुई !

उस भ्रमित परी को,
परिवार नहीं, होशियार नहीं,
जानदार नहीं, शानदार नहीं,
प्यार नही, दुलार नहीं,
एक ग़ुलामाना..,
कुमार चाहिए जो;
माँ बाप से दूर हो,
घरेलू मजदूर हो,
ख़र्चे में मशहूर हो,
शहरी नूर हो,
मासूम खजूर हो,
कुंवारा सा मजबूर हो,
बेसबब चकनाचूर हो !

मांगों में, खामियों में,
अपर्याप्त अंतर था,
भयप्रद तृष्णा से बच गया;
सगाई नहीं हुई !
                           *(ग़ुलामाना - ग़ुलाम जैसा)

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #Humour #HasyaKavita #sagai  #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia 

#achievement
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Anand Dadhich

थोड़ा भी आराम नहीं

आँखे भरी उजास ख़ास
तो क्यों रहूं मैं निराश,
आशीष है उजालों का
ममता माँ की आस-पास,
जब तक जगह सजा ना लूँ
रुकना मेरा काम नहीं,
थोड़ा भी आराम नहीं !

धमनियाँ प्रबल पाक साफ़
क्यों करूँ रक्त को उदास,
वरदान है अनुभवों का
सिख पिता की करे प्रकाश,
जब तक जीवन बना ना लूँ
दिन का अंत भी शाम नहीं,
थोड़ा भी आराम नहीं !
मन के भाव उमड़े साच
क्यों तोड़दूँ अहसास,
नेह है चाँद तारों का
ह्रदय में कुटुंब का वास,
जब तक प्यार लुटा ना दूँ
विचारों को विराम नहीं,
थोड़ा भी आराम नहीं !

तन लेता शक्ति से स्वास
क्यों बिखेरू जग की आस,
कवच लक्ष्मी शारदा का
नित उगाता मुझमें विश्वास,
जब तक कविता रचा ना लूँ
तूलिका को विश्राम नहीं,
थोड़ा भी आराम नहीं !
 
डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #motivatation #Inspiration #प्रेरणा #विश्वास #kaviananddadhich #poetananddadhich #HindiPoems
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Anand Dadhich

होली है..- चंद गीत रूपी पंक्तियाँ

फूलों से झूल रहे डाल..
रंगो..रंगीनो के गाल..

गलियों में मचा रे धमाल..
होली रंगो की रीत कमाल..

उड़ रहा हवाओं में गुलाल..
उतारों रे मन का मलाल..

ना रहे शक, शंका, सवाल..
मस्ती में लालों के लाल..
 
मदमस्त टोलियों की चाल..
फागुन का छाया धमाल.. 

रंगों की रौनक बेमिशाल.. 
रंगों से रिश्तों को संभाल..

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #Rang #होली #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia 

#Holi
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Anand Dadhich

तुम सफर में मिले, हमसफ़र हो गए,
इस गुमशुदा दिल के, रहबर हो गए..

नयनों में कोहरा, छाया हुआ था,
धुंधलाई नजर के, नजर हो गए..

उल्फ़त में, खिलाड़ी हारा हुआ था,
संग जो मिला तो, जादूगर हो गए..

अरमानों पर गर्दा, जमा हुआ था,
सुनकर तुझे, सुभग मनोहर हो गए..

बेचैन, बेकल, मैं उलझा हुआ था,
मिले तुम तो, मकान के घर हो गए !

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #kaviananddadhich #poetananddadhich #gajal #shyari 

#Love
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Anand Dadhich

दृश्य बोध

जब जंजीर से,
किसी इतर को बांधा गया,
तब बेवजह,
जंजीर भी स्वयं बंध गई !
किंतु जंजीर का,
सृजन, स्वभाव, सत्व, सबकुछ,
इतर को बांधना ही हो तो;
परिणाम निष्प्रयोजन नहीं है !
-----------
जैसे जंजीर ने,
अपने स्वभाव का प्रबंध किया,
सृष्टि पालक ने,
जंजीर को वही वापस दिया !
इसी दृष्टि और दृश्य बोध के संदर्भ में,
हमें अपने,
पात्र निर्माण को यदा-कदा,
इर्द गिर्द के,
दर्पणों में देख लेना चाहिए !

कहीं हम,
रफ्ता रफ्ता जंजीर सी;
तकदीर तो नहीं गढ़ते जा रहे है !

डॉ आनंद दाधीच ''दधीचि'' भारत

©Anand Dadhich #DrishyaBodh #Chetna #Chintan #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia
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Anand Dadhich

स्मृतियाँ

स्मृतियों का स्पंदन,
खींचता है मन को, 
उस दौर में, जिसमें;
मैं नहीं जा सकता।

स्पंदन का श्रम जारी है,
इस दौर की जद्दोजेहद,
उस दौर पर कुछ भारी है,
पर विवशता नहीं हारी है।

स्मृतियों का दोष नही है,
हमें ही होश नही था, उन;
स्मृतियों से संविदा करते वक्त।

हम लचीले, निरीह, निर्मल,
निरपेक्ष, निष्पक्ष, निश्छल थे
और स्मृतियाँ हमारे दिल में,
जीवन में जगह बनाती गई...।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #स्मृतियाँ #kaviananddadhich #poetsofindia #poetananddadhich #hindipoetry
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Anand Dadhich

मेरी, मेरे गाँव की,
नई कहानियाँ, 
नई परेशानियाँ,
झूठी हामियाँ,
वक्र दगाबाजियाँ,
कुंठित तालियाँ,
लड़ाकू लाठियाँ,
बेकल बुजुर्ग,
अज्ञात खामियाँ।

धुंधली सड़कें, 
तीखी पट्टियाँ,
काली नालियाँ, 
टेढ़ी चौकियाँ,
खाली मकान, 
बेचैन हस्तियाँ।

निर्जीव गाड़ियाँ,
नीरस धमनियाँ,
खंडित निशानियाँ,
दबी ध्वनियाँ,
जनहीन देवालय,
निरस्त घंटियाँ।

बुझी चिमनियाँ, 
गलित सब्जियाँ,
बेमज़ा रोटियाँ,
सूनी गलियाँ,
खाली बस्तियाँ,
मेरी, मेरे गाँव की, 
नई कहानियाँ, 
नई परेशानियाँ।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #MeraGanv #PoemOnVillage #kaviananddadhich #Poetananddadhich #HindiKavitaye
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Anand Dadhich

बेहतरीन शहर में,
कुछ खिड़कियों पर,
किरण दस्तक नहीं देती,
अदा भरी फिज़ा नही आती,
सुमन की सुगंध नहीं आती,
चाँदनी नहीं झाँकती,
कोकिला नहीं कूकती,

लेकिन खिड़कियों के,
आर पार, आस पास,
नामी गिरामी, इनामी,
धनी, मालदार, सरदार,
गंभीर, संगीन, संजीदा,
बेकल, बेचैन, मौन,
उदास, निराश, हताश,
कुछ हस्तियां है,
हास्यास्पद निर्जन सी,
अटपटे पर्दो से ढकी,
कुछ खिड़कियाँ है,
कुछ ऐसी सी बस्तियां है,
बेहतरीन शहर में !

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich #shaharkibat #kavitaye #kaviananddadhich #poetananddadhich

#MoonShayari
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