Nojoto: Largest Storytelling Platform
shivgopalawasthi5330
  • 18Stories
  • 187Followers
  • 1.2KLove
    945Views

Shiv gopal awasthi

  • Popular
  • Latest
  • Video
39dff5a6a79796e70e6bf7bcf72d5e55

Shiv gopal awasthi

ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi
  कविता

कविता #शायरी

99 Views

39dff5a6a79796e70e6bf7bcf72d5e55

Shiv gopal awasthi

बेवजह उनके पीछे न दौड़ो कभी,जो मुहब्बत तो क्या मान देते नहीं।
भीख में प्रीत उनसे न चाहो कभी,जो भिखारी को भी दान देते नहीं।
छोड़ दो वो सफ़र छोड़ दो मंजिलें,प्यार के बोल दो जँह सुनाई न दें।
सूर्य को छू लिया ऐसा भ्रम हो जिसे,वो किसी को भी सम्मान देते नहीं।

कवि~शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi
  #GoldenHour
39dff5a6a79796e70e6bf7bcf72d5e55

Shiv gopal awasthi

नवाजा वक़्त ने जैसे वो घड़ियाँ छोड़ बैठा है।
मिली आँखें नई उसको तो छड़ियाँ छोड़ बैठा है।
ये कैसा हो गया है आदमी भगवान ही मालिक।
मिली मंजिल उसे जैसे तो कड़ियाँ छोड़ बैठा है।

@शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi #Success
39dff5a6a79796e70e6bf7bcf72d5e55

Shiv gopal awasthi

अरे हवा बह हौले-हौले,बच्चे उड़ना सीख रहे।
--------------------------
जुनरी के दानें चुग चुग कर,जैसे थोड़ा बड़े हुए।
नन्हें पैरों के बल पर तुम,जैसे थोड़ा खड़े हुए।।
फड़काए जब डैने तुमने,मन खुश था पर है हलचल।
कुछ भावुक हूँ उस क्षण से मैं,सोच रहा मन कुछ पल पल।।
आसमान की दुनियाँ से अब,बच्चे जुड़ना सीख रहे।
अरे हवा बह हौले हौले,बच्चे उड़ना सीख रहे।।  1
नीड़ छोड़कर क्षितिज छोर तक,जाना बहुत जरूरी है।
लक्ष्य तुम्हारा जो भी है वह,पाना बहुत जरूरी है।।
रखा हौसला जिसने मन में,चाँद सितारे ले आया।
एक पाँव पे खड़ा पपीहा,बदरा कारे ले आया।।
भूल भुलैयाँ मोड़ों पर अब,बच्चे मुड़ना सीख रहे।
अरे हवा बह हौले हौले,बच्चे उड़ना सीख रहे।। 2
उड़ते उड़ते पर थक जाएं,पर्वत  पर पग धर लेना।
प्यास लगे तो झील किनारे,जल पीकर जग भर लेना।।
बागों से मैं विनय कर चुका,मीठे फल तुमको देंगे।
अंजनि पुत्र हमेशा तुमको,उड़ने वाला बल देंगे।।
शीत!धूप!बारिश!ठहरो अब,बच्चे बढ़ना सीख रहे।
अरे हवा बह हौले-हौले,बच्चे उड़ना सीख रहे।। 3

कवि शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi #tootadil
39dff5a6a79796e70e6bf7bcf72d5e55

Shiv gopal awasthi

हिन्दी दिवस(१४ सितम्बर)पर मेरी कविता
--------------------------
बावन वर्णों से रखते हैं, हम मन में जिज्ञासा।
अलंकार रस छन्दों की है, सुन्दर हिन्दी भाषा।।
सन्धि सन्धियाँ करा रहीं हैं, विच्छेदित रिश्तों में।
प्रेम बढ़ाती धीरे धीरे,भाषा ये किश्तों में।।
देशज, योगरूढ़,स्वर,व्यंजन,वर्ण भेद बतलाती।
पद, विग्रह,समास की हमको, परिभाषा सिखलाती।।
समझें कारक, चिन्ह,विभक्ति,शब्द भेद को जानें।
शुद्ध वर्तनी उपसर्गों की,भाषा हम पहचानें।।
शब्द विलोम प्रत्यय को जानें, अक्षर का उच्चारण।
हिन्दी का है ज्ञान जरूरी, समझें इसका कारण।।
लोकोक्ति पर्याय समझ लें, सीखें सभी विधाएं।
बरवै, कुण्डलिया, चौपाई,सीखें सभी कलाएं।।
उपन्यास,नाटक हम पढ़ लें, पढ़ लें नित्य कहानी।
शब्द समाहित कर लेती है, मीठी भाषा वाणी।।
सब भाषाएं मौसी मेरी,हिन्दी मेरी माता।
शिव नन्हा सा कवि मंचों पर, गीत सवैया गाता।।

@कवि शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi
39dff5a6a79796e70e6bf7bcf72d5e55

Shiv gopal awasthi

तीस बरस पहले जब पंक्षी,क्षितिज छोर के पार गया,
लौट नहीं पाया फिर घर को,तरुवर तरुवर डार गया।
घूम घूम कर घाट हाट सब,घाम घनेरी देखी है।
देखी हैं सागर की लहरें,यामि अँधेरी देखी है।
कितने नीड़ बनाए छोड़े,कितने मंजर देख चुका।
लहलाती फसलें भी देखीं,कितने बंजर देख चुका।
कितने लोग मिले बिछुरे हैं,साथ कभी उड़ने वाले।
यादों में हैं सभी परिन्दे,साथ कभी जुड़ने वाले।
घर की याद सतायी जब जब,बैठ अकेला रोया हूँ।
लाड़ प्यार सब घर वालों का,बचपन में ही खोया हूँ।
घर से आने वाली चिट्ठी,मेरा एक सहारा थी।
शब्द शब्द अक्षर मैं रटता,मानो एक पहाड़ा थी।
थके पंख जब उड़ते उड़ते,भरा हौसला मित्रों ने।
जीवन दर्शन समझ गया हूँ,आसमान के चित्रों में।
जिम्मेदारी है कन्धों पर,रहना दूर जरूरी है।
भारत माता के चरणों की,सेवा अभी अधूरी है।sg awasthi

@shiv gopal awasthi

©Shiv gopal awasthi
39dff5a6a79796e70e6bf7bcf72d5e55

Shiv gopal awasthi

साँस है तब तक विरह के गीत मैं लिखता रहूँगा,
बहुत रोओगे कभी तुम मुझको पढ़ लेने के बाद,

~shiv gopal awasthi

©Shiv gopal awasthi
39dff5a6a79796e70e6bf7bcf72d5e55

Shiv gopal awasthi

जमुना तट पे नित खेल खिलें,ब्रज भूमि करी प्रभु पावन री।
नित नूतन रंग उमंग लिए,हरि संग भयो मन भावन री।
मथुरा नगरी बड़भागिन है,रज गोकुल और महावन री।
जँह श्याम सखा बन खेलत है,नित आवत द्वार बुलावन री।

शिव गोपाल@तरंग

8 Love

39dff5a6a79796e70e6bf7bcf72d5e55

Shiv gopal awasthi

"किसी के कष्ट का कारण कभी बनना नहीं मित्रो,
बुरा जब वक्त आता है दुआएं काम आती हैं"

Poet@Sg awasthi 15 april 2020

15 april 2020

8 Love

39dff5a6a79796e70e6bf7bcf72d5e55

Shiv gopal awasthi

शहीदों की शहादत को नमन सौ बार करता हूँ,
तिवारी चन्द्र शेखर को ह्रदय से प्यार करता हूँ,
हमारे बीच में वो आज भी हैं हौसला बनकर,
सलामी तोप की देकर नमन हर बार करता हूँ,

शिव गोपाल

9 Love

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile