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कवि विनय आनंद

नज़रों को चुराकर भी मुनाफ़ा हुआ उसे मैं दो-दो चार करके भी घाटे में रह गया!

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कवि विनय आनंद

ना   ही   ये  धरती   बदलेगी   ना  ही  अंबर  बदलेगा,


ना  ही  हवाएं  बदलेंगी  और  ना ही  समंदर बदलेगा!


है सबकी हालत जस की तस इतना मत उछलो-कूदो-


दीवार वही,  है कील वही, बस एक कैलेंडर बदलेगा!!


       कवि विनय 'आनंद'

     मोहम्मदी - खीरी उ. प्र.

      @7309241250

©कवि विनय आनंद
  #newyear
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कवि विनय आनंद

सूट पजामे के साथ तुम्हें सदरी कुर्ते की खरीद 
मुबारक,
जो भर दे रंग जीवन में उस चांद चकोर‌ की दीद 
मुबारक,
राम गले‌ रहमान मिलें यह प्यार भरी तमहीद 
मुबारक,
जीवन में सब मंगल हो अल्लाह के बंदों को‌ ईद 
मुबारक…

ओम शर्मा ‘ओम’

©कवि विनय आनंद
  सूट पजामे के साथ तुम्हें सदरी कुर्ते की खरीद 
मुबारक,
जो भर दे रंग जीवन में उस चांद चकोर‌ की दीद 
मुबारक,
राम गले‌ रहमान मिलें यह प्यार भरी तमहीद 
मुबारक,
जीवन में सब मंगल हो अल्लाह के बंदों को‌ ईद 
मुबारक…

सूट पजामे के साथ तुम्हें सदरी कुर्ते की खरीद मुबारक, जो भर दे रंग जीवन में उस चांद चकोर‌ की दीद मुबारक, राम गले‌ रहमान मिलें यह प्यार भरी तमहीद मुबारक, जीवन में सब मंगल हो अल्लाह के बंदों को‌ ईद मुबारक… #कविता

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कवि विनय आनंद

.इतना मजबूर न कर बात बनाने लग जाए
हम तेरे सर की कसम झूठी खाने लग जाए

मैं अगर अपनी जवानी के सुना दूं क़िस्से
ये जो लौंडे हैं मेरे पांव दबाने लग जाए!

- Mehshar Afridi

©कवि विनय आनंद
  #lovequotes 👍
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कवि विनय आनंद

जरूर सुनें, प्यार अगर दूर है तो

जरूर सुनें, प्यार अगर दूर है तो #शायरी

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कवि विनय आनंद

जिसको खोजे वो नहीं आया , आ गयी सारी टोली

जिसको खोजे वो नहीं आया , आ गयी सारी टोली #शायरी

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कवि विनय आनंद



जितना शक था उससे भारी निकला है
मैने  समझा   फूल   कटारी  निकल  है

संडे   मंडे    छोड़    महीनों   बीत   गए
नया   बहाना   बारी   बारी  निकला  है

अब  तो हमने आस छोड़ दी मिलने की
तेरा   हर  वादा   सरकारी   निकला  है।

      विनय 'आनंद'
  मोहम्मदी खीरी उ.प्र.
     @7309241250

©कवि विनय आनंद
  👍👍

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कवि विनय आनंद

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कवि विनय आनंद

जी लगाना है जान से जाना -

इश्क करना जहान से जाना।

अज्ञात

©कवि विनय आनंद
  👍

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कवि विनय आनंद

ये बोझिल शाम, तन्हाई  ये  फ़ुर्कत मार  डालेगी 
किसी प्यासे को  दरिया की जरूरत मार डालेगी 
नहीं दरकार है तुमको किसी साजिश,छलावे की,
हमे  इक दिन  हमारी  ही  मुहब्बत   मार डालेगी...
Shashi

©कवि विनय आनंद
  👍

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कवि विनय आनंद

शहरों  में  तो  बारूदों  का मौसम है,
गांव चलो  ये अमरूदों का मौसम है!

   राहत साहब

©कवि विनय आनंद
  👍

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