Nojoto: Largest Storytelling Platform
gkmjalore9157
  • 1Stories
  • 11Followers
  • 49Love
    0Views

GANI KHAN

TEACHER

  • Popular
  • Latest
  • Video
348f9c0e0789a54386e73c25ade35b85

GANI KHAN

#भामाशाह श्री रायचंदजी सोनी सुपत्र श्रीमती गीता बाई मनरूपजी सोनी मड़िया

#भामाशाह श्री रायचंदजी सोनी सुपत्र श्रीमती गीता बाई मनरूपजी सोनी मड़िया #कविता

348f9c0e0789a54386e73c25ade35b85

GANI KHAN

हड़ताल से धरने तक का,
सफर आसां नहीं होता ।
कुछ तो समझिए हुजूर,
बेवजह कभी बंद नहीं होता ।।

बिल से कानून बनने का,
सफर आसां नहीं होता ।
कुछ तो खामियाँ रही है ज़नाब,
वरना बेवजह कभी बंद नहीं होता ।।

प्रदर्शन से चक्का जाम तक का,
सफ़र आसां नहीं होता ।
सावधानी तो हटी होगी दोस्तों,
वरना इतना बड़ा हादसा नहीं होता।।

दिल के दर्द का अश्कों में बहने का,
चिर कलेजा,दर्द का लबों पर आने का,
सफ़र आसां नहीं होता ।
कुछ तो टूटे होंगे दिल ज़नाब वरना,
वरना बेवजह कभी बंद नहीं होता ।।

घर से निकलकर फिर वापसी का,
सफ़र आसां नहीं होता ।
राहे ज़िन्दगी में कुछ खोकर तलाशने का,
सफ़र आसां नहीं होता ।
कुछ तो टूटी होगी इनकी भी उम्मीदें,
वरना आम आदमी कभी सड़कों पर नहीं होता। 
जरा फिर से सोचो तो,बेवजह कभी बंद नहीं होता।।

गनी खान 
मुड़तरा सिली(जालोर)
राजस्थान 307803
मोबाइल 9461253663

©GANI KHAN           #बंद
348f9c0e0789a54386e73c25ade35b85

GANI KHAN

दिन ,मास के पन्ने बदलने वाले,
आज फिर कैलेंडर बदलने वाले हैं।
संस्कृति रवायतों का दम भरने वाले,
आज फिर थर्टी फर्स्ट मनाने वाले हैं।।

क्षणिक अय्याशियों के शौक वाले,
आज फिर पाश्यात्य होने वाले हैं।
तारीखों पर एतबार करने वाले,
आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।।

अदब-मर्यादाओं की तोड़ बेडियाँ,
शहरों की गलियाँ रंगीन होने वाली हैं।
बहकतें कदमों से महफ़िल सजाकर,
आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।।

संस्कृति-सभ्यता के चंद रक्षक,
आज बनेगे देखो तहज़ीब के भक्षक।
तमाम दलीलों को रख ताक पर,
'गनी'आज फिर न्यू ईयर मनाने वाले हैं।।

गनी खान,
मुड़तरा सिली (जालोर)
9461253663

©GANI KHAN # न्यू ईयर

# न्यू ईयर #कविता

348f9c0e0789a54386e73c25ade35b85

GANI KHAN

बहिन
माँ की ममता, पापा का प्यार है,
आँगन की तुलसी,भाई की कलाई है।
कलेजे का टुकड़ा,रिश्तों की रौनक है,।। 
बगैर इसके सुना सारा संसार है।।

रिश्तों की मिठास,फूलों की खुशबू है,
सबके लबों पर छाई मुस्कान है। 
परिवार का सुकूँ,दिल का अरमां है
साथ इसके अपनों का अहसास है।।

दौर के साथ रिश्तें बदल रहे हो,
जो लिखे ही नहीं वो अल्फ़ाज़ पढ़ रहे हो।
बना के ख़ुद अपनों के बीच गैर उसे,
दहलीज़ पर उसके पदचाप ढूंढ रहे हो।।

खिंच लकीरें स्वार्थ की,रिश्तें बदल रहे हो,
करके बहाने हजार,उसका दिल दुखा रहे हो।
कर अपनी दहलीज़ से रूसवां उसे ,
त्योहार पर सुनी कलाई ताक रहे हो।।

दुआ है मेरी रिश्ता बहिन का बना रहें, 
केवल आज ही क्यूँ खुदा की नेमत सदा रहे।
एक दूजे के लिए दिल में बसा प्यार रहें,
'गनी' मेरे दिल में ही क्यूँ सबके दिल मे ये सदा रहे।।

गनी खान 
मुड़तरा सिली(जालोर)

©GANI KHAN बहिन

बहिन #कविता

348f9c0e0789a54386e73c25ade35b85

GANI KHAN

और अंत में 
एक खामोशी
इतनी बात करेगी तुमसे
कि आँखे भीग आएंगी 
हर पहर..
दो बातें कर लो
जो नसीब साथ है
क्या पता
फिर ये साथ,
साथ हो न हो 
फिर कोई सुबह हो
लेकिन 
उठने को जी न करे
फिर रात हो
पर नींद गुम हो आंखों से
ये जो पल
सुकूँ के
बैठे हैं सँग जो
गहराती सांसो सँग 
इन्हें पी जाओ
हर लम्हा
फिसलता रेत जैसे,
कौन सम्हाले
इन लम्हों को इन्हें,
सुनो..
बस जी जाओ।

©GANI KHAN # अल्फ़ाज़

# अल्फ़ाज़ #विचार

348f9c0e0789a54386e73c25ade35b85

GANI KHAN

मंजिल की राह चलकर भी गुमराह हो गये।
चंद सिक्कें पाकर ईमान से गाफ़िल हो गये।।
वक्त के साये नसीब ने दूरियाँ क्या बढ़ायी ।
'गनी' यकीं की बात पर अपने भी ग़ैर हो गये।।

©GANI KHAN विचार

विचार

348f9c0e0789a54386e73c25ade35b85

GANI KHAN

होकर बेरंग ये सतरंगी लगने लगते हैं।
हो मलिन भले क़िरदार पर ईमानदार लगने लगते है।।
'गनी'आ जाये बात जब सत्ता के भूख की ।
तो ये इंसां होकर भी हैवान लगने लगते हैं।।

©GANI KHAN राजनीति

राजनीति #शायरी

348f9c0e0789a54386e73c25ade35b85

GANI KHAN

गज़ब की फ़ितरत है ज़माने की गनी।
दूरियों में रिश्तें बसतें
 हैं रूबरूहो तो नकाब आ जाते हैं।।

©GANI KHAN रिश्तें

रिश्तें #शायरी

348f9c0e0789a54386e73c25ade35b85

GANI KHAN

फ़ना
कर फ़ना खुद को,कोई गुजरा ऐसे ।
कि समर्पित कर खुद को,लहूँ के घूँट पी गया।।
विश्वास के धागे से संबंधों की तुरपाई करते- करते।
खुदगर्ज़ी रिश्तों के साये में ख़ुद की भेंट चढ़ा गया।।

सबका ख्याल रखने की परवाह में।
खुद घायल परिन्दे-सा मैं जी गया ।।
दिल ए जिगर में समाकर अपनों को।
जैसे चाँद की चाहत में चकोर खुद को मिटा गया।

लुटाकर अपना निश्चल प्रेम किसी पर।
कोई राधा की मोहब्बत में कन्हैया बन गया।।
पाकर औरों से रिश्तों में खुदगर्ज़ी।
जैसे कोई कर विषपान नीलकंठ बन गया।।

हम गलतफहमी के दौर में जीने लगे है।
रिश्तें कदम -कदम पर दम तोड़ने लगे है।।
हम अनमोल रिश्तों का गला घोंटने लगे है।
कुछ इस तरह विश्वास का जहर पिए जा रहे है।।

कर व्यापार रिश्तों का अपना मतलब साध रहे हैं।
कर दिखावा विश्वास का, रिश्तों का स्वांग रच रहे हैं।।
दिल में नफ़रत और ,जुबां पे तेरे मतलबी अल्फ़ाज हैं।
भाव प्यार का जताकर,पीठ में खंजर घोंपने लगे है।।

रिश्तों में अजीब रिवायतों का दौर आ गया है। 
चेहरों पर नकाबों का चलन आ गया है।।
संभल कर चला करो यारों राहें ज़िंदगी मे।
'गनी'सम्बन्धों में भी दल बदल का दौर आ गया है।

गनी खान 
मुड़तरा सिली (जालोर)

।

©GANI KHAN # फ़ना

# फ़ना #कविता

348f9c0e0789a54386e73c25ade35b85

GANI KHAN

हैवानियत
इंसा है तो इंसा नज़र, क्यूँ नहीं आता हैं ।
हैवानियत का चोला पहन,शैतान नज़र क्यूँ आता हैं।।
ज़ुल्मों की काली स्याह,नफरतों से घिर।
सफ़ेदपोश इंसा आख़िर, ग़ैर क्यूँ नज़र आता हैं।।

जात-पांत, ऊँच-नीच,मज़हबी जुल्मों से घिरा।
इंसा -इंसा के खूं का प्यासा,क्यूँ नज़र आता हैं।।
मोहब्बत की फिजां में,नफरतों का ज़हर घोल।
ये पाकीज़ा दिल आख़िर, ग़ैरत में क्यूँ नज़र आता हैं।।

सबके दिलों में आबाद हैं, वतनपरस्ती।
तो तिरंगे की आड़ में, ये हैवान क्यूँ नज़र आता है।।
चाहत है सब मानस की, नैया पार लगे।
तो हर क़िरदार मझधार ,में क्यूँ नज़र आता हैं।।

अमनो -अमां,तरक्की की दुआ मांगने वाले।
तेरे हाथों में खंजर,क्यूँ नजर आता है।।
कायनात को संवारने की मिसाल देने वालें।
इंसानियत तज हैवानियत, पर सवार नजर क्यूँ आता है।।

है सब की ख़्वाहिश, दामन अपना पाक रहे।
तो कलुषित राजनीति से घिर,वो बेदार नजर क्यूँ आता है।।
'गनी' इंसा है तो इंसा नज़र, क्यूँ नहीं आता हैं।
हैवानियत का चोला पहन,शैतान नज़र क्यूँ आता हैं

©GANI KHAN # हैवानियत

# हैवानियत #कविता

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile