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veenakhandelwal3295
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veena khandelwal

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veena khandelwal

White  नरसिंह जयन्ती क्यों मनाते हैं 👇🏻👇🏻

भक्त प्रहलाद के पिता हिरण्यकशिपु एक राक्षस था, उसने तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और एक वरदान मांगा कि ना उसे कोई मनुष्य मार सके और ना ही पशु। ना वह दिन में मारा जाए ना रात में। ना अस्त्र से मरे ना शस्त्र से। ना घर के अंदर मरे ना बाहर। वरदान पाने के बाद वह अपने आप को अमर  समझने लगा, भगवान समझने लगा, उसने भगवान विष्णु की पूजा में रोक लगा दी। उसका पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त था। पिता के लाख मना करने पर भी उसने पूजा करना बंद नहीं किया। इसलिए उसके राक्षस पिता  उसको कई प्रकार से प्रताड़ित करने लगे। अपनी बहन होलिका की गोद में प्रहलाद को आग में बैठाया क्योंकि होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बज गया और होलीका जल के मर गई, इसीलिए होली हम हर साल मनाते हैं।
  अब प्रहलाद को करने के लिए हिरण कश्यप ने लोहे के एक खंभे को गर्म कर लाल कर दिया और प्रहलाद से पूछा इसमें भी भगवान है तो प्रहलाद ने कहा हां तो उसे गले लगाने को कहा इस समय विष्णु भगवान अपने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए खंबे को फाड़ कर नरसिंह भगवान का उग्र रूप धारण करके प्रकट हुए उन्होंने हिरण्यकशिपु को महल के प्रवेश द्वार के चौखट पर जो ना घर का बाहर था ना भीतर। समय गोधूली बेला मतलब ना दिन था ना रात। नरसिंह रूप था मतलब ना मनुष्य थे ना पशु। तेज नाखूनों से मतलब ना वो कोई अस्त्र था ना शस्त्र,उसको चीरे कर मार दिये। और भक्त प्रहलाद को जीवन दान दिए।
नरसिंह भगवान की जय

वीणा खंडेलवाल 
 तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #sad_shayari
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veena khandelwal

White अभी तो शिरकत नई नई है (ग़ज़ल)

अभी मिलें हैं नज़र मिली है, हमारी शिरकत  नई नई है।
रुहों का मिलना ही आशिक़ी है,अभी तो उलफ़त नई नई है।

लिखूं मुहब्बत के चंद लम्हें ,जो जिंदगी भी दिखे तुम्हीं में ।
कहूं कहां से ये दास्तां मैं ,अभी इबारत नई नई है।

हैं खूबसूरत अदा निराली,निगाह  बोले जुबान चुप है।
शुरू हुआ दिल अभी धड़कना अभी नज़ाकत नई नई है 

जो इश्क लिखती घटा बहारें, चढ़ा गजब रंग खूबसूरत ।
सजाएं पलकें जो ख्वाब रंगीं अभी मुहब्बत नई नई है।

हसीं निगाहों से चीर सीना,हसीन चेहरा हसीं शरारत।।
जरा सम्हल के तो सांस ले लूं,अभी रिवायत नई नई है।



वीणा खंडेलवाल 
तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #sad_quotes
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veena khandelwal

White जीवन के दिन चार है,परम सत्य है मौत।
धर्माधारित कर्म हो, वरना माया सौत। 
वरना माया सौत,मनुज को खूब नचाती।
कभी न हो संतुष्ट, निरर्थक शोर मचाती।
धर्ममयी हो कर्म,यहीं रह जाना तन धन।
बहुत ही मुश्किल से ,मिला अनमोलक जीवन।।

जीवन के दिन चार है, गिनती की है साॅंस।
आत्म छोड़ तन से गई,बचा लोथड़ा माॅंस।
बचा लोथड़ा माॅंस, अंत जल राखड़ होता।
जाग मनुज कर कर्म, अभी तक तू क्यों सोता।
अब है स्वर्णिम भोर, धर्म का कर अनुशीलन।
काल खड़ा है पास, सार्थक कर ले जीवन।।

 वीणा खंडेलवाल 
 तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #good_night
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veena khandelwal

White  धैर्य फल होता मीठा।

गीता में केशव कहे, रखो कर्म विश्वास 
मन में धीरज राखिए,पूरी होगी आस।।
पूरी होगी आस, भले ही थोड़ी धीरे।
साहिल हो दमदार,नाव आयेगी तीरे।
कछुआ अरु खरगोश,दौड़ में कछुआ जीता।
कर्मनिष्ठ की जीत,सार यह कहती गीता ।

                                 वीणा खंडेलवाल 
                                  तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #flowers
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veena khandelwal

White माया के भ्रमजाल से, मुझे बचाओ राम।
छलिया जग मुझको ठगे,नित्य लोभ मद काम।।
नित्य लोभ मद काम, यही हैं पाप बढ़ाते।
मोह बना जंजाल, फॅंसे जो फॅंसते जाते।
जाना ईश्वर पास,यहां रह जाए काया।
करूं आत्म उद्धार, छोड़ संसारी माया।




                                वीणा खंडेलवाल 
                                तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #Free
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veena khandelwal

Vishnu Bhagwan 
सारा जग बैरी भले,फिकर नहीं है नाथ,
क्या बिगाड़ कोई सके,जब प्रभु थामे हाथ।
इसीलिए प्रभु सौंपता,जीवन का सब भार-
स्वारथ का संसार है,प्रभु तुम रहना साथ।।


                                        वीणा खंडेलवाल 
                               ‌‌         तुमसर महाराष्ट्र‌

©veena khandelwal #vishnubhagwan
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veena khandelwal

माॅं

मां पर लिखी बहुत सी रचना,रही सदा पर सभी अधूरी।
शब्द कोष औ सभी व्यंजना ,ये भी ना कर पाए  पूरी।
जब जब प्यार लिखूं मैं उनका,आंखे छलके शब्द भिगोत
मेरी पूर्ण स्वयं दुनिया जो,उनके थे हम बच्चे धूरी।

स्याही रीती,कलमें टूटी  ,  फिर भी मैं तो हुई न पास,
अपने ही लिखने वाली को,लिखूं‌  ये पूरी  हुई न आस। 
मां लिखने को भाव शब्द सब ,उमड़ घुमड़ के शोर मचाये-
चुल्लु में  सागर भरने में ,बीते उमर बरस कई मास।।

वीणा खंडेलवाल 
तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #mothers_day
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veena khandelwal

White 

           माॅं

मां पर लिखी बहुत सी रचना,रही सदा पर सभी अधूरी,
शब्द कोष औ सभी व्यंजना ,ये भी ना कर पाए  पूरी।
जब जब प्यार लिखूं मैं उनका,आंखे छलके शब्द भिगोते -
मेरी पूर्ण स्वयं दुनिया जो,उनके थे हम  बच्चे धूरी।।


स्याही रीती,कलमें टूटी , फिर भी मैं तो हुई न पास,
अपने ही लिखने वाली को,लिखूं‌  ये पूरी  हुई न आस। 
मां लिखने को भाव शब्द सब ,उमड़ घुमड़ के शोर मचाये-
चुल्लु में  सागर भरने में ,बीते उमर बरस कई मास।।









                            वीणा खंडेलवाल 
                        तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #mothers_day
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veena khandelwal

Black 🚈🚃🚋🚎🚃🚃🚃🚃🚃
Happy Birthday to अव्यान ❤️
सबको सदा देना सम्मान।💝
पढ़ लिख करना खूब तरक्की🎉
माता पिता की बनना शान।।👍🏻

Avyu Lovyu😘😘

छुक-छुक छुक-छुक छुक-छुक छुक-छुक,धीमी-जल्दी रुकती चलती।
छुक-छुक छुक-छुक समय की गाड़ी, हैप्पी बर्थडे अव्यू कहती।

हर डब्बे में खुशी भरी है, उम्मीदों से सजे  गुब्बारे।🎈🎈🎈🎈🎈
टाॅफी केक मिठास भरी है, गीत बधाई गाये सारे।🎂🎂🍬🍭🧁
मम्मी-पापा का दिल सागर, आशीषों की धारा बहती।🙌🏻🙌🏻
छुक-छुक छुक-छुक समय की गाड़ी हैप्पी बर्थडे अव्यू कहती।

चार मई की शुभ है तारीख,जब अव्यू धरती पर आया।
ताऊ ताई लड्डू बाॅंटे,दीदी ने भी थाल बजाया
दादू की  है आंख का तारा,दादी रोज कहानी कहती।
छुक-छुक छुक-छुक समय की गाड़ी हैप्पी बर्थडे अव्यू कहती 

स्टेशन अब तीन है आया, द्वार चार अव्यू को लाया
जल्दी गिफ्ट्स खिलौने लाओ, अव्यू अब तक केक न खाया। 
नानू नानी बहुत घुमाते,मासी बिल्कुल फ्रैंड्स ही लगती।
छुक-छुक छुक-छुक समय की गाड़ी हैप्पी बर्थडे अव्यू कहती।
दादू दादी

©veena khandelwal #Morning
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veena khandelwal

White  मजदूर दिवस के दिन मजदूरों के प्रति श्रद्धा सुमन:---

श्रम ही जिसकी साधना,जो निर्माणक मूल।
वही आज अति दीन क्यों,अंतस चुभता शूल।
मेहनत का पर्याय है,मिले न  पर पर्याप्त।।
फिर भी वह इस बात को कभी न देता तूल।।

स्वेद बिंदु सागर श्रमिक,रख थोड़ी सी प्यास,
श्रम की नित कर साधना,दो रोटी की आस।
पूंजी श्रम का मेल जग , बड़ा घोर अन्याय -
पूंजीपति महलों रहे,श्रमिक बना है दास।।

तृण को ये तरुवर करें,ईंटा जोड़ मकान, 
सहकर मौसम कोप भी ,हमको दे सुख  शान।
आश्रित जिसके आप हम,जीवन के हर मोड़-
जो थाती अनमोल हैं,उन श्रमिकों दे मान।।

वीणा खंडेलवाल 
तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #safar
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