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वैवस्वत सिंह

यूं ही पन्नों पर कुछ अल्फ़ाज़ लिख देता हूं, मेरी भावनाएं है कुछ, कुछ समस्या बयान कर देता हूं। Lawyer, Writer, Traveler.

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वैवस्वत सिंह

है बादलों में धूप सी ये ज़िन्दगी,
है सर्द में कुछ गर्म सी ये खुशी,
जो खुश यहां दिख रहा है भीड़ में,
पी रहा है गम के घूट हर घड़ी,
चादरों की सिलवटों में है छुपा,
हर बूंद आंसू का जो है गिरा,
हां थाम कर जो हांथ तेरा मैं बढ़ा,
तू छोड़ कर वो हांथ आगे बढ़ गई,
सिकवा नहीं है दिल मेरे अब कोई,
तू था नहीं वो जिसको मैं हूं ढूंढ़ता,
है बादलों में धूप सी ये ज़िन्दगी,
है सर्द में कुछ गर्म सी ये खुशी।
- वैवस्वत सिंह। #CloudyNight
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वैवस्वत सिंह

चलो  एक नई दास्तां लिखते है,
खाली पन्नों पर बेइंतहां लिखते है,
कुछ नए मोड़ को आजमां लेते है,
बंद दरवाजों को खट खटा लेते है,
कुछ मंसूबों को भी बयां करते है,
चलो  इश्क़ को अब रवां करते है,
चलो कुछ तो नया करते है,
पिछला छोड़ अगला बेपन्हां करतें है,
सितम छोड़ बस अब रहम करते है,
चलो एक नई दास्तां लिखते है,
अंधेरों में अब दिया करते है,
चलो कुछ तो नया करते है।
- वैवस्वत सिंह। #Lights
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वैवस्वत सिंह

खामोशियों को कैद कर के,
हिम्मत वो दिखा रहा है,
शीशे सा टूटकर भी,
देखो वो मुस्कुरा रहा है।
- वैवस्वत सिंह। #Hope 
to all those who are fighting a battle inside, never lose hope, you can win the battle.

#Hope to all those who are fighting a battle inside, never lose hope, you can win the battle.

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वैवस्वत सिंह

मैं नम आंखो से तेरे निशान ढूंढ़ता हूं,
तू है जहां मैं वो जहां ढूंढ़ता हूं।
- वैवस्वत सिंह। #Nishaan  To a lost friend, to a lost love, to lost family.

#nishaan To a lost friend, to a lost love, to lost family.

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वैवस्वत सिंह

इस सफ़र में कोई हमसफ़र है नहीं,
अकेला ही सही बेअदब मैं नहीं,
तोड़ जाती है इस क़दर वो बेपरवाह,
धड़कने तो है पर दिल मेरा है नहीं।
- वैवस्वत सिंह। #Brokenheart
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वैवस्वत सिंह

काश मैं बारिश बन जाऊं,
बूंदों सा गिरकर, 
सब को छू जाऊं,
धरती को राहत की सांस दिलाऊं,
तन मन भी गीला कर जाऊं,
सबको चैन दिलाऊं,
काश मैं बारिश बन जाऊं,
सबसे जुड़ कर,
सबके मन पढ़ पाऊं,
कभी ज़ोर से बरसूं,
कभी आहिस्ते गिर जाऊं,
सबका दिल बहलाऊं,
काश मैं बारिश बन जाऊं,
जो मिल ना सके,
उन्हें भी मिलाऊं,
धरती को गगन से मिलाऊं,
सबके गम पढ़ पाऊं,
दिल से दिल को मिलाऊं
काश मैं बारिश बन जाऊं,
बूंदों सा गिरकर,
सबको छू जाऊं।
- वैवस्वत सिंह। #raining 
#Imagination
#SoIcanReadthepain
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वैवस्वत सिंह

वक़्त किसका होता है,
कभी ना रुकता,
बस चलता जाता है,
कभी सीधा,
तो कभी उल्टा होता है,
थोड़ा इसका,
थोड़ा उसका भी होता है,
पर वक़्त कहां रुक पाता है,
बस चलता ही जाता है,
जीवन जीने की आदत में,
वक़्त यूं ही निकाल जाता है,
राहों में कभी जख्म बन जाता है,
तो कभी मरहम बन जाता है,
किस्सों में सब दिखलाता है,
पर वक़्त कहां रुक जाता है,
बस यूं ही चलता जाता है,
कभी आंखों में आसूं बन आता है,
तो कभी चेहरे पर मुस्कान ले आता है,
थोड़ा सबको रुलता है,
थोड़ा फिर हंसता है,
पर वक़्त कहां रुक पाता है,
बस चलता जाता है,
बातों में फंसा जाता है,
सपना भी दिखा जाता है,
कभी दिल तोड़ जाता है,
तो कभी थोड़ा बहलाता है,
पर वक़्त कहां रुक पाता है,
बस चलता जाता है,
कभी जीवन देता है,
तो कभी मौत का रूप दिखता है,
थोड़ा खुश कर,
थोड़ा डरा भी जाता है,
पर वक़्त कहां रुक पाता है,
बस चलता जाता है,
सबको संग ले जाता है,
पर वक़्त कहां रुक पाता है,
बस चलता जाता है।
- वैवस्वत सिंह। #NightPath 
#वक़्त 
थे only thing which is constant and keep moving forward, taking you with it.

#NightPath #वक़्त थे only thing which is constant and keep moving forward, taking you with it.

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वैवस्वत सिंह

क्या है मेरी हद,
कोई तो कह जाओ,
थोड़ा समझाओ,
मुझको मेरी हद,
कोई तो बतलाओ,
कौन है सीधा,
कौन है जाहिल,
अंतर इतना,
मुझको समझाओ,
कितना कहना,
कितना सुनना,
कितना सहना,
किस पर लड़ना,
कुछ तो बतलाओ,
थोड़ा मुझको समझाओ,
मान करूं,
सम्मान भी दूं,
सर चढ़ जाए,
तो झाड़ भी दूं,
रास आए,
तो अपना भी लूं,
ना समझूं,
तो दुत्कार भी दूं,
कोई तो कह जाओ,
थोड़ा तो बतलाओ,
क्या है मेरी हद,
मुझको भी समझाओ,
कुछ बात सुनी,
कुछ ना भी कही,
कुछ बोल दिया,
जो दिल में रहा,
है ढोंग नहीं,
ना दिखलावा,
फिर भी कोई बतलाओ,
थोड़ा मुझको समझाओ,
क्या है मेरी हद,
थोड़ा मुझको बतलाओ,
कौन है अपना,
कौन पराया,
अंतर मुझको समझाओ,
थोड़ा मुझको समझाओ,
मेरी हद तो बतलाओ,
मेरी हद तो बतलाओ।
- वैवस्वत सिंह। #LightsInHand 
#मेरी_हद
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वैवस्वत सिंह

हसरतों से फुरसतें जब हम निकाल लेंगे,
तेरे नगमों को सुनकर तब रूह को आराम देंगे,
जो भटकेंगे राहों में हम इन जलजलों से,
तेरी यादों के घर में तब पनाह लेंगे,
बेगैरत जो हो जाए जब ये दिल,
तेरी जुल्फों के साए में तब हम इल्तेज़ा देंगे,
बे आबरू होकर भटक जाए जब ये मन,
तेरी मुस्कुराहट से मन, तब संभाल लेंगे,
दरिया सा बहने लगे जब ये अस्क,
तुझे सीने से लगा कर तब दरिया सूखा लेंगे,
झूठी बंदिशों से जब हम रिहा होंगे,
तुझे मुर्शीद अपना तब बना लेंगे,
फासलों से जब हम रास्ता निकाल लेंगे,
तेरी आंखों में तब खुद को बसा लेंगे,
दिले चार दिवारी में ना बसाना कुछ इतेफाक ही होगा,
वरना हसरतों से फुरसतें तो हम निकाल लेंगे।
- वैवस्वत सिंह। #Love
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वैवस्वत सिंह

#Poem
#Shayari
#TuteSapne Shivani Keshari ✍ *Ruchi* ki kalam se✍ Pawan Rajput अधूरी बातें MONIKA SINGH  komal singh Word Attacker dr. Naveen Parihar Ritisha Jain kriSSWrites

#poem #Shayari #tutesapne Shivani Keshari ✍ *Ruchi* ki kalam se✍ Pawan Rajput अधूरी बातें MONIKA SINGH komal singh Word Attacker dr. Naveen Parihar Ritisha Jain kriSSWrites

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