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Anand Dadhich
बहुरंगा..जीवन का राग है कहीं संघर्षो का विलाप है, कहीं असीम अनंत विलास है, कहीं भूखमरी की आग है, कहीं विपुल भोज स्वाद है, बहुरंगा..जीवन का राग है। कहीं दरिंदगी के भद्दे दाग है, कहीं ज्ञानमाय संत समाज है, कहीं प्रकृति से मेल मिलाप है, कहीं शजरों की बुझी राख है, बहुरंगा..जीवन का राग है। कहीं मूकता की आवाज है, कहीं बातों से घिरा विवाद है, कहीं इरादों के अनुवाद है, कहीं बेवफ़ाई के वाद है, बहुरंगा..जीवन का राग है। कहीं तमन्नाओं का आलाप है, कहीं वेदनाओं का सैलाब है, कहीं कौशलता की चाक है, कहीं बाहुबलता की धाक है, बहुरंगा..जीवन का राग है। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich #बहुरंगा_जीवन_का_राग #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia #Life #Book
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उन्मुक्त तिरंगे की, निराली है निशानियाँ, केसरी रंग दर्शाता, वीरों की कहानियाँ, श्वेत रंग गाता, विश्व शांति की जुबानियाँ, हरित रंग चलवाता, समृद्धि की गाड़ियाँ। तेज तिरंगे की अटूट; अटल सी यारियाँ, नील चक्र सिखाता, सातत्य की कहानियाँ, अनवरत, विस्तृत, राष्ट्रध्वज की डोरियाँ, निश्चल, निश्छल, निर्मल, तिरंगे की बोलियाँ। रखवाली रक्षण हेतु, तत्पर है जवानियाँ, लहराओं और याद करों बलिदानियाँ, दिखलादों अब शूरता भरी सलामियाँ, उन्मुक्त तिरंगे की निराली है निशानियाँ। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #Tiranga #IndependenceDay #flag #kaviananddadhich #poetananddadhich
Anand Dadhich
बजट - दो टूक निस्तेज प्रवेश हुआ, बजट पेश हुआ, चंचल परिवेश हुआ, बेचैन देश हुआ, भ्रम शेष हुआ, कर विशेष हुआ, मुफ्त कलेश हुआ, विकास लेश हुआ, हैरान भेष हुआ, झीना ठेस हुआ, गुप्त समावेश हुआ, नया निवेश हुआ, बासी विनिवेश हुआ, एक बार फिर- बजट पेश हुआ ! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #बजट #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia #Budget2024
Anand Dadhich
पोली पुँजीयों से शादियाँ एक मोटी अमीर मुट्ठी ने, अन्य चंद मुट्ठियों को, अपनी गोलमोल मुट्ठी में, जमा लिया, नचा लिया ! एक छोटे रिचार्ज से.., खुदरा व्यापार से, रसायन भंडार से, ऊर्जा विस्तार से, खेल करार से.., कब कैसे ये मुट्ठी, इतनी मोटी हो गयी, पता ही नही चला। बहरहाल- वो इतर चंद मुट्ठियां, मुझे; बड़ी लाचार, बड़ी लालची, बड़ी नकली, बड़ी कृत्रिम, विभाजित, विभक्त, खंडित, भिन्न भिन्न सी नजर आई। परिवेश में खुशी कम, हँसी ज्यादा नजर आई। एक बार फिर, भक्तिवादी, समाजवादी, साम्यवादी सोच; पूंजीवादी में धँसी नजर आई। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि ©Anand Dadhich #kaviananddadhich #poetananddadhich #weather_today
Anand Dadhich
सिलसिला भगदड़ का.. भगदड़ हुई, हाथरस में..,भक्तिरस में, कुंडली में..,मंडली में, शामियाने में..,दवाख़ाने में, सभाओं में.., कथाओ में ! फिर भगदड़ हुई, टीवियों में..,बुद्धिजीवियों में, अख़बारों में..,पत्रकारों में, विचारों में..,आचारों में, यादों में..,मुरादों में ! सबने धर्म को कोसा, आडम्बर को नापा, दक्षिणा को तोला, बहस को घोला, फिर; भगदड़ कर, भीड़ को, भगदड़ के हवाले कर, कही और भगदड़ करने, सब चले गये ...! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #bhagadad #भगदड़ #Stampede #Hatharas #kaviananddadhich #poetananddadhich
Anand Dadhich
माता पिता की एक इच्छा में, कितनी इच्छाएं छुपी होती है ? तुम जानना कभी, समझना कभी ! इच्छा-सम्पतिओं में समानता की, इच्छा-अनुरागों में अनुरूपता की, इच्छा-उपासनाओं में समरूपता की, इच्छा-परिधिओं में अनुकूलता की, इच्छा-संबंधो में जागरूकता की इच्छा-घनिष्ठताओं में योग्यता की, इच्छा-विपत्तियों में उदारता की, इच्छा-परिवारों में समरसता की, इच्छा-संभावनाओं में सफलता की, इच्छा- भावनाओं में सुंदरता की, इच्छा-समुदायों में एकता की, इच्छा-तनावों में तारतम्यता की, इच्छा-प्राणों में सुगमता की, माता पिता की एक इच्छा में, कितनी इच्छाएं छुपी होती है ? तुम जानना कभी, समझना कभी। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich #इच्छा #अभिलाषा #kavita #kaviananddadhich #poetananddadhich #Family
Anand Dadhich
बेड़ियाँ स्वर्ण चाहतों की बेड़ियाँ, हठीले हठों की बेड़ियाँ, तोड़ना आसान नही है, छिपे स्वार्थो की बेड़ियाँ। झूठी शान की बेड़ियाँ, बनावटी बान की बेड़ियाँ, तोड़ना आसान नही है, दबे अभिमान की बेड़ियाँ। मादक मदपान की बेड़ियाँ, घातक धूम्रपान की बेड़ियाँ, तोड़ना आसान नही है, चुभें निशान की बेड़ियाँ। अदृश्य आहतों की बेड़ियाँ, डरावनी आहटों की बेड़ियाँ, तोड़ना आसान नही है, लिपटी आघातों की बेड़ियाँ। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #बेड़ियाँ #जंजीर #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindipoetry
Anand Dadhich
हल्की-फुल्की सी जिंदगी रहे, तुमसे, उससे भी बंदगी रहे, झगड़े-झंझट रहे मुझसे दूर, यूँ, सदा नई आनंदगी रहे! भर्मित ना हो सपनों के पथ, गतिमान रहे आशाओं के रथ, कमजोर ना हो शब्दों के अर्थ, मन के मेलें में सुगंधगी रहे, यूँ, सदा नई आनंदगी रहे! ओझल ना हो यादों की छाया, बोझिल ना हो कर्मों की काया, दुर्बल ना हो संस्कारों का पाया, चरित्र, वर्तन की बुलंदगी रहे, यूँ, सदा नई आनंदगी रहे! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #जिंदगी #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia
Anand Dadhich
डर की गांठे खोले, निज साहस को तोले, अकेला लड़ना होगा- जीवन की जय बोलें । सब है चालू गोले, सबके दागी चोले, नित अजीब खेला होगा- जीवन की जय बोले । जग भरा घातक शोले, जहर के द्रव्य घोले, हास्यजनक जगत होगा- जीवन की जय बोले । दुष्टों के बने टोले, आवारों से डोले, यहाँ विचित्र चरित्र होगा- जीवन की जय बोले। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich #jeevan #Zindagi #kaviananddadhich #poetananddadhich #thought #dearzindgi
Anand Dadhich
यह बोझ हम ना ढोवें छल के घावों को धोवें, साहस, शक्ति को सजोवें, किसने कितना ठगा हमें- यह बोझ हम ना ढोवें ! शत्रुभावों में ना खोवें, द्वेष के बीज ना बोवें, कौन कितना सगा अपना- यह बोझ हम ना ढोवें ! क्षीण गुलों पर ना रोवें, मन में नव निश्चय पिरोवें, कौन कितना जीता खेल- यह बोझ हम ना ढोवें ! रात्रि से अधिक ना सोवें, तन तंदुरस्ती से टोवें, कौन कितना उग्र, सशक्त- यह बोझ हम ना ढोवें ! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #bestrong #positive #Attitude #kaviananddadhich #poetananddadhich #FlowerBeauty