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Surendra Tanwar

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Surendra Tanwar

आओ अंधेरा मिटाने का 
हुनर सीखें हम
कि चलती आँधियों में भी ‘लौ’ सा जलते     रहें हम..
रोशनी और बढ़े,
हर ओर उजाला फैले
दीये से दीया जलाने का..
..हुनर सीखें हम 😊

आप सभी को #दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ 😊
 #HappyDiwali2022

©Surendra Tanwar #Diwali
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Surendra Tanwar

इश्क ए वफा कुछ चीज ही ऐसी है जनाब।
 गैरो में अपना ढूंढता इंसान अपनो तक को भूल जाता हैं ।।
इश्क की तलाश में क्यों निकलते हो तुम।
इश्क खुद ही ढूंढ लेता हैं जिसे बर्बाद करना हो।।
इश्क के चर्चे तो तुम्हारे ही सरेआम हैं।
हम तो कभी नज़दीक भी ना गए फिर भी बदनाम हैं।।

©Surendra Tanwar #stay_home_stay_safe
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Surendra Tanwar

लड़के पिता को गले नहीं लगाते। लड़के पिता के गालों को नहीं चूमते और न ही पिता की गोद में सर रख कर सुकून से सोते हैं, पिता और पुत्र का संबंध मर्यादित होता है....
बाहर रहने वाले लड़के अक्सर जब घर पर फोन करते हैं तो उनकी बात मां से होती है, पीछे से कुछ दबे-दबे शब्दों में पिताजी भी कुछ कहते हैं, सवाल करते हैं या सलाह तो देते ही हैं....
जब कुछ नहीं होता कहने को तो खांसने की हल्की सी आवाज उनकी मौजूदगी दर्ज करवाने के लिए काफ़ी होती है, पिता की शिथिल होती तबियत का हाल भी लड़के मां से पूछते हैं और दवाइयों की सलाह, परहेज इत्यादि बात भी लड़के मां के द्वारा ही पिता तक पहुंचाते हैं....
जैसे बचपन में कहीं चोट लगने पर मां से लिपट कर रोते थे वैसे ही युवावस्था में लगी ठोकरों के कारण अपने पिता से लिपट कर रोना चाहते हैं, अपनी और अपने पिता की चिंताएं आपस साझा करना चाहते हैं परन्तु ऐसा नहीं कर पाते....
पिता और पुत्र शुरुआत से ही एक दूरी में रहते हैं, दूरी अदब की, लिहाज की, संस्कार की या फिर जनरेशन गैप की, हर बेटे का मन करता है कि वो इन दूरियों को लांघता हुआ जाए और अपने पिता को गले लगा कर कहे कि "पापा, आई लव यू"....
, मगर लड़के यह नहीं कर पाते, वो मां से जितना प्रेम करते हैं पिता का उतना ही सम्मान, अदब और लिहाज करते हैं और ये सम्मान और लिहाज की दीवारें इतनी बड़ी हो चुकी है कि इनको पार करना लगभग नामुमकिन हो जाता है..

©Surendra Tanwar #पिताजी
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Surendra Tanwar

दहेज_क्या_है..?

एक कवि नदी के किनारे खड़ा था..!
तभी वहाँ से एक लड़की का शव,
नदी में तैरता हुआ जा रहा था..!
तो तभी कवि ने उस शव से पूछा...???
 
कौन हो तुम ओ सुकुमारी, बह रही नदियां के जल में..!
कोई तो होगा तेरा अपना,मानव निर्मित इस भू-तल मे..!

किस घर की तुम बेटी हो, किस क्यारी की तुम कली हो..!
किसने तुमको छला है बोलो, क्यों दुनियां छोड़ चली हो तुम..?
किसके नाम की मेंहदी बोलो, हांथो पर रची है तुम्हारे..?

बोलो किसके नाम की बिंदिया, मांथे पर लगी है तुम्हारे..?
लगती हो तुम राजकुमारी, या देव लोक से आई हो..?
उपमा रहित ये रूप तुम्हारा, ये रूप कहाँ से लायी हो..?

कवि की बाते सुनकर,, लड़की की आत्मा बोलती है..!
कविराज मुझ को क्षमा करो, गरीब पिता की बेटी हुँ..!
इसलिये मृत मीन की भांती, जल धारा पर लेटी हुँ..!

रूप रंग और सुन्दरता ही, मेरी पहचान बताते है..!
कंगन, चूड़ी, बिंदी, मेंहदी, सुहागन मुझे बनाते हैं..!

पिता के सुख को सुख समझा, पिता के दु:ख में दु:खी थी मैं..!
जीवन के इस तन्हा पथ पर, पति के संग चली थी मैं..!
पति को मैंने दीपक समझा, उसकी लौ में जली थी मैं..!
माता-पिता का साथ छोड, उसके रंग में ढली थी मैं..!

पर वो निकला सौदागर, लगा दिया मेरा भी मोल..!
दौलत और दहेज़ की खातिर, पिला दिया जल में विष घोल..!
दुनिया रुपी इस उपवन में, छोटी सी एक कली थी मैं..!
जिस को माली समझा, उसी के द्वारा छली थी मैं..!

ईश्वर से अब न्याय मांगने, शव शैय्या पर पड़ी हूँ मैं..! 
दहेज़ की लोभी इस संसार मैं, दहेज़ की भेंट चढ़ी हूँ मैं..!
दहेज़ की भेंट चढ़ी हूँ मैं..!! दहेज़ की भेंट चढ़ी हूँ मैं..!!

©Surendra Tanwar #LostInNature
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Surendra Tanwar

बाहुबल, मनोबल और आत्मबल मनुष्य के विकास के आधार होते हैं।
बाहुबल का विकास भोजन और व्यायाम से होता है।
मनोबल का विकास धन अर्जित करने, पढ़ाई करने और समस्याओं से जूझने से होता है।

आत्मबल का विकास आध्यात्म एवं ध्यान से होता है।
जिसके पास ये तीनों होते है वो सफल एवं प्रसन्न रहते हैं, जिसके पास नहीं वो दुःखी रहते हैं। 
तो इस नए दशक से जीवन में इनको प्राप्त करना ही लक्ष्य होगा।
जय हिन्द जय भारत। जय श्रीराम। 
# नई साल की राम राम🙏🙏

©Surendra Tanwar #bye2020
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Surendra Tanwar

आपके सारे करीबी रिश्तेदारों में सबसे छोटा शब्द है "मां" लेकिन इस शब्द की महत्ता सर्वोपरि है। आपको दुनिया में अवतरण से लेके, अच्छी शिक्षा एवं संस्कार देके बड़ा करने और जब आप खुद अभिभावक बनते हो तो वहीं प्यार व स्नेह आपके बच्चो को देना अतुलनीय है। 
इस दुनिया में आपके बाद मां ही है जो ये जानती है की आपको क्या चाहिए वो आपकी ख़ुशी एवं सफ़लता को अपने जीवन की अमुल्य पूंजी समझती है।
जब लोग मां के समक्ष आपके बारे मैं अच्छा बोलते है तो वो चाहे उनके सामने खुशी जाहिर ना करे पर मन में हमेशा गर्व ही होता है।
So don't try to become someone's Sona, Babu but always try to become mother's Raja beta.

©Surendra Tanwar #maa 

#peace


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